
डिमेंशिया और अल्जाइमर दो ऐसी बीमारियां हैं, जिनके कारण बुढ़ापे में व्यक्ति की याददाश्त चली जाती है। व्यायाम के द्वारा इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।
आजकल के दूषित खान पान और तनाव के कारण लोग तेजी से बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। देखते ही देखते बीमारियां गंभीर होने लगती हैं। इसलिए बीमारी का पता लगने पर शुरूआत में ही उसका उपचार शुरू कर देना चाहिए। क्या आप अल्जाइमर और डिमेंशिया (Alzheimer and Dementia) के बारे में जानते हैं। यह एक प्रकार का मानसिक विकार है। स्मरण शक्ति, ,सोचने समझने में कठिनाई, विचलित रहना, शब्दों का चुनाव सही ढ़ंग से नहीं कर पाना आदि इस समस्या के लक्षण हैं। पहले यह बीमारी केवल अमूमन 70 वर्ष से उपर के बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन अब युवा भी तेजी से इसका शिकार हो रहे हैं। तनाव इसका सबसे अहम कारण माना जा सकता है। हालांकि शुरूआती दौर में व्यक्ति का व्यवहार सामान्य ही रहता है, लेकिन शुरूआती उपचार न मिलने पर मरीज की रोज की गतिविधियों पर काफी बुरी असर पड़ सकता है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि व्यायाम और ऐरोबिक्स (Aerobics) से भी यह बीमारी नियंत्रित होती है। आज हम आपको बताएंगे कि आप खुद को किस तरह फीजिकल एक्टीविटीज में शामिल करके डिमेंशिया को न केवल कम कर सकेंगे बल्कि इसे मात भी दे सकेंगे।
ऐसे करें ऐरोबिक्स को शामिल
ऐरोबिक्स एक्सरसाइज न सिर्फ आपको भीतर से प्रसन्न और तरोताजा करती है बल्कि कई रोगों से लड़ने में भी मदद करती है। डिप्रेशन के मरीजों को भी इस एक्सरसाइज को करने की सलाह दी जाती है। यदि अल्जाइमर्स डिमेंशिया के मरीज ऐरोबिक्स को नियमित रूप से करें तो चार से छह महीनों में इसके चौंका देने वाले परिणाम देखे जा सकते हैं। ऐरोबिक्स करने से धीरे-धीरे मरीजों को आनंद आने लगता है और वे खुद को अपने आसपास हो रही गतिविधियों से जोड़कर रखने लगते हैं, जिससे धीरे-धीरे उनके भूलने की समस्या में कमी आने लगती है। साथ ही उनके सोचने और समझने की शक्ति भी पहले की तरह हो जाती है। ऐरोबिक्स करने के और भी अनेकों फायदे हैं, जिससे गंभीर बीमारियां भी सामान्य होने लगती हैं। बुजुर्गों को इस एक्सरसाइज को करते समय खास ध्यान देने की जरूरत है। थोड़ी सी भी गलत स्ट्रैचिंग (Stretching) आपको नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि अपने चिकित्सक से सलाह लें।
इसे भी पढ़ें: जवानी की इन 12 गलतियों के कारण बुढ़ापे में होता है डिमेंशिया रोग, ये 8 आदतें बदलकर 40% तक घटा सकते हैं खतरा
योग को करें जीवन में शामिल
योग शारिरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास के लिए भी रामबाण माना जाता है। योग को अपनी जीवनशैली में शामिल कर अल्जाइमर और डिमेंशिया के मरीज स्वयं को पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं। ऐसे में आप खुद को भस्त्रिका (Bhastrika) आसन से जोड़ सकते हैं। मानसिक विकारों (Mental Illness) के लिए भस्त्रिका आसन अहम भूमिका निभाता है। यह आपके दिमाग को पूरी तरह से तनाव मुक्त रखने में मदद करता है साथ ही आपको शांतिपूर्वक रहने के लिए प्रेरित भी करता है। रोजाना कम से कम 15 मिनट यह आसन करने से कुछ ही दिनों में आपको इसके परिणाम मिलने लगेंगे। इससे आपका दिमाग स्थिर रहने के साथ काम करने के लिए भी अधिक तत्पर रहता है। चिकित्सकों द्वारा भी डिमेंशिया के रोगियों को एक थेरेपी के तौर पर इसे करने की सलाह दी जाती है।
मेडिटेशन करने से होते हैं ये लाभ
अल्जाइमर और डिमेंशिया दोनों ही बीमारी में मरीजों के दिमाग पर जोर नहीं पड़ना चाहिए। उन्हें हर समय तनावमुक्त रहना चाहिए और तनाव से निजात पाने के लिए मेडिटेशन (meditation) से बेहतर शायद ही कोई विकल्प है। ऐसे में मेडिटेशन किसी रामबाण से कम नहीं है। मेडिटेशन को अपने जीवन का हिस्सा बनाने वाले बहुत से मरीजों में देखा गया है कि उन्होंने मेडिटेशन के जरिए किस तरह खुद की मेमोरी लॉस (memory loss) की समस्या को फिर से पहले जैसा ही कर लिया।
इसे भी पढ़ें: अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) से बचने के लिए सुधारें मस्तिष्क की सेहत, पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह
साइकिलिंग करने से होता है लाभ
साइकिलिंग (Cycling) करना उच्च श्रेणी के शारीरिक व्यायामों में शामिल है। रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से न केवल खुद अल्जाइमर और डिमेंशिया से बचाया जा सकता है बल्कि अपने दिल को भी स्वस्थ रखा जा सकता है। ऐसा करने से आपके दिल की बीमारियों को होने वाले खतरे लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। डिमेंशिया में साइकिल चलाना इसलिए भी जरूरू है, क्योंकि साइकिल चलाने के दौरान मरीज खुद को व्यस्त रखता है। इस दौरान वह खुद को उर्जावान (Energetic) तो बनाता ही है साथ ही साइकिलिंग कर अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी मजबूत करता है।
अल्जाइमर डिमेंशिया को उपर दिए गए सुझाव अपनाकर निश्चित तौर पर नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही फीजिकल एक्टिविटीज में शामिल होकर आप कई अन्य बीमारियों को भी मात दे सकते हैं।
Read More Articles on Miscellaneous in Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।