गुरु दिखाता है आपको जीने की राह!

कबीरदास ने कहा है 'गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।' यानी गुरु और ईश्वर में पहले गुरु की वंदना करनी चाहिए। सिख धर्म में इस पर्व का काफी महत्व है क्योंकि सिख इतिहास में उनके दस गुरुओं का बेहद महत्व रहा है।
  • SHARE
  • FOLLOW
गुरु दिखाता है आपको जीने की राह!


गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु के त्याग और तप को समर्पित है क्‍योंकि गुरु को ईश्वर से भी उच्च स्थान दिया गया है। जीवन में गुरु और शिक्षक के महत्व को आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए यह पर्व मनाया जाता है। गुरु का आशीर्वाद सबके लिए कल्याणकारी व ज्ञानवर्द्धक होता है, इसलिए इस दिन गुरु पूजन के उपरांत गुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। सिख धर्म में इस पर्व का महत्व अधिक है क्योंकि सिख इतिहास में उनके दस गुरुओं का खास महत्व है। इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि,

guru nanak in hindi

इसे भी पढ़ें : आत्‍मा को ऊर्जावान बनाने के तरीके

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरु साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नमः॥

इस मंत्र का मतलब है कि, हे गुरुदेव आप ब्रह्मा, आप विष्णु और आप ही शिव हैं। गुरु आप परमब्रह्म हो, हे गुरुदेव मैं आपको नमन करता हूं। गुरु के अर्थ को समझें तो गुरु शब्द में 'गु' का मतलब है अंधेरा, अज्ञानता और 'रु' का मतलब है दूर करना। यानी जो हमारी अज्ञानता एवं जीवन में निराशा एवं अंधकार को दूर करें, वही गुरु हैं।

हमारी संस्कृति का एक अति महत्वपूर्ण पहलू गुरु-शिष्य परंपरा है। हर साल गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का ऋण पूरा करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार हर व्यक्ति अपने गुरु को कुछ उपहार के तौर पर देता है, इसे गुरु-शिष्य परंपरा कहा जाता है। संत कबीर ने गुरु के लिए कहा है कि,


गुरु गोबिन्द दोउ खडे काके लागूं पांय,

बलिहारी गुरु आपने गोबिन्द दियो बताय।

इसका मतलब यह है कि गुरु और ईश्वर दोनों एक साथ खड़े हों तो पहले किस के पैर छूने हैं, अगर आपके साथ ऐसी दुविधा आए तो सबसे पहले गुरु को चुनना चाहिए क्योंकि उनकी वजह से ही ईश्वर के दर्शन हुए हैं। उनके बगैर ईश्वर तक पहुंचना असंभव है। गुरु पूर्णिमा वो दिन है, जब पहली बार मनुष्यों को यह याद दिलाया गया कि अगर वे मेहनत करने के लिए तैयार हैं, तो अस्तित्व का हर दरवाजा खुला है।

इसे भी पढ़ें : 'गायत्री' मंत्र का हरदिन जाप, दिलाता है आपको ये महालाभ


ब्रह्मा है गुरु

गुरु को ब्रह्मा कहा गया है। क्योंकि गुरु ही अपने शिष्य को नया जन्म देता है। गुरु ही साक्षात महादेव है, क्योकि वह अपने शिष्यों के सभी दोषों को माफ कर सकता है। गुरु, पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह इतने उज्जवल और प्रकाशमान हैं कि उनके तेज के समक्ष ईश्वर भी नतमस्तक हुए बिना नहीं रह पाते। जबकि शिष्य अंधेरे रूपी बादलों से घिरा होता है जिसमें पूर्णिमा रूपी गुरू प्रकाश का विस्तार करते हैं।


गुरु मंत्र सिख धर्म की आधारशिला

सिख धर्म के दस गुरुओं की कड़ी में गुरु नानक प्रथम हैं। गुरु नानकदेव से मोक्ष तक पहुंचने के एक नए मार्ग का अवतरण होता है। मोक्ष या ईश्‍वर तक पहुंचने का यह बहुत ही प्यारा और सरल मार्ग है और गुरु मंत्र सिख धर्म की मुख्य आधारशिला है। यानी अंतर आत्मा से ईश्वर का नाम जपो, ईमानदारी एवं परिश्रम से काम (कर्म) करो तथा अर्जित धन से दुखी, पीड़ित, असहाय, जरूरतमंद लोगों की सेवा करो।


आदिकाल से ही है गुरु का महत्‍व

भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्व आदिकाल से ही रहा है। इसलिए कबीर ने कहा है कि 'गुरु बिन ज्ञान न होए साधु बाबा।' ज्यादा सोचने-विचारने की आवश्यकता नहीं है बस गुरु के प्रति समर्पण कर दो। हमारे सुख-दुख और हमारे आध्यात्मिक लक्ष्य गुरु को ही साधने दो। ज्यादा सोचोगे तो भटक जाओगे। अहंकार से किसी ने कुछ नहीं पाया। घमंड और चप्पलों को बाहर ही छोड़कर जरा अदब से गुरु के द्वार खड़े हो जाओ बस। गुरु को ही करने दो हमारी चिंता। हम क्यों करें।

इस लेख से संबंधित किसी प्रकार के सवाल या सुझाव के लिए आप यहां पोस्‍ट/कमेंट कर सकते हैं।

Image Source : lh3.ggpht.com & dollsofindia.com

Read More Articles Spirituality in Hindi

Read Next

ओम मंत्र का उच्चारण करें, अद्भुत सेहत पाएं, ईश्वर के करीब जाएं!

Disclaimer