वजन कम करने के लिए आपको तमाम लोग सलाह देते हैं। ऐसे में सच और झूठ में फर्क करना जरा मुश्किल हो जाता है। कई बार आपको एक्सरसाइज की ऐसी टिप्स मिलती हैं, जो सच से कोसों दूर होती हैं। इन्हें करने से आपकी सेहत को फायदा तो क्या होगा, उल्टे नुकसान की ही आशंका बनी रहती है। ऐसे में जरूरी केवल फिटनेस की सलाह मानना ही जरूरी नहीं है, जरूरत है फिटनेस की सही सलाह मानने की। तो जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्या हैं वर्कआउट से जुड़े पांच मिथ और उनकी सच्चाई।
मिथ-1
अपनी धड़कन को फैट बर्निंग जोन में रखें
अगर आप अपनी अधिकतम हदय गति की 60 से 70 फीसदी तक व्यायाम कर रहे हैं और इस उम्मीद में कि इससे आपका वजन कम हो जाएगा, तो शायद आप गलतफहमी में हैं। बल्कि इससे वजन कम करने की आपकी प्रक्रिया धीमी हो जाएगी। फैट बर्निंग जोन एक कोरा मिथ है, और कुछ नहीं। सच यह है कि मद्धम गति पर व्यायाम करने पर आप फैट कैलोरी का अधिक प्रतिशत खर्च करते हैं, हालांकि कुल मिलाकर आपकी कैलोरी कम खर्च हुई होती हैं। उदाहरण के लिए ट्रेडमिल पर 6 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 30 मिनट की वॉक से आप 250 कैलोरी खर्च करेंगे। और अगर आप इस गति को दोगुना कर दें तो आप 500 कैलोरी खर्च करेंगे। तो तेज गति पर व्यायाम करना आपके लिए अधिक फायदेमंद है।
मिथ 2
कार्डियो है पेट कम करने का सबसे अच्छा तरीका
वजन कम करने का सबसे आसान तरीका कार्डियो के साथ वेट ट्रेनिंग को अपने रूटीन का हिस्सा बनाना है। एक शोध में यह बात सामने आयी है कि जो लोग रोजाना 30 मिनट तक साइकिल चलाते हैं, उन्होंने आठ सप्ताह में तीन पाउण्ड यानी करीब 1.5 किलो वजन कम किया और एक पाउण्ड 450 ग्राम मांसपेशियां बढ़ायीं। लेकिन, उन लोगों ने जिन्होंने 15 मिनट साइकिल चलायीऔर 15 मिनट वेट ट्रेनिंग की उन्होंने 10 पाउण्ड यानी 4.6 किलो के आसपास वजन कम किया और करीब एक किलो फैट बर्निंग मांसपेशियों का निर्माण किया।
मिथ 3
स्कावट्स करने से कूल्हे बड़े हो जाते हैं
यह सबसे बुरा मिथ है। स्कावट्स से कूल्हे बड़े और मोटे नहीं होते। हममें से ज्यादातर लोग कंप्यूटर पर बैठकर या अन्य आर्मचेयर जॉब करते हैं। ऐसे में इसका असर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है। इससे हमारी आंतें कमजोर हो जाती हैं। और अगर हम इस समस्या को दूर करने का प्रयास न करें तो यह हमारी लिए समस्या उत्पन्न कर सकती है। और स्वाकट्स वास्तव में इस समस्या से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। वैज्ञानिक तरीकों से यह प्रमाणित हो चुका है कि इस व्यायाम से कूल्हे, मजबूत और सख्त बनते हैं साथ ही उनका आकार भी सही रहता है। बस आपको इसे सही प्रकार करना चाहिये। अपने घुटनों को जूतों के फीतों के समांतर रखें, एक काल्पनिक कुर्सी पर बैठें, कूल्हों को अंदर ओर खींचते हुए नीचे जाएं और फिर शुरुआती पोजीशन में आ जाएं।
मिथ 4
खाली पेट यानी मोटापे पर ज्यादा मार
शायद आपने यह सुना हो कि खाली पेट व्यायाम करने से आप ज्यादा फैट खर्च करते हैं, लेकिन यह बात हकीकत से मीलों दूर है। वैज्ञानिक शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि फैट खर्च करने की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए आपके सिस्टम में ग्लूकोज होना जरूरी होता है। अगर संचयित ग्लूकोज खत्म हो जाए, तो फैट खर्च करने वाली भट्टी काम करना बंद कर देती है। और फिर आप मांसपेशियां खर्च करने लगते हैं। वर्कआउट से पहले थोड़ा स्नैक्स जरूर खायें। इस दौरान आप हल्का प्रोटीन युक्त स्नैक्स ले सकते हैं।
मिथ 5
आप परेशान करने वाले हिस्सों पर टारगेट कर सकते हैं
क्या यह संभव है कि आप तय कर पायें कि आपके शरीर को कहां वसा संचरित करनी चाहिये। नहीं ना, तो फिर मनपसंद स्थान से वसा हटाना भी इतना ही नहीं। वैज्ञानिक सत्य यह है कि आपका शरीर जीन्स के आधार पर तय करता है कि उसे कहां से वसा हटानी है। शरीर को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस हिस्से का व्यायाम कर रहे हैं। तो, बेहतर है कि आप किसी एक हिस्से पर ध्यान देने के बजाय पूरे शरीर के वर्कआउट पर ध्यान दें। इससे अधिक कैलोरी खर्च होंगी और शरीर का वजन भी संतुलित होगा।
वर्कआउट से जुड़े इन मिथ को जानें और अपनी सेहत के लिए स्वस्थ वर्कआउट का चुनाव करें।
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