गर्भावस्था में फूड पॉइजनिंग होने के 6 लक्षण, कारण और बचाव के लिए जरूरी सावधानियां

प्रेगनेंसी के दौरान फूड पॉइजनिंग की समस्या होने पर महिलाओं को कई लक्षण नजर आ सकते हैं। जानें इसके कारण और बचाव...
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गर्भावस्था में फूड पॉइजनिंग होने के 6 लक्षण, कारण और बचाव के लिए जरूरी सावधानियां


जब कोई व्यक्ति असंतुलित आहार का सेवन करता है तो उसे फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। बता दें कि इसके कारण व्यक्ति को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं इसके लक्षण भी काफी दुखदायक हो सकते हैं। बता दें कि फूड प्वाइजनिंग एक संक्रामक रोग है जो भोजन द्वारा शरीर में बैक्टीरिया को पैदा कर सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रेगनेंसी के दौरान फूड पॉइजनिंग हो सकती है। अगर हां, तो यह कितना सुरक्षित है और कितना असुरक्षित। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग भी होना कैसा होता है। साथ ही इसके लक्षण, कारण और बचाव भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...

बता दें कि फूड पॉइजनिंग के लक्षण गर्भवती महिलाओं और आम लोगों में एक जैसे ही होते हैं। वहीं इसके प्रकारों की बात की जाए तो सबसे पहला प्रकार होता है लिस्टेरियोसिस, जोकि कच्ची सब्जी या कच्चा मीट आदि का सेवन करने पर हो सकता है। यह प्रकार डेरी प्रोडक्ट से भी हो सकता है। बता दें कि यह प्रकार आम लोगों की तुलना में गर्भवती महिलाओं को ज्यादा प्रभावित कर सकता है। वहीं अगर दूसरे प्रकार की बात की जाए तो उसका नाम है टॉक्सोप्लास्मोसिस, यह बेहद गंभीर प्रकार में से एक है। बता दें कि जिन लोगों के घर में बिल्ली है उन्हें इस समस्या का ज्यादा खतरा रहता है। क्योंकि यह बिल्ली के मल से फैलने वाली बीमारी है। वही तीसरा प्रकार है सालमोनेलोसिस, इसमें जो जानवर गली मोहल्ले में घूमते हैं उनके कारण इंफेक्शन शरीर में फैल सकता है। इसके कारण न केवल डिहाइड्रेशन की समस्या होती है बल्कि रक्त कोशिकाओं में हानिकारक बैक्टीरिया जगह बना लेते हैं। गर्भवती महिलाओं को ऐसे समय में गली मोहल्ले में घूमने वाले जानवरों से दूर रहना चाहिए।

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प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग के कारण (Causes of Food Poisoning During Pregnancy in Hindi)

प्रेगनेंसी के दौरान यदि किसी महिला को फ़ूड पॉइजनिंग की समस्या होती है, तो इसके पीछे निम्न कारण हो सकते हैं। यह कारण इस प्रकार हैं...

1 - यदि कोई महिला कच्चे मास का सेवन करती हैं तब यह समस्या हो सकती है।

2 - जब गर्भवती महिलाएं खाने का सेवन बिना हाथ घोएं करती हैं तब भी यह समस्या हो सकती है।

3 - अगर महिलाएं प्यास लगने पर तालाब या कुएं के पानी का सेवन करती हैं या बिना फिल्टर किए पानी का सेवन करें तब भी यह समस्या हो सकती है।

4 - खाना बनाते वक्त थोड़ी सी लापरवाही हानिकारक बैक्टीरिया पैदा कर सकती है जो महिला के पेट में जाकर फूड प्वाइजनिंग की समस्या पैदा कर सकते हैं।

5 - बाजार से लाई गई कच्ची सब्जियों का सेवन सीधे तौर पर करना या बिना धोए करना भी इसका एक कारण हो सकता है। खासकर गर्भवती महिलाएं कच्ची सब्जियों के सेवन से बचें।

गर्भावस्था में फूड पॉइजनिंग के लक्षण (Symptoms of Food Poisoning in Pregnancy in Hindi)

गर्भावस्था के दौरान यदि किसी व्यक्ति को फूड पॉइजनिंग हो जाता है तो उसमें निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं-

1 - महिलाओं के सिर में दर्द होना।

2 - महिलाओं को शारीरिक कमजोरी महसूस होना।

3 - महिलाओं को मतली या उल्टी आना।

4 - महिलाओं के पेट में मरोड़ होना।

5 - डायरिया की समस्या हो जाना।

6 - पेट में तेज दर्द होना।

गर्भावस्था में फूड पॉइजनिंग की समस्या से बचाव (Prevention Tips For Food Poisoning During Pregnancy in Hindi)

1 - गर्भवती महिलाएं खाना बनाते वक्त पूरा ध्यान खाने पर रखिए और साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें।

2 - गर्भवती महिलाएं बाजार से आई कच्ची सब्जी का सेवन बिना धोए ना करें।

3 - गर्भवती महिलाएं अपने आहार में जरूरी पोषक तत्वों को जोड़ें।

4 - अगर ऊपर बताए गए लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

5 - बाहर जाते वक्त तालाब या कुएं के पानी का सेवन ना करें। बिना फिल्टर किए पानी का सेवन बिल्कुल ना करें।

6 - पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल न करें।

7 - डिब्बाबंद या किसी पैकेट के खाने का सेवन ना करें।

8 - गर्भावस्था के दौरान दूध से बने खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।

9 - प्रेगनेंसी में उन चीजों का सेवन कम करना चाहिए, जिन्हें पचाने में पाचन तंत्र को अत्यधिक मेहनत करने की जरूरत होती है।

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गर्भवस्था में फूड पॉइजनिंग का इलाज (Food Poisoning Treatment During Pregnancy in Hindi)

बता दें कि जब गर्भावस्था के दौरान किसी महिला को फूड पॉइजनिंग की समस्या होती है तो निम्न तरीकों से इलाज किया जा सकता है-

इस समस्या में सबसे पहले मुख्य कारण का पता लगाया जाता है, जिसके लिए डॉक्टर मौखिक परीक्षण करते हैं। डॉक्टर परिस्थिति को देखकर बताते हैं कि महिला के लिए कौन सा मेडिकल टेस्ट सही रहेगा। उसके बाद फूड पॉइजनिंग का पता लगाते हैं। वही जैसा कि हमने पहले भी बताया कि फूड पॉइजनिंग की समस्या होने पर महिलाओं को दस्त व उल्टी जैसा महसूस होता है। ऐसे में डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है। इस स्थिति को कम करने के लिए डॉक्टर महिलाओं को भरपूर मात्रा में पानी पीने की सलाह देते हैं। वहीं वह उनकी डाइट में ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सिस्टम) घोल और सूप आदि को जोड़ने की सलाह देते हैं।

नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि प्रेगनेंसी के दौरान फूड पॉइजनिंग की समस्या महिलाओं को काफी मुश्किलों का सामना करा सकती है। बता दें कि फूड पॉइजनिंग बच्चे और महिला दोनों की सेहत के लिए सही नहीं है। ऐसे में महिलाओं को अगर फूड पॉइजनिंग के लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान साफ सफाई का बेहद ख्याल रखना जरूरी है। वहीं महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान अपने शरीर में कई तरह के बदलाव को महसूस करती हैं, जिसके कारण वह हो रहे लक्षणों को भी नजरअंदाज कर देती हैं। हम सलाह देते हैं कि महिलाओं को अगर कुछ भी नकारात्मक बदलाव नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी डाइट में कुछ भी जोड़ने या घटाने से पहले एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए।

इस लेख में इस्तेमाल की जानें वाली फोटोज़ Freepik से ली गई हैं।

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