जब मानसिक क्षमता में कमी आ जाती है तो इस स्थिति को डिमेंशिया कहते हैं। जब ये अवस्था पैदा होती है तो व्यक्ति में सोचने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे उसका दैनिक जीवन काफी प्रभावित होता है। यह कोई बीमारी नहीं होती है। यह एक तरह का सिंड्रोम है जिसके लक्षण आम होते हैं। जब किसी व्यक्ति को डिमेंशिया होता है तो उसकी याददाश्त कमजोर हो जाती है, एकाग्रता में कमी आ जाती है, सोचने में कठिनाई होती है, वे छोटी-छोटी आम सी समस्याओं को भी नहीं सुलझा पाता, उसे शब्दों के चुनाव में कठिनाई होती है, जिससे उसके दैनिक जीवन में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा जो लोग डिमेंशिया से ग्रस्त होते हैं उनके व्यवहार में काफी बदलाव आ जाता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे समस्या गंभीर होती नजर आती है। इसका असर घर के कामकाज, रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि डिमेंशिया कितने प्रकार का होता है? इसके लक्षण, कारण और बचाव क्या हैं? पढ़ते हैं आगे...
डिमेंशिया के प्रकार (Types Of Dementia)
डिमेंशिया के कई प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं-
1- अल्जाइमर रोग डिमेंशिया
यह बेहद आम डिमेंशिया होता है। यह धीरे-धीरे शरीर में फैलता है। अल्जाइमर रोग होने के कारण दिमाग काफी परिवर्तित होता है, जिससे कुछ प्रोटीन निर्मित हो जाते हैं और तंत्रिका को नुकसान पहुंचाते हैं।
2- लेवी बॉडीज डिमेंशिया
यह डिमेंशिया का ही रूप होता है जो कोर्टेक्स में प्रोटीन के रूप में इकट्ठा हो जाने के कारण होता है। इसकी वजह से व्यक्ति में याददाश्त में कमी, भ्रम आदि स्थिति पैदा हो जाती है। वह असंतुलित, अनिद्रा वहम, अन्य गतिविधियों में कठिनाई आदि का सामना करता है।
3- वैस्कुलर डिमेंशिया
इसे डिमेंशिया को post-stroke या मल्टी इनफर्क्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह किसी व्यक्ति में तब होता है जब रक्त वाहिकाएं रुक जाती हैं। इसके अलावा स्ट्रोक या दिमाग में अन्य किसी प्रकार की चोट लग जाती है।
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4- पार्किंसंस रोग
यह एक न्यूरोडीजेनरेटिव अवस्था होती है, जो अल्जाइमर की तरह ही शरीर को प्रभावित करती है। जब किसी व्यक्ति को इस अवस्था का सामना करना पड़ता है तो वह रोजमर्रा की गतिविधियों, गाड़ी चलाने में कठिनाइयों महसूस करता है। इसके कारण भी कुछ लोगों को डिमेंशिया हो जाता है।
5- फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया
फ्रंटोटेंपोरल इसी का एक प्रकार होता है. जिसके कारण व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। इस परिस्थिति में वे न भाषा समझ पाता है ना बोल पाता है। बता दें कि फ्रंटोटेंपोरल रोग पिक रोग या प्रोग्रेसिव सुपर न्यूक्लियर पाल्सी के कारण होता है।
6- मिश्रित डिमेंशिया
यह डिमेंशिया का वह प्रकार होता है, जिसमें कई तरह के डिमेंशिया शामिल होते हैं। यह दिमाग में असमान्यताएं पैदा कर देता है। यह सबसे अधिक अल्जाइमर और वैस्कुलर डिमेंशिया में पाया जाता है। लेकिन इसके अन्य प्रकार के डिमेंशिया भी शामिल है।
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डिमेंशिया के लक्षण (Dementia Symptoms)
डिमेंशिया से पीड़ित लोगों में निम्न लक्षण नजर आते हैं-
बातचीत करने में कठिनाई महसूस करना, ऐसे लोगों में भाषा के साथ शब्दों को भूलना तथा उसकी जगह गलत शब्दों का प्रयोग करने से समस्या नजर आती है।
1- अचानक से मूड परिवर्तन होना या व्यवहार में बदलाव लाना।
2- किसी गली, अपनी जगह, सड़क आदि को भूल जाना।
3- याददाश्त कमजोर हो जाना, या एकदम चली खो जाना, बार-बार एक ही सवाल को पूछना।
4- रोज की जीवन शैली में रुकावट महसूस करना, घरेलू कार्यों में कठिनाई आना।
5- व्यक्तित्व में व्यवहार में बदलाव जैसे चिड़चिड़ापन, भयभीत आदि होना।
6- किसी भी काम में दिलचस्पी ना दिखाना।
7- अपनी चीजों को कहीं भी रख कर भूल जाना।
8- किसी भी चीज पर गंभीर विचार करना।
9- सामने वाले से बातचीत के दौरान झिझक महसूस करना।
डिमेंशिया के कारण
डिमेंशिया किसी भी व्यक्ति को सेरेब्रल कॉर्टेक्स में गड़बड़ी के कारण होता है। यह मस्तिष्क का एक भाग होता है जहां विचार करने निर्णय लेने या व्यक्तित्व को कायम करने का काम किया जाता है। इससे मस्तिष्क की कोशिकाएं खत्म हो जाती है और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा यह समस्या अन्य कारणों से हो सकती है-
1- दिमाग में ट्यूमर हो जाने के कारण
2- हार्मोन संबंधित समस्या जैसे थायराइड आदि होने के कारण
3- नशे की लत के कारण
4- हाइपोक्सिया यानी खून में खराब ऑक्सीजन होने के कारण
5- शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाने के कारण
6- हाइड्रोसिफलस के कारण
7- शरीर में संक्रमण हो जाने के कारण
8- सिर पर चोट लगने के कारण
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ध्यान दें कि डिमेंशिया दो प्रमुख कारको से बना है। अल्जाइमर और व वैस्कुलर।
ऐसे में यह जाना जरूरी है कि अल्जाइमर रोग वैस्कुलर डिमेंशिया किन कारणों से होता है। बता दें कि अल्जाइमर रोग दिमाग में असामान्य रूप से प्रोटीन जमा हो जाने के कारण होता है, जिससे कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। वही वैस्कुलर में वसा, कोलेस्ट्रोल और अन्य पदार्थ आर्टरी की परत के अंदर बाहर जम जाते हैं, जिससे मस्तिष्क में खून का प्रवाह रुक जाता है और स्ट्रोक आने की संभावना रहती है। ध्यान दें कि वैस्कुलर डिमेंशिया हाई कोलेस्ट्रॉल, दिल से संबंधित रोग, शुगर की बीमारी, हाई बीपी आदि के कारण भी हो सकता है।
डिमेंशिया से बचाव
बता दें कि अभी तक डिमेंशिया को लेकर किसी प्रकार की वैक्सीन नहीं बनी हैं। इससे बचने के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव करना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं इन बदलावों के बारे में-
1- व्यायाम है जरूरी
अगर व्यक्ति नियमित रूप से व्यायाम करें तो इससे मानसिक लाभ मिलते हैं। इसके अलावा कार्डियोवैस्कुलर व्यायाम भी बेहद जरूरी है वरना पैदल चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना आदि से मांसपेशियों को मजबूती मिलती हैं। यह भी स्वस्थ व्यायाम में से एक है। इनमें से ना केवल मस्तिष्क का रक्त प्रभाव पड़ता है बल्कि डिमेंशिया का खतरा भी कम होता है ऐसे में आप लोग नियमित रूप से व्यायाम को जोड़े। इससे हार्मोन संतुलित रहते हैं और डिमेंशिया को शुरू होने से रोक सकते हैं।
2- मानसिक गतिविधि से जुड़े
मानसिक गतिविधि अल्जाइमर के रोग को रोका जा सकता है, इससे मस्तिष्क सक्रिय रहता है। कोशिकाओं में भी संपर्क बना रहता है। ऐसे में मानसिक गतिविधि मानसिक शक्ति को बढ़ाता है। मानसिक व्यायाम से मतलब है कि नई चीजों को सीखने के लिए उतारू रहें, पुराने कार्य को दोबारा करने की बजाय कुछ नया करने के बारे में सोचें। नई चीजें दिमाग को तेज रखती है।
3- डाइट में जोड़े पोषक तत्व
अपनी डाइट में हरी सब्जियां, साबुत अनाज, फल, कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, कैल्शियम, फाइबर, मैग्नीशियम, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के फोलेट आदि को जोड़ें। स्वस्थ आहार से डिमेंशिया का खतरा कम हो जाता है।
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