कब्ज एक ऐसी समस्या है जो कभी भी किसी को भी हो सकती है। आज के समय में करीब 90 प्रतिशत लोग कब्ज, गैस और कॉस्टिपेशन जैसी बीमारियों के शिकार हैं। ये बीमारी कई बार नवजात शिशुओं में भी जन्म लेती है। डॉक्टर्स कहते हैं कि एक स्वस्थ शिशु अपने जन्म के 24 घंटे के भीतर मल निकाल देता है। अगर कोई बच्चा ऐसा नहीं कर पाता या रूक रूक कर मल निकालता है तो समझ लें कि उन्हें जन्मजात कब्ज की समस्या हो गई है। पैदा हुए बच्चे जिनको कब्ज की शिकायत है उन्हें मल निकालने में बहुत ताकत लगानी पड़ती है जिसमें वे अपने पैर अपने पेट की तरफ ले आते हैं और यह काम करते वक्त उनका चेहरा लाल हो जाता है। कभी कभी इस स्थिति में मल के साथ खून भी निकलता है। शिशुओ में कब्ज की समस्या से निपटने के लिए आज हम आपको कुछ उपाय बता रहे हैं। इन्हें अपनाकर आप समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
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शिशु में कब्ज के लक्षण
- भूख का कम लगना
- पॉटी करते वक्त पेट से कीड़े निकलना
- मल त्याग से पहले शिशु का रोना और असहजता, चिड़चिड़ापन या दर्द होना।
- सूखी और कठोर टट्टी करना।
- एक सप्ताह में तीन से भी कम बार मल त्याग करना
- बदबूदार गैस छोड़ना और मल निकलना
छुटकारा पाने के उपाय
- जो महिलाएं बच्चों को अपना दूध पिलाने के बजाय पैकेट या फिर डब्बे वाला दूध पिलाती हैं उनमें भी कब्ज की समस्या होने के चांस रहते हैं। इसलिए हमेशा शिशु को अपना दूध ही पिलाएं।
- अगर बच्चे को बोतल से दूध पिलाया जाए तो ऐसा हो सकता है की वह ब्रांड उसके पाचन तंत्र के लिए सही न हो तो इसलिए अलग अलग उद्योग के दूध पिलाए जा सकते हैं ताकि उसके लिए सबसे बेहतर दूध मिल सके।
- जीवन के पहले कुछ दिनों में बच्चा गाढ़े हरे या काले रंग का मल निकालेगा जिसे हम मिकोनियम कहते हैं। तीन दिन तक सामान्य टट्टी लगना उसे चालू हो जाना चाहिए। अगर इस समय तक बच्चे को सामान्य टट्टी नहीं लग रही है और वो अभी भी मिकोनियम निकाल रहा है तो यह इस बात का संकेत है की बच्चे को पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा है।
- अगर आप बच्चे को फोर्म्युला से खिला रहे हैं तो उसके खाने में पानी की अतिरिक्त बोतल जोड़ दे जो की उसे कब्ज में आराम देगी क्योंकि वो उसके खाने में पानी की मात्रा को बाधा देगी।
- बच्चे में कब्ज को दूर करने का एक आम तरीका है की आप उसके खान पान का कार्यक्रम बदल दे और बच्चे को फोर्मुला छोटी छोटी मात्रा में दे , जिसमे की उसको बार बार खिलाये जो की बच्चे के पूरे दिन भर के समय का उपयोग कर लेते है।
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- नवजात शिशुओ में कब्ज से लड़ना अभिभावकों के लिए दुखदायी हो सकता है लकिन इससे लड़ने के कई आसान और प्रभावशाली तरीके भी हैं।
- कभी कभी फोर्म्युले में आयरन भी कब्ज का कारण हो सकता है। ऎसी दशा में बच्चे को बाल रोग विशेषग्य को दिखाए और उस फोर्म्युले को एक या दो महीने के लिए कम आयरन वाले फोर्म्युले में तब्दील कर लें (कृपया यह बात ध्यान दे की हाल ही में हुए अध्ययन बताते हैं की फोर्म्युले में आयरन ज्यादा होने से कब्ज नहै होता है और बच्चे के विकास के लिए आयरन पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए इसलिए किसी भी कम आयरन वाला फोर्म्युला अपने बच्चे को खिलाने से पहले एक बाल रोग विशेषग्य से ज़रूर सलाह ले ले)।
- अगर ये आसान से घर में किये जाने वाले नुस्खे बच्चे में कब्ज की शिकायत को दूर नहै कर पा रहे हैं तो बच्चे के बाल रोग विशेषग्य से ज़रूर मिले। बच्चे ग्लिसरीन सपोजिटरी , तरल ग्लिसरीन और फ्लेक्स सीड आयल से भी सही हो सकता है।
- यह बात नवजात शिशुओ के लिए नहीं है पर यह बात उन बच्चों पर लागू होती है जो की थोड़े बड़े है और जो की सख्त खाना , कच्चे नाशपाती खा सकते है जिनमे की रेशो की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और ये कब्ज से निपटने में मदद करते हैं और आप चावल की जगह बाजरे का भी प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि बाजरा से कब्ज कम होता है।
- बच्चे को टब या सिंक में नहलाने से जिसमे की पानी बच्चे के पेट के स्तर से ऊपर भरने से भी बच्चे को मदद मिल सकती है। गर्म पानी के अंदर बच्चे के पेट की मालिश करने से भी बच्चे की अंत उत्तेजित हो जाती है और मल निकालने में आसानी हो जाती है जिसकी वजह से उसे कब्ज से राहत मिल जाती है।
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