कोविड-19 के बाद से लोगों के बीच आयुर्वेदिक इलाज और जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल काफी ज्यादा बढ़ गया है। सर्दी-खांसी से लेकर ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए लोग इन हर्ब्स को अपनी डाइट में शामिल करते हैं। आयुर्वेद में ऐसी कई औषधि हैं, जो अलग-अलग समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होती है, जिसमें हरड़ भी शामिल है। हरड़ को हरितकी, अभया और विभीती के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में हरड़ एक शक्तिशाली और बहुत ही उपयोगी औषधि मानी जाती है। हरड़ त्रिफला में मौजूद फलों में से एक है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में कई बीमारियों से बचाव के लिए किया जाता है।
बता दें कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए ओन्लीमायहेल्थ 'आरोग्य विद आयुर्वेद' (Arogya with Ayurveda) नाम की स्पेशल सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के तहत हम आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों और जड़ी-बूटियों के बारे में लोगों को विस्तार से जानकारी देते हैं, ताकि लोग आयुर्वेदिक इलाज और जड़ी-बूटियों के बारे में जान सकें। सीरिज के आज के इस लेख में हम रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा से हरड़ के बारे में जानते हैं-
आयुर्वेद में हरड़ क्या है?
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, आयुर्वेद में हरड़ एक बेहतरीन औषधि मानी जाती है, जो एक पेड़ के फल से पाया जाता है। स्वाद में हरड़ कसैला, कड़वा, तीखा, खट्टा और मधुर होता है, लेकिन इसमें नमकीन रस नहीं होता है, बल्कि इसका रस कसैला होता है। बता दें कि हरड़ 5 तरह के रसों से मधुर, आम्ल, कटु, तिक्त और कषाय से भरपूर होता है।
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हरड़ की तासीर कैसी होती है?
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा के मुताबित हरड़ की तासीर उष्ण यानी गर्म होती है। गर्म होने के कारण इसका सेवन शरीर में वात और कफ दोष को शांत करने और पित्त दोष को संतुलित करने में मदद मिलती है। गर्म तासीर होने के कारण यह पाचन शक्ति को तेज करती है, भूख बढ़ाती है और शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है।
हरड़ के क्या फायदे हैं?
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार हरड़ का सेवन न सिर्फ पाचन में मदद करता है, बल्कि ये स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होता है, जैसे-
- कब्ज से राहत: हरड़ का सेवन पेट को साफ करने, आंतों की गति को कंट्रोल करने और मल त्याग को आसान बनाने में मदद करती है। यह पुरानी कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में काफी प्रभावी मानी जाती है।
- पाचन को बढ़ावा दें: हरड़ का सेवन पाचन क्रिया को बढ़ावा देने में मदद करती है। इसका सेवन आपके भूख को बढ़ावा देता है, जिससे अपच, एसिडिटी और गैस की समस्या से राहत मिल सकती है।
- सर्दी-जुकाम में फायदेमंद: हरड़ का इस्तेमाल दमा, खांसी, ब्रोंकाइटिस, सर्दी-खांसी जैसी बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है। यह सांस के रास्ते को साफ करने और कफ को बाहर निकालने में मदद करता है।
- स्किन के लिए फायदेमंद: हरड़ में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो एक्ने, फोड़े-फुंसी, खुजली और स्किन रैशेज जैसी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होता है।
- आंख के लिए लाभकारी: हरड़ का उपयोग आंखों की सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है, जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद करता है।
- यूरिन और किडनी की समस्या में: हरड़ का सेवन आपके यूरिन को साफ करने और यूरिन के रास्ते में होने वाले इंफेक्शन, पथरी और पेशाब की जलन को शांत करने में मदद करता है।
- दिमाग के लिए फायदेमंद: हरड़ का नियमित सेवन आपके दिमाग के स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकारी होता है। यह आपकी याददाश्त को तेज करने और फोकस बढ़ाने में मदद करता है।
- ब्लड साफ करें: इसका सेवन आपके शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालकर खून को साफ करने में मदद करता है, जिससे न सिर्फ सेहत को फायदा मिलता है, बल्कि ये आपकी स्किन को साफ और चमकदार बनाती है।
- डायबिटीज में फायदेमंद: हरड़ का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। यह इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार कर सकता है और खाने के बाद ग्लूकोज को बढ़ने से रोकता है।
हरड़ का सेवन किसे नहीं करना चाहिए?
हरड़ का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंंद होता है, लेकिन कुछ लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए-
- प्रेग्नेंट महिलाओं को इसके सेवन से बचना (harad kise nahi khana chahiye) चाहिए, क्योंकि ये गर्भाशय को सिकुड़ने का कारण बन सकता है।
- बहुत ज्यादा कमजोर या कुपोषित व्यक्ति को इसका ज्यादा सेवन हानिकारक हो सकता है।
- दस्त से पीड़ित लोगों को भी हरड़ के सेवन से बचना चाहिए।
- जिन लोगों के शरीर की तासीर गर्म होती है, उन्हें भी इसके सेवन से बचना चाहिए।

त्वचा के लिए हरड़ के क्या फायदे हैं?
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा ने बताया कि हरड़ का सेवन या स्किन पर इसका इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। हरड़ में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो मुंहासे, झाइयां, फुंसी और अन्य स्किन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होती है। इतना ही नहीं, हरड़ के चूर्ण का फेस पैक स्किन को साफ, मुलायम और चमकदार बनाने में मदद करता है। लेकिन, ध्यान रहे ज्यादा मात्रा में इसका इस्तेमाल स्किन पर करने से रैशेज और जलन की समस्या हो सकती है। इसलिए, इसे लगने से पहले पैच टेस्ट जरूर करें।
हरड़ का सेवन कैसे करें?
हरड़ का सेवन कई बीमारियों से राहत दिलाने में फायदेमंद होती है। इसलिए, आप इसका सेवन अलग-अलग तरीके से कर सकते हैं। लेकिन, आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा की माने तो हरड़ खाने का सबसे बेहतर तरीका चूर्ण (harad ko kaise khayen) होता है। चूर्ण के रूप में हरड़ खाना सबसे बेहतरीन होता है। खड़े हरड़ का इस्तेमाल सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। बाकि आप चाहे तो हरड़ का सेवन चूर्ण, मुरब्बा और काढ़े के रूप में किया जा सकता है।
हरड़ कितनी मात्रा में लेना चाहिए?
हरड़ का सेवन उम्र के अनुसार अलग-अलग मात्रा में किया जाता है। उम्र के अनुसार हरड़ की मात्रा (harad kitna khana chahiye) का खास ध्यान रखना चाहिए-
- 5 साल से ऊपर के बच्चों को 1 से ग्राम हरड़ पाउडर दे सकते हैं।
- 10 साल से बड़े बच्चों को आप 2 से 3 ग्राम पाउडर खिला सकते हैं।
- बड़े एक दिन में 3 से 5 ग्राम हरड़ का चूर्ण खा सकते हैं।
- अगर आप किसी खास कारण या फायदे के लिए चूर्ण का सेवन कर रहे हैं तो 10 ग्राम तक इसकी मात्रा बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष
आयुर्वेद में हरड़ एक बेहतरीन औषधि के रूप में उपयोग होता है, जो न सिर्फ पाचन को बेहतर बनाता है, बल्कि स्किन, यूरीन इंफेक्शन और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। लेकिन, इसका सेवन सही तरीके और सही मात्रा में करना जरूरी है। इसलिए, अगर आप भी अपनी डाइट में हरड़ शामिल कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक डॉक्टर से कंसल्ट कर लें।
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FAQ
हरड़ को कैसे खाना चाहिए?
हरड़ का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें इसका चूर्ण, गोली और काढ़ा शामिल है। इसे गुनगुने पानी, शहद या दूध के साथ लिया जा सकता है।कब्ज के लिए हरड़ का सेवन कैसे करें?
हरड़ का सेवन कब्ज की समस्या में बेहद फायदेमंद माना जाता है। इसलिए, अगर आप कब्ज की समस्या से राहत पाना चाहते हैं तो आप हरड़ चूर्ण का सेवन सुबह खाली पेट कर सकते हैं, जिससे आपको कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है।छोटी और बड़ी हरड़ में क्या अंतर है?
छोटी और बड़ी हरड़, में अहम अंतर ये है कि छोटी हरड़ में गुठली नहीं होती है, जबकि बड़ी हरड़ में सख्त गुठली होती है। छोटी हरड़ फल के गुठली बनने से पहले ही पेड़ से गिर जाती है, जबकि बड़ी हरड़ पके फल से मिलती है।