आमतौर पर लोगों के मन में किसी न किसी चीज का डर छिपा होता है। कुछ लोगों को ऊंचाई से डर लगता है तो कुछ लोगों को अंधेरे से, कोई भीड़ देखकर घबराता है तो कोई अकेलेपन से। हमें मालूम ही नहीं चलता कि कब मन के भीतर छिपा यह डर फोबिया में बदल जाता है। हम अपने फोबिया से इतना घबराते हैं कि इसे दूर करने के बजाय इससे बचने के उपाय खोजते रहते हैं। इसी तरह का एक फोबिया होता है जर्मोफोबिया। इसे माइसोफोबिया भी कहते हैं। दरअसल, धूल-मिट्टी और गंदगी से दूरी तो आपको एक सेहतमंद जीवन देती है पर कुछ लोग सफाई के इस कदर आदी हो जाते हैं कि उनके मन में धूल और कीटाणुओं का फोबिया पैदा हो जाता है, जिसे जर्मोफोबिया कहते हैं।
जर्मोफोबिया के कारण
अगर किसी को अतीत में गंदगी की वजह से कोई बड़ी बीमारी हुई होती है या बहुत खराब अनुभव रहा होता है तो उसे जर्मोफोबिया हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि लंबे वक्त तक गंदगी भरी जगह में रहे हो, बचपन में काफी बीमार रहे हों या फिर किसी करीबी की मौत हो जाने के बाद जर्मोफोबिया हो सकता है। इसके अलावा, विज्ञापन में बार बार जर्म्स से होने वाले नुकसान के बारे में पढ़ना और देखना भी इस समस्या का एक बड़ा कारण है।
जर्मोफोबिया का उपचार
अक्सर लोग फोबिया को बहुत गंभीरता से नहीं लेते। वो इस समस्या को दूर करने की बजाय उससे बचने के रास्ते तलाशते रहते हैं। जबकि मनोचिकित्सा की मदद से फोबिया को दूर करने में बहुत आसानी होती है। आइये जानते हैं जर्मोफोबिया के कौन कौन से उपचार उपलब्ध हैं।
सीबीटी
जर्मोफोबिया से निपटने का सबसे सुरक्षित उपचार वही है जो ओसीडी या अन्य प्रकार के फोबिया होने पर इस्तेमाल में लाया जाता है, संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी यानी कॉग्नीटिव बिहेविअरल थेरेपी (सीबीटी)। इस थेरेपी में थेरेपिस्ट पीड़ित को उसके डर का सामना करना धीरे-धीरे सिखाता है। शुरूआत में पीड़ित को किसी से हैंड शेक करने के बाद अगले 5-10 मिनट तक हाथ न धोने की एक्सरसाइज शामिल हो सकती है।
परिवार की भूमिका
जर्मोथेरेपी के लक्षण पहचानने में सबसे अधिक मदद परिवार वालों से ही मिलती है। अगर आप देखते हैं कि परिवार को कोई सदस्य घर की बहुत लगन से सफाई कर रहा है तो पहली दूसरी बार तो आप बहुत खुश होंगे। लेकिन जब आप देखेंगे कि वो सदस्य सिर्फ सफाई में ही लगा रहता है और साथ ही साथ उसके व्यवहार में भी कई बदलाव आ रहे हैं तो आपको उसे जांच के लिए ले जाना चाहिए। परिवार के लोग सीबीटी के प्रभावी रूप से काम करने में भी मदद कर सकते हैं क्योंकि वो पीड़ित के साथ दिनभर रहते हैं इसलिए उसके व्यवहार को कंट्रोल कर सकते हैं।
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