
बरसात के मौसम में तमाम तरह के वायरल इंफेक्शन व मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। मच्छरों और कीट-पतंगों की वजह से कई बीमारियों के फैलने का डर रहता है। बदलते हुए मौसम में मच्छरों द्वारा संक्रमित बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया होने का जोखिम बढ़ने लगता है। यह सभी बीमारी फैलाने वाले जीव पुराने टायर, ड्रम, फूलदान, कचरे के ढेर में पड़े बर्तन आदि में जमा हुए गंदे पानी में पनपते हैं और यह ज्यादातर दिन में सक्रिय होते हैं। ऐसे अब इन मच्छरों के प्रकोप से छुटकारा पाने के लिए फ्यूमिगेशन पद्धति को अपनाया जाएगा।
इन सभी मुद्दों को लोगों के समक्ष उजागर करते हुए वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने फ्यूमिगैशन ड्राइव शुरू किया है। एक नामी अस्पताल ने अपने बयान में कहा है कि फ्यूमिगैशन ड्राइव 14 सितम्बर से 19 सितम्बर तक शिप्रा सन सिटी फेज-2, शिप्रा सन सिटी फेज-1, शिप्रा कृष्णा विस्टा, शिप्रा नियो और साया अपार्टमेंट में चलाया जाएगा। इस ड्राइव का लक्ष्य मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों को कम करके आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है।
एक्सपर्ट्स ने क्या कहा
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, वैशाली के डॉ एन. पी. सिंह (मेडिकल डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन) ने कहा, “हमारे हॉस्पिटल में आए दिन कई केस आते हैं जिनमें मरीज मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी संक्रमित बीमारियों से जूझ रहे होते हैं। इन बीमारियों से किस प्रकार बचा जा सकता है, इसके बारे में लोगों को अच्छे से जानकारी नहीं है। संक्रमित मच्छरों से बचने के लिए रात को सोते हुए मच्छरदानी का उपयोग जरूर करें। ऐसी जगहें जहां डेंगू फैलने की अधिक संभावनाएं हो वहां पर पानी को जमने न दें जैसे कि प्लास्टिक बैग, गमले या कूलर। डेंगू से बचने के लिए त्वचा और कपड़ों पर मच्छर रेपेलेंट्स का उपयोग करें।”
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फ्यूमिगेशन क्या है
फ्यूमिगेशन एक रासायनिक पद्धति है जो कीट-पतंगों और वायरल को खत्म करने के लिए की जाती है। फ्यूमिगेशन का मेडिकल में उपयोग किया जाता है। इस प्रणाली में किसी क्षेत्र को पूर्णतः गैसीय कीटनाशक से भर दिया जाता है जिसके विषाक्त प्रभाव से कीट नष्ट हो जाते हैं। फ्यूमिगेशन का प्रयोग भवनों के अन्दर, जमीन पर, अनाज आदि में किया जाता है। सामान्यतया ऑपरेशन थिएटर में प्रत्येक सप्ताह साफ-सफाई के लिए फ्यूमिगेशन किया जाता है। फ्यूमिगेशन से किसी भी तरह के किटाणु नहीं बचते हैं। इसे जब भी किया जाता है तो खाने-पीने की चीजों को वहां नहीं रखा जाता है।
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