जानें, शिशु में क्या है लो ब्लड प्रेशर के कारण और बचाव

लो ब्लड प्रेशर यानि कि निम्न ब्लड प्रेशर एक ऐसी बीमारी है जो आजकल ना सिर्फ बड़ों को बल्कि बच्चों को भी हो रही है।
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जानें, शिशु में क्या है लो ब्लड प्रेशर के कारण और बचाव

लो ब्लड प्रेशर यानि कि निम्न ब्लड प्रेशर एक ऐसी बीमारी है जो आजकल ना सिर्फ बड़ों को बल्कि बच्चों को भी हो रही है। बड़े लोग अपने शरीर में होने वाले परिवर्तनों को बता देते हैं। लेकिन छोटे बच्चे इन्हें बता नहीं पाते हैं। ऐसे में आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप बच्चे में होने वाले लो ब्लड प्रेशर के कारणों को जानें और इससे उन्हें बचाएं। डॉक्टर्स भी कहते हैं कि जन्म लेने के बाद नवजात में निम्न रक्तचाप होना आम बात है। नवजात में निम्न रक्तचाप के कई कारण हो सकते हैं। हालांकि कारणों का पता लगाना मुश्किल होता है लेकिन आम नवजातों के साथ ऐसा होना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। नवजात में निम्न रक्तचाप क्यों होता है, यदि नवजात के साथ ऐसी स्थिति आती है तो क्या करें। आइए जानें नवजात में निम्न रक्तचाप से जुड़ी कुछ और बातों के बारे में।

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नवजात में निम्न रक्तचाप के कारण

  • नवजात में निम्न रक्तचाप के कई कारण हो सकते हैं जैसे- प्रसव के पहले ओर बाद में अत्यधिक रक्त का बहना।
  • किसी तरह के इंफेक्शन के कारण।
  • मां को प्रसव से पहले दी गई दवाईयों के कारण।
  • प्रसव के बाद तरल पदार्थ का बहुत अधिक बहना।
  • अचानक नवजात के माहौल में आया परिवर्तन भी इसका मुख्य कारण है।
  • नवजात का कमजोर होना या फिर नवजात शिशु में अधिक कमजोरी का होना।
  • हालांकि कई बार यह पता लगाना बहुत मुश्किल होता है कि नवजात में निम्न रक्तचाप क्यों हैं। 
  • कई बार नवजात में होने वाली श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण भी निम्न रक्तचाप की समस्या देखने को मिल जाती है।

नवजात में निम्न रक्तचाप का उपचार

  • ऐसी स्थिति में नवजात को वैक्सीन या इंजेक्शन के जरिए अतिरिक्त तरल पदार्थ दिए जाते हैं।
  • नवजात बच्चों में रक्तचाप बढ़ाने के लिए मशीनों में और ऐसे माहौल में रखा जाता है जिससे नवजात का रक्तचाप सामान्य हो जाए। 
  • कई बार नवजात में रक्त की कमी के कारण भी निम्न रक्तचाप की समस्या होने लगती हैं, ऐसे में नवजात को रक्त भी चढ़ाया जाता है जिससे नवजात जल्दी ही सामान्‍य हो जाए।
  • नवजात को निम्न रक्तचाप से बचाने के लिए डॉक्टर्स की देखरेख में ही रखना चाहिए, जिससे नवजात किसी ही होने वाले अन्य संक्रमण और बीमारी से बच सकें।

प्रेग्नेंसी में मां का ब्लड प्रेशर होना चाहिए सामान्य

प्रेग्नेंसी में गर्भवती को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसका ब्लड प्रेशर सामान्य रहे। क्योंकि इस चीज का काफी असर आपके शिशु पर भी पड़ता है। अगर प्रेग्नेंसी में मां का ब्लड प्रेशर लो है तो ये बच्चे में भी जेनेटिक जाने के काफी चांस रहते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान लो बीपी से कई समस्याएं हो सकती हैं। यह समस्या अक्सर प्रेगनेंसी के पहले तीन महीनों में होती है। कई बार जानकारी की कमी से महिलाएं इससे घबरा जाती हैं। इस समस्या से बचने के लिए इसके लक्षणों और बचाव को जानना जरूरी है। शुरुआती दौर में कई महिलाओं को इस दौरान मानिर्ंग सिकनेस और वोमिटिंग हो सकती है।

सिस्टोलिक 120 और डायस्टोलिक 80 को नॉर्मल ब्लड प्रेशर माना जाता है। प्रेग्नेंसी में लगभग सिस्टोलिक 5 से 10 और डायस्टोलिक करीब 10 से 15 तक बीपी कम होता है। अत: समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जांच जरूरी है। इसके कारण कभी-कभी गर्भपात भी हो सकता है। अधिक रक्त स्नव की वजह से भी ब्लड प्रेशर पर असर पड़ता है। अत: कंसीव करने के बाद नियमित डॉक्टर के संपर्क में रहें. कई बार इक्टोपिक प्रेग्नेंसी के कारण भी बीपी लो हो जाता है।

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