बच्‍चों की सेहत से खिलवाड़ है उनको जबरन खिलाना

लगभग हर मां-बाप को लगता है कि उनका बच्‍चा जितना अधिक खायेगा उसकी सेहत के लिए उतना ही अच्‍छा रहेगा। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि बचचों को ठूंस-ठूंस के खिलाना बच्‍चों की सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
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बच्‍चों की सेहत से खिलवाड़ है उनको जबरन खिलाना


कुछ माता-पिता अपने बच्चे की इच्छा के विरूद्ध उसे खाने के लिए मजबूर करते हैं। उन्हें लगता है कि उनका बच्चा जितना अधिक खा ले उतना ही अच्छा है। पर मां-बाप की इस सोच को वैज्ञानिकों ने बच्चे के लिए बेहद खतरनाक बताया है। जी हां अगर आप भी ऐसे ही पेरेंट्स में से एक हो जो अपने बच्चों को ठूंस-ठूंस कर खिलाते हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि एक शोध में यह बात सामने आई है कि ऐसा करने से बच्चे का वजन बेवजह बढ़ जाता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है।

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दीर्घकालीन अध्ययन का हिस्सा

यह शोध 'पीडियाट्रिक सायकोलॉजी' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। और यह शोध दीर्घकालीन अध्ययन का हिस्सा है, जो कई वर्षो तक बच्चों के मनोवैज्ञानिक तथा मनो-सामाजिक विकास पर अध्ययन करता है।


शोध के अनुसार

शोध के अनुसार, "यदि बच्चों को प्लेट में बचा एक-एक दाना खाने पर जोर दिया जाता है, तो वे अपने शरीर के संकेतों को समझना बंद कर देते हैं और तब तक खाते हैं, जब तक उनके माता-पिता खुश न हो जाएं।" खाने के सामान्य व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है कि बच्चे खुद तय करने दें कि वह कितना खाना चाहते हैं।

शोध के नतीजे

नार्वे यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में सहायक प्रोफेसर सिल्जे स्टेनस्बेक के अनुसार, "कुछ बच्चों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) अन्य बच्‍चों की तुलना में क्यों बढ़ता है, यह जानने के लिए हमने उनकी शारीरिक गतिविधियों, टेलीविजन टाइम तथा भूख पर ध्यान केंद्रित किया।"
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स्टेंसबेक के अनुसार, "अध्ययन से यह बात सामने आई कि उन बच्चों के बीएमआई में ज्यादा वृद्धि होती है, जिनमें भोजन उनके खाने के स्वभाव को प्रभावित करता है। वे कितना खाते हैं यह भूख के हिसाब से तय नहीं होता, बल्कि खाने को देखकर तथा उसके गंध से तय होता है।"

 
Image Source : Getty

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