
गैस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) इन दिनों तेजी से अपना पैर पसार रहा है। ये डायबिटीज का वो प्रकार है, जो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होता है। इसकी वजह से ब्लड प्रेशर और प्रीक्लैंप्सिया का खतरा बढ़ सकता है। आगे चलकर महिलाओं को टाइप 2 डायबिटीज का भी खतरा रहता है और गर्भस्थ शिशु का वजन बढ़ सकता है। गर्भावधि मधुमेह में प्रीमैच्योर बर्थ और जन्म के समय शिशु का ब्लड शुगर लो रहने का खतरा रहता है। पर हाल ही में आए शोध की मानें तो जिन लोगों की मां गैस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित होती है, उन लोगों में आगे चल कर दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। यानी कि गर्भावस्था के दौरान मां को डायबिटीज होना, बच्चों को आगे चल कर दिल से जुड़ी बीमारियों का शिकार बना सकता है।
क्या कहता है ये शोध?
CMAJ में प्रकाशित एक नए शोध के अनुसार, युवा वयस्कों और किशोरों में हृदय रोग गर्भ में मधुमेह के संपर्क से संबंधित हो सकता है। दरअसल कनाडा के मैनीटोबा में युवा वयस्कों और किशोरों में किए गए अध्ययन की मानें, जिन युवाओं की माओं को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह था, उनमें 35 वर्ष की आयु से पहले हृदय रोग विकसित होने का खतरा 50% से 200% अधिक था, उन लोगों की तुलना में जिन लोगों की मांओं को ऐसी कोई परेशानी नहीं थी।
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प्रेग्नेंसी में डायबिटीज और हार्ट डिजीज (gestational diabetes and risk of heart disease)
इस शोध की परिकल्पना इस बात से जुड़ी हुई है कि मां का डायबिटीक होना, बच्चों में डायबिटीज को बढ़ा सकता है। इस शोध की मानें, तो किशोरावस्था में हृदय रोग संबंधी बीमारियों के पीछे बचपन में उनके मां के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। शोधकर्ताओं ने इस शोध में 1979 और 2005 के बीच मैनिटोबा में लगभग 190,000 माताओं से पैदा हुए 290,000 से अधिक बच्चों के आंकड़ों को देखा। कुल बच्चों में 2.8% गर्भकालीन मधुमेह और 1.1% पूर्व-मौजूदा टाइप 2 मधुमेह के संपर्क में थे। मधुमेह के संपर्क में आने वाली संतानों में सबसे ज्यादा लोग पहले उच्च रक्तचाप से पीड़ित मिले, फिर टाइप 2 डायबिटीज से और अंत में इस्केमिक हृदय रोग से।
युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का खतरा
इस शोध में पाया गया कि गर्भावस्था में मधुमेह से पीड़ित माताओं से पैदा होने वाले बच्चों में हृदय की स्थिति विकसित होने की संभावना 30 से 80% अधिक थी और 2.0 से 3.4 गुना अधिक विकसित होने की संभावना थी। वहीं इस शोध की मानें, तो इस सबके अलावा, गर्भ में डायबिटीज के संपर्क में आने वाले बच्चों में आगे चल कर कम उम्र में ही दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा भी अधिक था।
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2018 के एक अध्ययन में गैस्टेशनल डायबिटीज के 10 साल के एक डाटा पर नजर डाली गई तो पता चला कि ओवरवेट होने पर इस मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। अन्य रिसर्च के अनुसार, जिन महिलाओं का बीएमआई पच्चीस से ज्यादा होता है, उनमें जेस्टेशनल डायबिटीज होने का खतरा अधिक रहता है। हालांकि, डाइट में कुछ बदलाव करने से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान संतुलित वजन बनाए रखने और स्वस्थ रहने के लिए एक्सरसाइज बहुत जरूरी होती है। एक्सरसाइज से गैस्टेशनल डायबिटीज से भी बचाव हो सकता है। एक्सरसाइज से इंसुलिन ज्यादा संवेदनशील हो जाता ,जिससे ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। वहीं बेहतर यही होगा कि ज्यादा भारी एक्सरसाइज करने की बजाय पैदल चलें, सीढ़ियां चढें, बागवानी और योग करें।
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