ऐतिहासिक दृष्टिकोण के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आत्मकथा-‘माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ’ में उपवास के महत्व का वर्णन है। उनकी आत्मकथा से उद्धृत अंश के अनुसार ‘उपवास मात्र शारीरिक शुद्धि ही नहीं बल्कि आत्मिक एवं आध्यात्मिक शुद्धि कामार्ग भी प्रशस्त करता है। आइए जानते हैं उपवास की खूबियों के बारे में—
- उपवास के लिए मन की पवित्रता, एकाग्रता, समरसता निस्वार्थ भाव और धैर्य आवश्यक है। गांधी जी सत्याग्रह के संदर्भ में उपवास को अहिंसा का सशक्त माध्यम मानते थे।
- मात्र अन्न के त्याग को उपवास नहीं कहा जा सकता। उपवास के लिए पर्याप्त मनोबल की आवश्यकता होती है। राष्ट्रपिता ने कहा था कि आत्म-चिंतन के बगैर उपवास व सत्याग्रह संभव नहीं है।
उपवास और आयुर्वेद
आयुर्वेद में उपवास को लंघन कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार-‘लंघनम् सर्वोत्तम औषधं’ यानी उपवास एक सर्वोत्तम औषधि है। शरीर में स्थित विषाक्त पदार्थ (जिसे आयुर्वेद में ‘आम’ कहते हैं) के निष्कासन द्वारा शरीर के अवरुद्ध स्रोतों की शुद्धि उपवास से होती है। 10 प्रकार के लंघन बताए गए हैं।
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पाचन तंत्र को राहत
अगर एक दिन का उपवास रखा जाए यानी एक दिन अन्न न ग्रहण किया जाए, तो इससे पाचन क्रिया को विश्राम मिलता है। मौजूदा परिवेश में तनावपूर्ण जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खानपान आदि के कारण कई रोग उत्पन्न हो रहे हैं। इन बीमारियों की रोकथामके लिए सप्ताह में एक बार उपवास आयुर्वेद के दृष्टिकोण से उपयोगी है।
इन रोगों में लाभप्रद है उपवास
पाचन तंत्र से संबंधित समस्त रोगों के लिए सप्ताह में एक बार उपवास रामबाण सिद्ध होता है। कब्ज, अपच, गैस, अफारा, पेचिस, पाइल्स, मोटापे की स्थिति और लिवर से संबंधित रोगों में उपवास लाभप्रद है। इसी तरह त्वचा संबंधी रोग (स्किन डिस्आर्डर्स), रूमेटॉइड अर्थराइटिस, दमा साइनोसाइटिस और कोलेस्ट्रॉल की अधिकता को नियंत्रित करने में उपवास लाभप्रद है। इसी तरह मानसिक विकारों जैसे डिप्रेशन, अनिद्रा, डिमेंशिया और अल्जाइमर डिजीज में उपवास परोक्ष रूप से मानसिक शांति प्रदान करने में सहायकहै, लेकिन उपवास आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श लेकर करना चाहिए।
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उपवास रखने के लाभ
- शारीरिक रोगों से कुछ हद तक मुक्ति मिलती है।
- हाजमा दुरुस्त रहता है।
- भूख-प्यास खुलकर लगना।
- मानसिक रोगों में राहत मिलना।
- प्रतिरक्षा तंत्र का सशक्त होना।
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