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प्रीमेच्योर बेबी को जन्म के पहले सप्ताह में हो सकती हैं ये 5 स्वास्थ्य समस्याएं, सावधानी बरतना है जरूरी

प्रीमेच्योर बेबी को जन्म के बाद से ही कई तरह के रिस्क रहते हैं। उन्हें हार्ट प्रॉब्लम और सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
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प्रीमेच्योर बेबी को जन्म के पहले सप्ताह में हो सकती हैं ये 5 स्वास्थ्य समस्याएं, सावधानी बरतना है जरूरी

First Week Complications Of Premature Birth In Hindi: प्रीमेच्योर बेबी, वो होते हैं, जिनका जन्म समय से पहले हो जाता है। आमतौर पर सामान्य गर्भावस्था 40 सप्ताह तक चलती है। जब किसी शिशु का जन्म इस समय से पहले हो जाता है, तो उसे हम प्रीमेच्योर बेबी के रूप में जानते हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि प्रीमेच्योर बेबीज को शुरुआती दिनों से ही कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं लगी रहती है। इसके अलावा, उनका वजन कम होता है, शरीर से भी काफी कमजोर होते हैं और किसी भी तरह के संक्रमण की चपेट में ये आसानी से आ जाते हैं। इन सब बातों को देखते हुए, बहुत जरूरी है कि पेरेंट्स अपने प्रीमेच्योर बेबी बहुत ध्यान रखना बहुत जरूरी है। विशेष शुरुआती पहले सप्ताह में। असल में, शुरुआती पहले सप्ताह में प्रीमेच्योर बेबी को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इस संबंध में हमने पुणे स्थित मदरहुड हॉस्पिटल में कंसलटेंट नियोनेटोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. जगदीश कथवाटे से बात की।   

सांस संबंधी समस्या - Breathing Problem

breathing problem

प्रीमेच्योर बेबी को जन्म के पहले सप्ताह में सांस संबंधी समस्या हो सकती है। दरअसल, प्रीमेच्योर बेबीज का लंग्स पूरी तरह विकसित नहीं हुआ होता है। इस कारण, उन्हें बाहरी वातावरण में एड्जेस्ट करने में दिक्कतें होती हैं। वास्तव में सांस लेते वक्त लंग्स का फैलना जरूरी है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए लंग्स में मौजूद कई पदार्थ महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं। वहीं, प्रीमेच्योर बेबी में इन तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे सांस लेने के बाद उसका लंग पूरी तरह खुल नहीं पाता है। इस तरह की स्थिति को रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम कहा जाता है। हालांकि, जैसे-जैसे समय बीतता है, शिशु की स्थिति में सुधार होने लगता है। अगर किसी कारणवश ऐसा न हो, तो डॉक्टर उसका ट्रीटमेंट करते हैं।

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हृदय संबंधी समस्या - Heart Problem

heart problem

प्रीमेच्योर बेबी को हृदय संबंधी समस्या होने का रिस्क भी रहता है। इसकी वजह भी यही होती है कि हृदय अभी तक पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है। अगर बच्चे को स ही तरह से ट्रीटमेंट न दिया जाए, तो उसे हार्ट फेलियर या इससे जुड़ी अन्य तरह की समस्या हो सकती है। हृदय संबंधी समस्या के कारण, शिशु का ब्लड प्रेशर लो हो सकता है, जो उसके स्वास्थ्य को बुरी तरह बिगाड़ सकता है।

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मस्तिष्क संबंधी समस्या - Brain Problem

Brain problem

प्रीमेच्योर बेबी का जन्म समय से काफी पहले हो जाता है। ऐसे बच्चों को ब्रेन से जुड़ी प्रॉब्लम भी हो सकती है। विशेषकर, इन बच्चों को ब्रेन से ब्लीडिंग होने का रिस्क काफी ज्यादा रहता है। यह स्थिति एक तरह का ब्रेन हेमेरज है। प्रीमेच्योर बेबी में इससे लड़ने की क्षमता काफी कम होती है। वहीं, अगर समय रहते शिशु को प्रॉपर ट्रीटमेंट न मिले, तो उसकी स्थिति बद से बदतर हो सकती है।

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पाचन संबंधी समस्या - Digestive Problem

प्रीमेच्योर बेबी को पाचन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका शरीर अब तक खानपान के लिए पूरी तरह फिट नहीं हुआ था। ऐसे में अगर वे मां का दूध भी पिए, तो भी उनके पेट में दिक्कतें हो सकती हैं। हालांकि, कुछ समय बाद यह स्थिति अपने आप ठीक हो जाती है।

कमजोर इम्यूनिटी

प्रीमेच्योर बेबी बहुत कमजोर होते हैं और सामान्य से सामान्य संक्रमण से लड़ने के लिए उनका शरीर तैयार नहीं होता है। जाहिर है, ऐसा उनके कमजोर इम्यूनिट के कारण होता है। विशेषज्ञों की मानें, तो प्रीमेच्योर बेबी के रक्त में संक्रमण बहुत तेजी से फैल सकता है, जिसे समय पर ट्रीटमेंट दिया जाना जरूरी है। क्योंकि, कई बार संक्रमण प्रीमेच्योर बेबी के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।

image credit: freepik

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