
डिमेंशिया दिमाग की एक गंभीर बीमारी है, जो लोगों को आमतौर पर बुढ़ापे में होती है। डिमेंशिया के कारण व्यक्ति की याददाश्त में कमी आने लगती है, व्यवहार बदलने लगता है और कई बार तो रोजमर्रा के कामों को करना भी उसके लिए मुश्किल हो जाता है। आपने अपने आसपास भी ऐसे बहुत सारे बुजुर्ग देखे होंगे, जो चीजों, बातों, लोगों को बहुत जल्दी भूल जाते हैं, बहकी-बहकी बातें करते हैं या सही निर्णय नहीं ले पाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार दुनिया में 5 करोड़ से ज्यादा लोग डिमेंशिया का शिकार हैं और चिंता की बात ये है कि हर साल 1 करोड़ डिमेंशिया के नए मामले सामने आते जा रहे हैं। डमेंशिया के कारण होने वाली सबसे आम बीमारी अल्जाइमर है। डिमेंशिया के कारण लोगों का बुढ़ापा बहुत कष्टकारी हो जाता है क्योंकि ऐसा व्यक्ति की देखभाल करना अधिकतर परिवारों को बोझ लगता है। इसलिए डिमेंशिया से बचाव बहुत जरूरी है।
जवानी की कई गलतियां बनाती हैं बुढ़ापे में इस बीमारी का शिकार
डिमेंशिया के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण है खराब लाइफस्टाइल। जवानी में जिन चीजों को लोग शौक और जिंदगी बताकर आनंद लेते हैं, वही आदतें उन्हें बुढ़ापे में इस गंभीर बीमारी का शिकार बनाती हैं। वैसे तो डिमेंशिया के ढेर सारे कारण हो सकते हैं। लेकिन डिमेंशिया के जो भी कारण हैं, उनमें से कई को कंट्रोल किया जा सकता है। हाल में ही प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल द लैंसेंट (The Lancent) में भी एक रिसर्च छपी है, जिसमें बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति जवानी से ही अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव कर ले, तो डिमेंशिया के मामलों को 40% तक रोका जा सकता है।
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इन 12 कारणों से लोग होते हैं डिमेंशिया का शिकार
- कम पढ़ा-लिखा होना
- हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर)
- सुनने की क्षमता कम हो जाना
- सिगरेट पीने की आदत
- मोटापा
- डिप्रेशन
- फिजिकल एक्टिविटी न करना (एक्सरसाइज या काम कम करना)
- डायबिटीज
- लोगों से कम मिलना-जुलना या कम बात करना
- ज्यादा शराब पीना
- प्रदूषण वाले इलाके में रहना
- मस्तिष्क में कोई गहरी चोट लगना

इनमें से कई कारणों को रोककर घटा सकते हैं बीमारी का खतरा
द लैंसेंट की इस रिपोर्ट के मुताबिक इन 12 में से कई कारण ऐसे हैं, जिसे आप अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके रोक सकते हैं, जिससे डिमेंशिया के मामलों में 40% तक की कमी आ सकती है। अगर किसी व्यक्ति की उम्र 45 साल भी हो चुकी है, तो वो लाइफस्टाइल में बदलाव करके इस बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम कर सकता है। ये बदलाव इस प्रकार हैं-
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- बच्चों को अच्छी शिक्षा दें और खुद भी रोजाना कुछ न कुछ पढ़ते रहें।
- शराब पीने की आदत छोड़ दें या बहुत-बहुत कम पिएं।
- अपने ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें, इसे बढ़ने न दें।
- धूम्रपान (स्मोकिंग) की आदत को बिल्कुल छोड़ दें। यहां तक कि दूसरों के पिए गए सिगरेट का धुंआ भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है।
- अपनी फिटनेस का ध्यान रखें, मोटा होने से बचें।
- डायबिटीज से बचाव के लिए अच्छी डाइट लें और ब्लड शुगर कंट्रोल में रखें
- लोगों से मिलें-जुलें और सोशल लाइफ के लिए भी समय निकालें
- सुनने में परेशानी आती है, तो कान की मशीन का प्रयोग करें।
इस तरह अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके आप बुढ़ापे में होने वाली इस गंभीर बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं। बुढ़ापा एक ऐसी स्टेज होती है, जिसे डिमेंशिया जैसी बीमारियों के साथ काटना मुश्किल हो जाता है। इसलिए आपको अपने बुढ़ापे की चिंता करनी चाहिए और इन बदलावों को जीवन में जरूर शामिल करना चाहिए।
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