
नए मां-बाप बच्चों की परवरिश में अक्सर कुछ गलतियां करते हैं। आइये आपको बताते हैं कि वो कौन-कौन सी गलतियां हैं।
कोई भी काम हो, अगर आप पहली बार करते हैं तो छोटी-मोटी गलतियों की संभावना तो होती ही है। अगर ये काम बच्चों की परवरिश और देखरेख का हो, तो संभावना थोड़ी बढ़ जाती है क्योंकि शिशुओं से संबंधित ऐसी बहुत सी बातें हैं, जिन्हें आप दूसरों से नहीं सीख सकतीं। जब मां पहली बार बच्चे को जन्म देती है, तो ये उसके शरीर के लिए दुनिया का सबसे कष्टकर काम होता है मगर उसके दिल के लिए इससे बड़ी खुशी की बात कोई नहीं हो सकती। नए मां-बाप बच्चों की परवरिश में अक्सर कुछ गलतियां करते हैं। आइये आपको बताते हैं कि वो कौन-कौन सी गलतियां हैं, जिन्हें नए मां-बाप अक्सर करते हैं। ताकि आप ये गलतियां न करें।
हर बात पर परेशान हो जाना
गर्भ में शिशु को कई सुविधाओं और सुरक्षा का एहसास होता है। ऐसे में शिशु को हमारे पर्यावरण में एडजस्ट होने में थोड़ा समय लगता है। इसके अलावा शिशु की पाचन क्षमता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और अन्य शारीरिक क्षमताएं पहले से विकसित नहीं होती हैं, बल्कि उनका धीरे-धीरे विकास होता है। इसी कारण से शिशु को अक्सर उल्टी, दस्त, बुखार और छोटी-मोटी परेशानियां होती रहती हैं। नए मां-बाप इन परेशानियों से अक्सर घबरा जाते हैं। हां, ये तो जरूरी है कि शिशु को कोई भी परेशानी होने पर आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए मगर इसके लिए हड़बड़ाहट की जरूरत नहीं है।
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शिशु को रोने न देना
माता-पिता के रूप में अक्सर हम सोचते हैं कि हमारा बच्चा कभी भी न रोए। दरअसल वयस्क होने पर हम तभी रोते हैं जब हमारे शरीर में कोई कष्ट होता है या हमें कोई परेशानी होती है। मगर शिशु के मामले में ये बात सही नहीं है। दरअसल रोना शिशु की स्वाभाविक क्रिया है और प्रकृति ने ये व्यवस्था उसके स्वास्थ्य के लिहाज से की है। दरअसल रोना शिशु का आपसे बात करने का एक तरीका है। इसलिए आपको शिशु के रोने के इशारों को समझना चाहिए और उस पर रोने के लिए गुस्सा नहीं करना चाहिए। हां, अगर शिशु लगातार रो रहा है और किसी परेशानी का इशारा कर रहा है, तब आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
उगलना और उल्टी में अंतर
नए मां-बाप अक्सर उगलना और उल्टी में अंतर नहीं कर पाते और घबरा जाते हैं। दरअसल जो चीज शिशु को पसंद नहीं आती है वो उसे उगल देता है या थूक देता है। मगर उल्टी अलग चीज है। उगलना और उल्टी करने में अंतर है। शिशुओं में उल्टी आमतौर पर कुछ खिलाने के 15 से 45 मिनट के बाद ही होती है जबकि उगलने की क्रिया खिलाने के साथ ही हो सकती है। इसलिए इस अंतर को समझें। किसी रोग की स्थिति में शिशु कुछ खिलाने के साथ ही उल्टी कर सकता है। मगर उसकी बदबू में थोड़ा अंतर होता है इसलिए इसे पहचाना जा सकता है।
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बुखार और शरीर की गर्मी में अंतर
नए मां-बाप अक्सर बुखार और शरीर की गर्मी में अंतर नहीं कर पाते हैं और छोटी-छोटी बात पर घबरा जाते हैं। चूंकि ज्यादातर समय किसी की गोद में या मोटे कपड़ों में होता है इसलिए कई बार उसका शरीर आपको गर्म लग सकता है। खासकर उस समय जब आपका शरीर शिशु के मुकाबले ज्यादा थंडा हो। ऐसे में तुरंत इसे बुखार मानकर शिशु को किसी तरह की दवा देना उसकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। शिशु के शरीर का तापमान जब 100.4 फॉरेनहाइट से तक या इससे ऊपर हो जाए, तब आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि ये बुखार का लक्षण है।
मुंह का खयाल न रखना
ज्यादातर माता-पिता शिशु के स्वास्थ्य और शरीर का खयाल तो रखते हैं, मगर मुंह की तरफ उनका ध्यान नहीं जाता जबकि शिशु को होने वाले ज्यादातर रोग और संक्रमण मुंह से रास्ते ही शिशु को प्रभावित करते हैं। शिशु के जब दांत आने शुरु हो जाएं तो उसे बिस्तर पर लिटाकर दूध नहीं पिलाना चाहिए। इससे दांतों में कैविटीज हो सकती हैं। बच्चे के मसूढ़ों को साफ करते रहना चाहिए।
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