बढ़ती उम्र में फिट रहने और बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि इसके लिए आप पहले से ही ध्यान रखें। अक्सर आपने अपनी दादी के मुंह से घुटनों के दर्द की शिकायत करते हुए सुना होगा और वैसे ही लक्षण आप अपने मां में देख रही हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस हड्डियों से संबंधित बीमारी है जो बढ़ती उम्र के कारण अधिक होती है। अगर आपने खानपान का ध्यान नहीं रखा तो यह समस्या पहले भी हो सकती है। महिलाओं में मीनोपॉज के बाद ऑस्टियोअर्थराइटिस होने की संभावना बढ़ जाती है जो कि उपचार रहित है। अगर आप भी इन बीमारियों से बचना चाहते हैं तो आज से ही अपने जीवनशैली में बदलाव लायें और फिट रहें।
स्वस्थ आहार का सेवन करें
ऑस्टियोअर्थराइटिस बढ़ती उम्र के कारण होने वाली एक सामान्य बीमारी है जो एक बार हो जाती है तो जिंदगी भर सताती है। यह समस्या महिलाओं में 50 की उम्र के बाद अक्सर देखी जाती है। इससे बचाव के लिए स्वस्थ आहार आपकी मदद कर सकता है। इसलिए आप किसी सुपरफूड की तलाश न करें, बल्कि नियमित आहार में ताजी, हरी और पत्तेदार सब्जियों के साथ दूध और दूध से बने आहार का भी सेवन करें। अगर आप मांसाहारी हैं तो मीट और मछली का सेवन कीजिए।
दो ग्लास दूध और एक कटोरी दही में शरीर के 1000 मिग्रा कैल्सियम होता है जो नियमित रूप से शरीर की कैल्सियम की जरूरत को पूरा करता है। अगर आपको दूध के उत्पाद खाने में समस्या होती है तो सोया से बने उत्पादों का सेवन कीजिए, इसकी जगह हरी पत्तेदार सब्जी और मछली का सेवन करें। ये कैल्सियम के पूरक हैं।
मोटापे पर नियंत्रण
अधिक वजन आपके शरीर का दुश्मन है, इसके कारण स्वास्थ्य संबंधित कई समस्यायें होती हैं इसमें से हड्डियों से संबंधित बीमारी भी एक है। स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करने से भी वजन को नियंत्रण में रखा जा सकता है। अधिक वजन के कारण जोड़ों में दर्द की समस्या भी अधिक देखी जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अपने शरीर के निचले हिस्से को नियंत्रित रखने की अधिक जरूरत है।
खुद को फिट रखें
खाने और वजन नियंत्रण के अलावा ऑस्टियोअर्थराइटिस की संभावना को कम करने के लिए जरूरी है कि आप शारीरिक गतिविधियों में भी खुद को शामिल करें। नियमित रूप से व्यायाम करने से भी हड्डियां मजबूत होती हैं और शरीर भी फिट रहता है। नियमित दौड़ने, तेज चलने, स्वीमिंग करने से पैरों की हड्डियां मजबूत होती हैं। इसलिए रोज 30 से 40 मिनट तक व्यायाम जरूर करें।
इन सब तरीकों के साथ-साथ ऑस्टियोअर्थराइटिस से बचने के लिए जरूरी है कि आप नियमित रूप से अपने शरीर की जांच भी कराती रहें।
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