भरपूर नींद लेने से आपका दिमाग और आप दोनों स्वस्थ रहते हैं, ऐसा कई अध्ययनों में साफ हो चुका है। नए अध्ययन के निष्कर्षो के आधार पर बताया गया है कि किशोरावस्था में ज्यादा सोने वाले पुरुषों को भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका कम होती है।
लॉस एंजिल्स बॉयोमेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पाया कि लंबे समय तक सोने वाले किशोरों के शरीर में इन्सुलिन का स्तर सही रहता है, जिससे उन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका कम होती है। इन्सुलिन की संवेदनशीलता से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर नहीं बढ़ता।
शोध में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. पीटर लियू ने बताया कि लंबे समय तक गहरी नींद लेना सभी को पसंद होता है, लेकिन काम के दबाव और व्यस्त दिनचर्या के बीच यह संभव नहीं हो पाता। उन्होंने बताया कि नए शोध से साफ हुआ है कि नींद के घंटों में बढोतरी से शरीर में इन्सुलिन का प्रयोग बेहतर हो सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है।
इन्सुलिन एक प्रकार का हार्मोन है जो शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखता है। टाइप 2 डायबिटीज की समस्या में शरीर में इन्सुलिन का उत्पादन प्रभावित होने से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा कम हो जाती है। वहीं शरीर में इन्सुलिन की मौजूदगी टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम करती है।
लियू ने बताया कि शोध से सामने आए परिणामों के मुताबिक पूरे सप्ताह लंबे समय तक सोने वाले किशोरों के शरीर की इन्सुलिन के प्रति संवदेनशीलता बढ़ जाती है, जिससे उन्हें भविष्य में डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के अन्य शोधकर्ताओं और लियू ने अपने अध्ययन को औसतन साढ़े 28 साल के 19 नॉन डायबिटिक पुरुषों पर पूरा किया। ये पुरुष पहले वर्किंग डे में औसतन 6.2 घंटे की नींद लेते थे, लेकिन बाद में इन्होंने औसतन हर रात 2.3 घंटे ज्यादा सोना शुरू किया।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में भाग लेने वाले पुरुषों को तीन समूहों में बांटा। पहले समूह के लोग 10 घंटे की नींद लेते थे, दूसरे ग्रुप के लोग छह घंटे की नींद लेते थे और तीसरे समूह के पुरुष 10 घंटे तक बिस्तर में रहते थे, लेकिन वे आस-पास शोर होने के कारण पूरी तरह सो नहीं पाते थे।
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