
बाहर का खाना खाने से लोगों के शरीर में विषाक्त भोजन बन सकता है। इस परिस्थिति को इंग्लिश में फूड प्वाइजनिंग भी कहते हैं। इन तरह के खाने पर लोग जल्दी आकर्षित हो जाते हैं लेकिन बाहर के खाने से बीमारियों का शिकार भी हो जाते हैं, जिसके कारण पेट में दर्द, दस्त, बुखार आदि समस्याएं भी नजर आती हैं। बता दें कि फूड प्वाइजनिंग को फुटबोर्न इलनेस के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो इसका उपचार घर पर भी किया जा सकता है लेकिन जब लक्षण ज्यादा गंभीर हो जाते हैं तो डॉक्टर को दिखाना जरूरी हो जाता है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि फूड पॉइजनिंग के लक्षण, कारण और बचाव क्या हैं? साथ ही इस समस्या से बचने के लिए घरेलू उपचारों के बारे में भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...
फूड पॉइजनिंग के कारण (causes of food poisoning)
फूड पॉइजनिंग के पीछे निम्न कारण हो सकते हैं-
1 - किसी भी प्रकार के वायरस के कारण
बता दें कि फूड प्वाइजनिंग किसी भी वायरस के कारण होना आम बात है। यह वायरस नोरोवायरस के नाम से जाना जाता है। इससे अलग और भी कई ऐसे वायरस है जैसे- रोटावायरस, सेपोवायरस, एस्ट्रोवायरस आदि, जिनके कारण इस तरह की समस्या पैदा हो सकती हैं।
2 - परजीवी होने के कारण
बैक्टीरिया अगर शरीर में हो जाए तो वह फूड प्वाइजनिंग हो सकती है। लेकिन अगर कुछ परजीवी खाने के माध्यम से हुए हैं तो यह बेहद घातक हो सकते हैं। यह पाचन तंत्र में सालों तक पनपते रहते हैं और इनकी पहचान करना भी मुश्किल होता है हालांकि जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं।
3 - बैक्टीरिया होने के कारण
बैक्टीरिया बेहद प्रचलित कारणों में से एक हो सकता है, जिसके कारण शरीर में फूड प्वाइजनिंग हो सकती है। ऐसे में बाहर के खाने से ये समस्या पैदा हो सकती है।
ध्यान दें जो लोग किसी बीमारी जैसे डायबिटीज, लीवर संबंधित रोग आदि लंबी बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं यदि उन लोगों को फ़ूड पॉइजनिंग की समस्या हो जाए तो यह बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। इससे अलग वृद्धावस्था के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है तब भी यह समस्या बेहद घातक हो सकती है। गर्भवती महिलाएं भी समस्या से बचकर रहें। छोटे बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती है इसलिए फूड प्वाइजनिंग का खतरा बेहद खतरनाक हो सकता है।
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फूड पॉइजनिंग के लक्षण (symptoms of food poisoning)
बता दें कि फूड प्वाइजनिंग होने पर व्यक्ति को निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं-
1 - उल्टी आना
2 - शरीर में बुखार हो जाना
3 - पेट में दर्द या ऐंठन महसूस करना
4 - पतला दस्त हो जाना
5 - मतली आना
ध्यान दें कि यह लक्षण 2 या 3 घंटे के अंदर ही नजर आने शुरू हो जाते हैं।
कुछ गंभीर लक्षण भी हैं, जिनके दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। वह इस प्रकार हैं-
6 - दस्त हो जाना
7 - उल्टी या मल में खून आ जाना
8 - पानी की कमी हो जाना
9 - पेशाब ना आना
10 - प्यास लगना
11- शरीर में हद से ज्यादा कमजोरी महसूस करना
12 - पेट में असहनीय दर्द महसूस करना
13 - तापमान का बढ़ते चले जाना
14 - बार बार उल्टी जाना
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फूड प्वाइजनिंग का इलाज (remedies for food poisoning)
1 - तुलसी के माध्यम से फूड प्वाइजनिंग को रोका जा सकता है। बता दें कि तुलसी के अंदर सूक्ष्मजीवों से लड़ने के गुण पाए जाते हैं जो ना केवल इस समस्या को दूर करते हैं बल्कि पेट में भी ठंडक पहुंचाने का काम करते हैं। ऐसे में आप एक कटोरी दही में तुलसी की पत्तियां, काली मिर्च और नमक मिलाएं और अच्छे से मिलाकर इसका सेवन करें। इसके अलावा आप तुलसी के पत्तों की चाय या केवल तुलसी के पानी का सेवन भी कर सकते हैं।
2 - फूड प्वाइजनिंग की समस्या से लड़ने में लहसुन भी बेहद उपयोगी है। इसके अंदर एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं जो न केवल पेट के दर्द में आराम पहुंचाते हैं बल्कि दस्त जैसी समस्याओं से लड़ने में भी बेहद उपयोगी हैं। आप सुबह उठकर खाली पेट लहसुन की कलियों का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा इसके तेल से मालिश भी समस्या को दूर कर सकते हैं।
3 - नींबू के अंदर कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो भोजन के माध्यम से होने वाले बैक्टीरियस को दूर करने में बेहद मददगार है। बता दें इसके लिए आपको नींबू के रस में थोड़ा शहद मिलाकर सेवन करना होगा। इसके अलावा नींबू पानी में थोड़ा सा चीनी मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
4 - दही के सेवन से भी फूड प्वाइजनिंग की समस्या को दूर किया जा सकता है। दही पेट की समस्या से लड़ने में भी मददगार हैं। ऐसे में आप दही के पानी में शक्कर मिलाकर लस्सी तैयार कर सकते हैं। इसके अलावा आप फीकी दही का भी सेवन कर सकते हैं। साथ ही आप दही में काला नमक मिलाकर भी खा सकते हैं।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदु से पता चलता है कि फूड प्वाइजनिंग की समस्या होने पर व्यक्ति को क्या क्या लक्षण और कारण हो सकते हैं। ऐसे में नीचे दिए घरेलू उपाय आपकी समस्या को दूर करने में बेहद उपयोगी है। लेकिन अगर यह समस्या दूर नहीं होती है या आपको 3 दिन से ज्यादा दस्त रहते हैं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।