टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों को क्यों होता है डिमेंशिया (याददाश्त खोने) का खतरा? जानें कारण और बचाव के टिप्स

यदि आप टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित है तो आपको भविष्य में डिमेंशिया का खतरा हो सकता है। डिमेंशिया में याददाश्त व दैनिक गतिविधियां सभी प्रभावित होती हैं।
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टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों को क्यों होता है डिमेंशिया (याददाश्त खोने) का खतरा? जानें कारण और बचाव के टिप्स


अगर आपको डायबिटीज है तो आपको बहुत सारे रोग होने का खतरा रहता है। उन्हीं में से एक है कॉग्निटिव इंपेयरमेंट होने का खतरा। इसका अर्थ है कि उन्हें कुछ भी सोचने, ध्यान लगाने व याद रखने में परेशानी आती है। इसका एक उदाहरण डिमेंशिया नामक बीमारी है। डिमेंशिया बहुत सी स्थितियों या बीमारियों के लक्षणों का एक कलेक्टिव नाम है, जो कि दिमाग से संबंधित है। इसमें शरीर की अन्य गतिविधियां भी प्रभावित होती हैं। मुख्य रूप से यह हमारे शरीर के न्यूरॉन्स के डी जेनरेट होने के कारण होता है। इस कारण हमारी ब्रेन सेल्स प्रभावित होती हैं। ब्लड शुगर हाई होने के कारण दिमाग में कुछ केमिकल्स के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है। इससे हमारे शरीर में क्रोनिक इन्फ्लेमेशन हो जाता है जिस कारण कुछ ब्रेन सेल्स डेमेज हो जाती है। दरअसल टाइप-2 डायबिटीज बॉडी और ब्रेन की शुगर इस्तेमाल करने की क्षमता को प्रभावित करती है।

dementia due to diabetes

डायबिटीज के मरीजों में डिमेंशिया की संभावना  (Type 2 Diabetes Patients Prone To Dementia)

डिमेंशिया होने का खतरा आपकी उम्र के साथ साथ आपके जीन्स पर भी निर्भर करता है। एक स्टडी के अनुसार 65 साल से ऊपर के पुरुषों को डिमेंशिया होने की 25% से अधिक और महिलाओं को 32% से अधिक संभावनाएं होती हैं।

डिमेंशिया को प्रभावित करने वाले घटक (Factors affecting Diabetes and Dementia Patient)

वैसे तो डिमेंशिया रोग बहुत से फैक्टर्स पर निर्भर करता है। लेकिन सबसे अधिक प्रभावित करने वाला फैक्टर है डायबिटीज। इसलिए अपनी टाइप टू शुगर को नियंत्रित रखें। जो लोग शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं या अपनी शुगर लेवल को नियंत्रित नही रखते हैं उन लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी उन लोगों के मुकाबले कम होती है जो खुद को एक हेल्दी लाइफस्टाइल में रखते हैं। एक स्टडी के अनुसार जिन लोगों को डायबिटीज के साथ साथ डिमेंशिया होता है वह उन लोगों की मृत्यु संभावना दोगुनी होती है। डिमेंशिया से संबंधित अन्य निम्न बातें भी जानना जरूरी है। जैसे कि इस बीमारी के लक्षण और यह कितने प्रकार की हो सकती है।

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कैसे पहचाने डिमेंशिया के लक्षण? (Symptoms)

  • याददाश्त कमजोर होना
  • बहुत से घरेलू काम करते समय मुश्किल होना
  • बोलने में तकलीफ होना
  • चीजों को गलत जगह पर रख देना
  • बहुत अधिक मूड बदलना
  • व्यक्तित्व में बदलाव आना
  • कुछ नया शुरू करने की चाह खत्म होना

डिमेंशिया की स्टेज‌ (Stages Of Dementia)

stages of dementia

  • 1. माइल्ड कॉग्निटिव इंपेयरमेंट : यह उम्र बढ़ने के साथ साथ होता है और इस स्टेज के दौरान इंसान छोटी छोटी चीजें भूलने लगता है।
  • 2. माइल्ड डिमेंशिया : इस स्टेज में आपको याददाश्त खोना, दुविधा में होना, मूड और व्यक्तित्व बदलना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। 
  • 3. मॉडरेट डिमेंशिया : इस स्टेज को दौरान आपको माइल्ड डिमेंशिया जैसे ही लक्षण रहते हैं लेकिन वह और गहरे होने लगते हैं। इसमें आपको बाल कॉमब करने और तैयार होते समय भी मदद की आवश्यकता होगी।
  • 4. सीवर डिमेंशिया : इस स्टेज में मरीज को ज्यादा देख रेख की जरूरत होती है। उसे छोटे छोटे काम जैसे उठने व बैठने में भी दिक्कत महसूस होगी।

डिमेंशिया के प्रकार (Types)

  • 1. अल्जाइमर : इसमें मनुष्य के मस्तिष्क का साइज सिकुड़ जाता है और ब्रेन टिश्यू में बहुत कम नर्व सेल रह जाती हैं।
  • 2. लुई बॉडी के साथ डिमेंशिया : इस स्थिति के दौरान मनुष्य के ब्रेन का ढांचा असामान्य हो जाता है। इस दौरान ब्रेन के एक प्रोटीन में बदलाव हो जाता है।
  • 3. मिक्स डिमेंशिया : अगर डिमेंशिया के दो या ज्यादा प्रकार किसी इंसान को एक साथ हो जाते हैं तो उसे मिक्स डिमेंशिया कहा जाता है।
  • 4. पार्किंसन : इसे डिसऑर्डर ऑफ मूवमेंट भी कहा जा सकता है।
  • 5. हंटिगटन : इसमें इंसान अनियंत्रित गतिविधियां करने लग जाता है।

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डिमेंशिया को कैसे मैनेज कर सकते हैं? (Ways to Manage Dementia)

dementia treatment

अगर आप इन डिमेंशिया से ठीक होना चाहते हैं तो बहुत जरूरी है कि आप अपनी शुगर को नियंत्रित रखें। इसके लिए अपने मेडिकल इलाज के साथ साथ आपको कुछ अन्य बातों पर ध्यान करने की भी आवश्यकता है जैसे- 

  • आपको एक संतुलित वजन रखने की आवश्यकता है
  • हर रोज कम से कम आधा घंटा एक्सरसाइज करें।
  •  हेल्दी चीजें खाएं और अधिक जंक या शुगर से युक्त फूड न खाएं। 
  • अगर आप डायबिटीक हैं तो आपको अपना मील चार्ट भी डॉक्टर से बनवा लेना चाहिए।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन कम या न करना।
  • हृदय सम्बन्धित समस्या का ध्यान रखें।
  • बैड कोलेस्ट्रॉल को न बढ़ने दें।
  • होमो सिस्टेन ब्लड लेवल का ज्यादा बढ़ जाने पर चिकित्सक की सलाह लें।

अगर आप खुद को टाइप -2 डायबिटीज से बचा सकते हैं तो आप खुद को डिमेंशिया से भी सुरक्षित रख सकते हैं। इसलिए अपनी डायबिटीज को कंट्रोल रखें क्योंकि वह सभी मर्ज की जड़ है। इसलिए हेल्दी जीवन जिएं व खुद को बाहर के खाने और तनाव से दूर रखें।

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