
कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है जो धीमी गति से विकसित होने वाले बैक्टीरिया माकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होती व बढ़ती है। यह एक भयावह रोग है, जिसे लेकर देश के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बड़ा ऐलान किया है। कोर्ट की स्पेशल बेंच ने कुष्ठ रोग के मुफ्त इलाज की उपलब्धता के बारे में जागरूकता फैलाने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने केंद्र व राज्य सरकारों से कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के लिए पुनर्वास योजना बनाने का निर्देश दिया है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र व राज्य सरकारों को निर्देश जारी किए और कुष्ठ रोग के मरीजों का उचित इलाज सुनिश्चित करने व उनके खिलाफ भेदभाव खत्म करने को कहा। अदालत ने कुष्ठ रोग के इलाज को लेकर सरकार को बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि कुष्ठ रोग मरीजों को परिवार या समुदाय से अलग नहीं किया जाना चाहिए।
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अदालत ने अपने फैसले में कहा, जागरूकता अभियान में यह बात जरूर शामिल होनी चाहिए कि कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को किसी विशेष क्लीनिक या अस्पताल या आरोग्य आश्रम में भेजने की जरूरत नहीं है और उसे परिवार के सदस्यों या समुदाय से अलग नहीं किया जाना चाहिए। प्रचार में यह बात सूचित करना चाहिए कि कुष्ठ रोग से पीड़ित एक व्यक्ति एक सामान्य वैवाहिक जीवन जी सकता है और बच्चे पाल सकता है, सामाजिक समारोह में भाग ले सकता है और सामान्य रूप से कार्य कर सकता या स्कूल जा सकता है। कुष्ठ रोग के मरीजों की समाज में स्वीकार्यता से और इस रोग से जुड़े कलंक को कम किया जा सकता है।
क्या है कुष्ठ रोग
कुष्ठ रोग का बैक्टीरिया छड़ी के आकार का होता है। कुष्ठ रोग सिर्फ त्वचा केा ही प्रभावित नहीं करता बल्कि यह नसों की सतह, ऊपरी श्वास नलिका और आंखों को भी प्रभावित करता है। यदि इस रोग का इलाज समय पर न किया जाए तो इससे त्वचा भद्दी हाने के साथ ही नसें हमेशा के लिए भी क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और पैरों में सनसनाहट खत्म होकर सुन्नता उत्पन्न हो सकती है। भारत में अधिकतर भीख मांगने वाले लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित होते हैं। कुष्ठ रोग की मुश्किल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारतीय परिवार में किसी भी सदस्य को कुष्ठ रोग होने पर उसे घर से बाहर निकाल दिया जाता है। ऐसे में भारत के कुष्ठ रोगियों के लिए हालत और भी भयावह हो जाते हैं।
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कुष्ठ रोग के लक्षण
- मांसपेशी में कमज़ोरी
- हाथों, बाहों, पैरों और पैरों में सुस्तता
- त्वचा क्षति
- त्वचा घावों के परिणामस्वरूप स्पर्श, तापमान या दर्द में सनसनी कम हो जाती है। वे कई हफ्तों के बाद भी ठीक नहीं होते हैं। वे आपकी सामान्य त्वचा टोन से हल्के होते हैं या उन्हें सूजन से लाल किया जा सकता है।
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