मानसून का मौसम भले ही बारिश की वजह से लोगों का फेवरेट होता है लेकिन इस मौसम में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी काफी बढ़ जाती हैं। खासकर, बारिश के मौसम में जगह-जगह पानी इकट्ठा होता है, जो मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श स्थिति प्रदान करता है। ऐसे में मच्छर जनित बीमारियां जैसे कि डेंगू और मलेरिया के मामलों में बढ़ोतरी हो जाती है। डेंगू के बुखार से हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। डेंगू के लक्षणों में अचानक तेज बुखार, सिरदर्द के साथ मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, और त्वचा पर लाल चकत्ते होने लगते हैं। इसके साथ ही डेंगू के गंभीर मामलों में मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या में भी गिरावट आ सकती है, जिससे अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। डेंगू होने पर मरीज को उचित इलाज के साथ हेल्दी डाइट भी लेनी चाहिए। ऐसे में कई लोगों का सवाल होता है कि डेंगू में कौन सा दूध फायदेमंद है? इस बारे में हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से बात की है। डॉक्टर ने बताया कि डेंगू पीड़ित मरीज के लिए ऊंटनी का दूध लाभदायक साबित हो सकता है।
डेंगू में ऊंटनी का दूध पीने के फायदे
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय ने बताया कि ऊंटनी का दूध सेहत के लिए लाभदायक होता है। आयुर्वेद में ऊंटनी के दूध का इस्तेमाल कई स्वास्थ्य समस्याओं में किया जाता है। ऊंटनी का दूध हल्का और स्वाद में खट्टा सा होता है। डेंगू पीड़ित व्यक्ति ऊंटनी का दूध आधा गिलास रोजाना पी सकते हैं। इसका सेवन खाली पेट या भोजन के बाद दिनभर में किसी भी समय किया जा सकता है।
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1. डॉक्टर ने बताया कि ऊंटनी के दूध में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो डेंगू मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। डेंगू के कारण जिन लोगों के शरीर में प्लेटलेट्स की कमी होती है उन्हें ऊंटनी का दूध पीने से फायदा मिल सकता है।
2. ऊंट के दूध में पाए जाने वाले तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। डेंगू के दौरान यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करके शरीर को वायरस से लड़ने में मदद करता है।
3. डेंगू के दौरान शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे शरीर डिहाइड्रेट हो सकता है। ऐसे में ऊंटनी का दूध एक प्राकृतिक हाइड्रेटिंग एजेंट की तरह काम करेगा, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखने में सहायक होगा और थकान को कम करेगा।
4. ऊंटनी के दूध में प्रोटीन के साथ विटामिन C और आयरन की अच्छी मात्रा होता है, जो डेंगू के कारण हुई कमजोरी को दूर करने में सहायक होते हैं। डेंगू के दौरान इसका सेवन करने से मरीज को रिकवरी में मदद मिल सकती है।
5. ऊंटनी के दूध में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर के फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं और कोशिकाओं यानी सेल्स को प्रोटेक्ट करते हैं। इससे डेंगू से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
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डेंगू एक गंभीर बीमारी है जो उचित देखभाल और सावधानी से कंट्रोल की जा सकती है। ऊंटनी का दूध, डेंगू के दौरान एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार हो सकता है, जो प्लेटलेट्स और इम्यूनिटी को बढ़ाता है, इसके साथ ही रिकवरी को तेज करता है। मच्छरों से बचाव के उपायों को अपनाकर डेंगू के संक्रमण से बचा जा सकता है।
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