पिकी ईटिंग यानी खाने में मीन मेख निकालना या खाने में आनाकानी करना। यह ज्यादातर बच्चों के साथ होता है खासकर एक साल की उम्र के बच्चों के साथ। इस समय बच्चे अपने हाथ से खाना खाने की शुरुआत करते हैं। वे अपने खाने का चुनाव खुद करते हैं और कितना खाना ये निर्णय भी वे खुद लेते हैं। आमतौर पर ऐसा होता है कि बच्चे किसी दिन ज्यादा खाना खा लेतें हैं लेकिन अगले ही दिन उस खाने को मना कर देते हैं। बच्चों का मन अचानक से बदल जाता है इसके लिए जरूरी है कि वे जो भी खाएं उसमें पौषक तत्व भरपूर मात्रा मे हो।
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बच्चों में खान-पान की आदतों में लगातार बदलाव होते रहते हैं। बच्चों में एक खास आदत होती है वे कोई भी नई चीज को खाने से तब तक भागते हैं जब तक उनके सामने कई बार वही चीज ना रखी जाए। आपके बच्चे को नहीं पता कि उसके शरीर को किन पोषक तत्वों की जरूरत है इसलिए वे स्वाद से भरपूर खाने को खाना ज्यादा पसंद करते हैं। छोटे बच्चे वही खाना खाते हैं जो वे खाना चाहते हैं। आइए हम आपके बताते हैं कुछ खास टिप्स जिससे आप अपने बच्चे को सेहत और स्वाद से भरपूर आहार दे पाएंगे।
खाने का समय निर्धारित करें
अपने बच्चे को दिन में तीन बार खाना खाने की आदत डालें साथ ही खाने के बीच में दो बार हेल्दी स्नैक्स देना ना भूलें। डॉक्टरों के मुताबिक ज्यादातर पिकी ईटर दिन भर में बहुत थोड़ा खाना खाते हैं। ऐसे में अगर आप उन्हें दिन में तीन बार खाना खाने की आदत डालेंगे तो उन्हें उस समय पर भूख लगना शुरु हो जाएगी फिर वे खुद ही आपसे खाने की मांग करने लगेंगे।
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खाने में बदलाव
पिकी ईटर को एक ही तरह के खाने से ऊब जाते हैं इसलिए उन्हें हमेशा बदल-बदल कर खाना देना चाहिए। इसलिए जब भी आप उनके आहार में बदलाव करें तो यह सुनिश्चित कर लें आह सेहत और स्वाद दोनों से भरपूर होना चाहिए।
एकसाथ ज्यादा खाना ना दें
बच्चों को जब भी कुछ नया आहार दें पहली बाहर थोड़ी सी मात्रा दें। एकसाथ ज्यादा खाना देख कर ही वे खाने से भागने लगते हैं। खाने की थोड़ी-थोड़ी मात्रा उन्हें कई बार में दें इससे उनका मन जल्दी नहीं भरेगा और वे उस खाने से बोर भी नहीं होंगे।
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जब भूख लगे
अच्छा होगा कि किसी भी तरह का नया आहार बच्चों को उस समय दें जब वे भूखे हों। ऐसा करने से उनके पास कोई और विकल्प नहीं होगा और वे उस खाने को जरूर खाएंगे। जैसे फल, हेल्दी सूप, फ्रूट जूस आदि।
खाने के दबाव ना डालें
माता-पिता को यह समझना चाहिए कि कुछ बच्चों के प्लेटलेट्स अन्य बच्चों के मुकाबले संवेदनशील होते हैं। जरूरी नहीं कि जो खाना हर बच्चे को एक जैसा खाना पसंद हो। अगर बच्चा किसी चीज को खाने से मना कर दे तो उस पर उसे खाने का दबाव ना डालें क्योंकि इससे उनके मन में नकारात्मक्ता आ सकती है।
स्वाद और सेहत का मेल
बच्चों के लिए ऐसे आहार का चुनाव करें जिससे उन्हें स्वाद के साथ पोषण भी मिलें। उनके आहार में व्हाइट जर्म, फलों के छोटे-छोटे टुकड़े, गाजर, पालक आदि को शामिल करें। इससे उनकी शारीरिक जरूरत भी पूरी होगी और वे उन्हें खाने में अच्छा भी लगेगा। बच्चों की सेहत के लिए जरूरी है कि उनके आहार का खास खयाल रखा जाए। पिकी ईटर हैंडल करने के लिए ऊपर दिए गए टिप्स आपके काफी काम आ सकते हैं।
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