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शरीर को इन 6 तरीकों से प्रभावित कर सकता है मेनोपॉज, जरूर बरतें सावधानी

महिलाओं में एक उम्र के बाद मेनोपॉज की स्थिति जरूर आती है। इस दौरान उनके शरीर में कई बदलाव आते हैं। आइए जानें इन बदलावों के बारे में।   
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शरीर को इन 6 तरीकों से प्रभावित कर सकता है मेनोपॉज, जरूर बरतें सावधानी

Menopause Effects On Body: उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के शरीर में भी बदलाव आते रहते हैं। मेनोपॉज की स्थिति भी इन्हीं बदलावों में शामिल है। इसे रजोनिवृत्ति नाम से भी जाना जाता है, जिसमें एक समय के बाद पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। करीब 45 से 55 साल की उम्र में पहुंचकर महिलाओं में यह स्थिति शुरू होने लगती है। मेनोपॉज में आने वाले सभी बदलाव साधारण होते हैं, लेकिन इस दौरान शरीर में कुछ बदलाव ऐसे भी होते हैं जिन पर समय से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इन बदलावों के बारे में जानने के लिए हमने बात की ऑरा स्पेशलिटी क्लिनिक (गुड़गांव) की डॉयरेक्टर और क्लाउड नाइन अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रितु सेठी। तो आइए इस लेख के माध्यम से जानें इन बदलावों के बारे में। 

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मेनोपॉज के समय क्या क्या परेशानी होती है? How Does Menopause Affect Your Body?

हार्मोनल बदलाव

मेनोपॉज एक नेचुरल प्रोसेस है, जो महिलाओं की जिंदगी में हार्मोनल बदलाव के कारण आता है। इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन का स्तर कम होने लगता है, जिस कारण शरीर में कई शारीरिक परिवर्तन आने लगते हैं। इन हार्मोनल बदलावों के कारण हॉट फ्लैशेश, रात को पसीना आना और पीरियड्स अनियमित होने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।

अक्सर बैचेन रहना 

मेनोपॉज के दौरान शरीर में कई बदलाव आते हैं, जिसमें हॉट फ्लैशेश, रात को पसीना और पीरियड्स अनियमित होना शामिल हैं। इन बदलावों को वासोमोटर लक्षणों में गिना जाता हैं,  जो शरीर में बेचैनी पैदा करने का कारण बन सकते हैं। इनके कारण नींद और रोजमर्रा के कार्य बाधित हो सकते हैं। वासोमोटर लक्षण हाइपोथैलेमस के परिवर्तन से जुड़े होते हैं जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

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योनि स्वास्थ्य में बदलाव आना

मेनोपॉज के दौरान वजाइनल और यूरिनरी बदलाव होना आम बात है। ऐसे में जेनिटोरिनरी बदलाव जैसे कि वजाइनल ड्राईनेस, वजाइनल वॉल पतली होना, योनि में नमी कम होना और सेक्स के दौरान परेशनी होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं यूरिनरी ट्रेक्ट में बदलाव आने के कारण भी यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन्स होने सकते हैं। 

मूड में बदलाव आना 

मेनोपॉज हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। इसके साथ कई साइकोलॉजिकल बदलाव आते हैं। इनमें मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा हो सकता है। वहीं इस दौरान आने वाले हार्मोनल बदलाव जीवन के अन्य कारकों के साथ मिलकर इमोशनल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकते हैं।

हड्डियां कमजोर होना

शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन हार्मोन बोन डेंसिटी को भी नुकसान कर सकता है। वहीं मेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन लेवल कम होने लगता है, जिस कारण महिला को ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होते जाना) का खतरा हो सकता है। हड्डियों के कमजोर होने से ऑस्टियोपोरोसिस के फ्रैक्चर और हड्डी की चोटों की संभावना बढ़ जाती है।

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हार्ट हेल्थ पर असर 

एस्ट्रोजन हार्मोन हमारी हार्ट हेल्थ के लिए भी जरूरी माना जाता है। मेनोपॉज के दौरान इसकी कमी होने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल में भी बदलाव आ सकता है। लेकिन अगर आप हेल्दी लाइफस्टाइल बनाए रखते हैं, तो इससे हार्ट हेल्थ को जोखिमों को कम किया जा सकता है। 

 अगर आप हेल्दी लाइफस्टाइल और हेल्दी डाइट की आदत बनाए रखते हैं, तो इन बदलावों के जोखिमों को कम किया जा सकता है।

 

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