दूध पीने से पहले डेयरी फर्म के बारे में जान लें ये 5 बड़ी बातें, नहीं पड़ेंगे बीमार!

फेडरेशन ऑफ इंडिया एनिमल प्रोटेक्‍शन ऑर्गेनाइजेशन के नाम से एक ऐसा अभियान चला रहा है जिसके माध्‍यम से लोगो को डेयरी और डेयरी उत्‍पादन के पीछे की सच्‍चाई से अवगत कराना है और स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रकाश डालने का काम कर रही है। डेयरी उद्योग की प्रथाओं पर विचार करने के लिए 8 तथ्‍य हैं जिनके बारे में हर किसी को जानना चाहिए।
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दूध पीने से पहले डेयरी फर्म के बारे में जान लें ये 5 बड़ी बातें, नहीं पड़ेंगे बीमार!


जानवर भी मनुष्य की ही तरह संवेदनशील प्राणी हैं। वे मनुष्य की ही तरह दर्द और खुशी महसूस कर सकते हैं। गाय और भैंसों के मामले में मानव उपभोग के लिए दूध का उत्पादन उन्हें अत्यधिक दर्द का कारण बनता है। भारत में डेरी इंडस्‍ट्री का विकास श्‍वेत क्रांति के बाद से विकसित होना शुरू हुआ और इसके साथ ही बीफ के निर्यातक के तौर पर भी देश आगे बढ़ा है, हालांकि इसके साथ डेयरी उद्योग को अस्‍वीकार भी किया जा रहा है। वाणिज्यिक फायदे के लिए पशुओं का शोषण किया जा रहा है। ऐसा दुनिया के कई हिस्‍सों में देखने को मिलता है। भारत में स्थिति थोड़ी अलग है।

यहां करोड़ों लोग ऐसे भी हैं जो जानवरों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और शाकाहारी जीवनशैली को अपनाते हैं। फेडरेशन ऑफ इंडिया एनिमल प्रोटेक्‍शन ऑर्गेनाइजेशन के नाम से एक ऐसा अभियान चला रहा है जिसके माध्‍यम से लोगो को डेयरी और डेयरी उत्‍पादन के पीछे की सच्‍चाई से अवगत कराना है और स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रकाश डालने का काम कर रही है। डेयरी उद्योग की प्रथाओं पर विचार करने के लिए 8 तथ्‍य हैं जिनके बारे में हर किसी को जानना चाहिए।

पशुओं को बंधक बनाना

बोवाइन एक ऐसा जानवर है जो भारी मात्रा में दूध देता है। मनुष्य इतना लालची और मतलबी होता है कि अपने फायदे यानि कि दूध के लिए इन्हें हमेशा रस्सी से बांध कर रखता है। जिन लोगों के पास अपने फॉर्महाउस होते हैं और जो दूध बेचने का काम व्यापार के तौर पर करते हैं उनके यहां जाकर यदि आप देखेंगे तो पाएंगे कि जानवर बड़ी बेरहमी के साथ बंधे होते हैं। हैरानी की बात यह है कि एक बोवाइन को रहने के लिए भी सिर्फ 3.5मीटर जगह दी जाती है।

गोबर का बर्बाद

ये तो सभी जानते हैं कि जानवरों में गाय और भैंस ही ऐसे एकमात्र माध्यम हैं जो गोबर देते हैं। अगर समझदारी से काम लिया जाए तो इस गोबर को कई तरह से उपयोग में लाया जा सकता है। लेकिन समझदारी की कमी और जगह के अभाव के चलते किसान इन्हें यू ही पानी में बहा देते हैं। जो बर्बाद होने के साथ ही कई बीमारियां का भी कारण बनता है।

इंजेक्शन का भी होते हैं शिकार

अपने फायदे के लिए मनुष्य की प्रताड़ना सिर्फ यही खत्म नहीं होती है। बल्कि वह ज्यादा दूध के लिए गाय भैसों को इंजेक्शन भी लगाते हैं। ऐसे में यदि इंसानियत से सोचा कि क्या यह वाकई में सही है तो शायद हम लोगों को खुद पर ही शर्म आ जाएगी। क्योंकि हम सोच सकते हैं कि यदि कोई ऐसा हमारे साथ करें तो हमें कैसा महसूस होगा?

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सफाई का अभाव

डेयरी फार्म में प्रचलित साफ सफाई का अभाव यानि कि जब मादा भैंस मासिक धर्म से गुजरती हैं या फिर उनका बच्चा होने के पर जब उनके स्तनों में सूजन आती है तो ये सब दूध के साथ मिलकर आती है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं जब उनके स्तन दबते होंगे तो उन्हें कितना दर्द होता होगा साथ ही यह गंदा पदार्थ दूध के साथ निकलते है। जो कई बीमारियों का कारण भी बन सकता है।

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