
समय से पहले जन्मे बच्चे यानी प्रीमेच्योर बेबी (Preterm Baby) को जन्म के समय बाद बहुत अधिक देखभाल की जरूरत होती है। प्रीमैच्योर या प्रीटर्म बेबी वो होते हैं जो गर्भावस्था के 37 सप्ताह पूरे होने से पहले जन्म लेते हैं। जब बच्चा समय से पहले जन्म लेता है। इन बच्चों को अस्पताल में आईसीयू में रखा जाता है और इस दौरान उनकी विशेष देखभाल की जाती है। इन बच्चों के शरीर के सभी अंग ठीक से विकसित नहीं हुए होते हैं और इनके इम्यून सिस्टम भी अन्य बच्चों की तुलना में काफी कमजोर हो सकता है। साथ ही इन बच्चों को पोषण भी पर्याप्त नहीं मिल पाता है, और जन्म के समय इनमें कई जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है। ऐसे बच्चों को कई गंभीर रोगों से ग्रसित होने का भी अधिक जोखिम होता है। इसके अलावा इनका पाचन तंत्र भी कमजोर होता है, जिससे इनके लिए किसी भी चीज को पचा पाना और उससे पोषक तत्वों का अवशोषण कर पाना मुश्किल होता है। इसलिए उन्हें पहले एनआईसीयू में और बाद में घर पर विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इस लेख में हम बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सांची रस्तोगी (MD Paediatrics) से जानेंगे समय से पहले जन्मे बच्चे (प्रीमैच्योर बेबी) की देखभाल कैसे करें (How To Take Care Premature or Preterm Baby In Hindi)।
समय से पहले जन्मे बच्चे (प्रीमैच्योर बेबी) की देखभाल के लिए 4 टिप्स (Premature Baby Care Tips In Hindi)
1. कंगारू केयर दिया जाना चाहिए
समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं में मांसपेशियों और त्वचा के नीचे चर्बी (ब्राउन फैट) कम होती है, जो गर्मी पैदा करने में मदद करती है। जिसके कारण वे आसानी से हाइपोथर्मिक बन सकते हैं। इसलिए उन्हें गर्म और ढककर रखना, साथ ही ठंडी हवा से बचाना महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि बच्चों को एनआईसीयू में रेडिएंट वार्मर में रखा जाता है। जब बच्चे को आईसीयू से घर लाया जाता है, तो इन बच्चों को हाइपोथर्मिया को रोकने और उनके विकास में सुधार करने के लिए स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट या कंगरू मदर केयर (kangaroo mother care) दिया जाना चाहिए।
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2. थोड़े-थोड़े समय बाद दूध पिलाना चाहिए
समय से पहले जन्मे बच्चों को केवल डिमांड फीडिंग के बजाय शेड्यूल फीडिंग करानी चाहिए। इसके लिए आपको समय से पहले जन्मे बच्चे के भूख के संकेतों को समझने की जरूरत है, क्योंकि वे सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक सोते हैं। चूंकि फीडिंग की कमी से उन्हें हाइपोग्लाइसीमिया (निम्न रक्त शर्करा) विकसित होने का खतरा होता है, इसलिए समय से पहले बच्चों को हर 2-3 घंटे में दूध पिलाने की सलाह दी जाती है।/p>
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लेकिन कौन सा दूध पिलाएं ब्रेस्टमिल्क या फॉर्मूला मिल्क?
प्रीटर्म बेबी के लिए ब्रेस्टमिल्क हमेशा एक बेहतर विकल्प होता है क्योंकि उनके पास एक अपरिपक्व पाचन तंत्र होता है। मां का दूध प्रोटीन की गुणवत्ता और अन्य सामग्री के कारण उनके लिए बेहतर अनुकूल होता है। साथ ही इससे बच्चे को एलर्जी की संभावना भी कम होती है। पशुओं का दूध पिलाने से बचें क्योंकि इसे पचाना मुश्किल होता है।
3. बच्चे के विकास की निगरानी करें
समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं के ग्रोथ चार्ट सामान्य बच्चों के ग्रोथ चार्ट से अलग होते हैं। इन्हें फेंटन ग्रोथ चार्ट कहा जाता है, बच्चे की जांच और निगरानी उसी के अनुसार की जानी चाहिए।
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4. सप्लीमेंट्स दें
चूंकि प्रीटर्म में आयरन को स्टोर करने की क्षमता कम होती है, इसलिए उनमें एनीमिया होने की संभावना अधिक होती है, जिसे समय से पहले का एनीमिया कहा जाता है। इसलिए, बच्चे को 2 सप्ताह के बाद से आयरन सप्लीमेंट देना शुरू करने की सलाह दी जाती है। इसी तरह, प्रीमैच्योर बेबी समय से पहले ऑस्टियोपीनिया से भी ग्रस्त हो सकते हैं। इसलिए उन्हें विटामिन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट्स देने की सलाह दी जाती है।
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