दूध के पोषक तत्व और फायदों के चलते इसका सेवन कंप्लीट फूट यानी संपूर्ण आहार के तौर पर किया जाता है। लेकिन अगर इसका सेवन आवश्यकता से अधिक मात्रा में किया जाए तो यह सेहत के लिए जोखिम भरा भी साबित हो सकता है। जी हां आपको सुनकर भले ही थोड़ी हैरानी हो, लेकिन एक शोध में बताया गया कि दिन में तीन ग्लास से अधिक दूध का सेवन असमय मृत्यु का जोखिम बढ़ा सकता है। चलिये विस्तार से जानें कि ये मजरा क्या है।
तीन गिलास से ज्यादा दूध पीना हानिकार : शोध
अब तक दूध पीना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक ही माना जाता रहा है, क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन डी हड्डियों को मजबूत करता है, लेकिन स्वीडन के अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी एक रिपोर्ट में इससे ठीक उलट ही खुलासा किया है। स्वीडन की उप्पसला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि एक दिन में तीन ग्लास यानी 0.709 लीटर से अधिक दूध का सेवन करने वाले लोगों को असमय मृत्यु का जोखिम अधिक रहता है।
शोध के प्रमुख शोधकर्ता 'कार्ल माइकलसन' के मुताबिक, दूध में मौजूद लैक्टोस और गैलेक्टोस शुगर की अधिकता मात्रा स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। दरअसल इस शोध के दौरान 61,000 महिलाओं और 45,000 पुरुषों पर 20 साल तक अध्ययन किया गया और पाया गया कि रोजाना तीन ग्लास से ज्यादा दूध पीने वाले लोगों में असमय मुत्यु का जोखिम सामान्य लोगों की तुलना में दोगुना तक हो सकता है। शोध के दौरान प्रतिभागियों को दूध समेत 96 प्रकार की डाइट का सेवन कराया गया और फिर उनका गहन परीक्षण किया गया है। जिसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्यादा दूध के सेवन से शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है, जिस वजह से असमय मृत्यु व हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है।
शोध के निष्कर्ष से संकेत मिले कि वास्तव में तो थोड़ा दूध पीने वाली महिलाओं की तुलना में, अधिक दूध पीने वाली महिलाओं की हड्डियों के टूटने की आशंका अधिक होती है। दिन में तीन गिलास या अधिक दूध पीने वाली महिलाओं में हड्डियां टूटने का खतरा 16 प्रतिशत तक बढ सकता है। तथा कूल्हे की हड्डी टूटने का खतरा 60 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। पुरुषों में भी यह आंकडा बेहतर नहीं है।
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क्या कारण है?
कार्ल के अनुसार ज्यादा दूध पीने वाले लोगों के स्वास्थ्य की निगरानी करने पर पाया गया कि इनकी असमय मृत्यु की आशंका अधिक रहती है। साथ ही इनकी हड्डियों में विटामिन डी से होने वाली मजबूती भी नहीं दिखाई पड़ती। उनके अनुसार, हाल के दशकों में दूध से होने वाले लोभों में भी गिरावट देखी गई है।
कार्ल के मुताबिक ऐसा दूध में पाए जाने वाली खास प्रकार की शर्करा के कारण होता है। इससे शरीर में जलन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस की समस्या होती है। वहीं जानवरों पर किए गए एक परीक्षण में इसके कारण कोशिकाओं को नुकसान होता भी पाया गया।
दही और पनीर हैं दूध से बेहतर विकल्प
प्रोफेसर माइकलसन के अनुसार, दूध के बजाए दही और चीज़ अधिक फायदेमंद पाए गए हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि, यह शुरुआती अध्ययन है और इस विषय पर अभी विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है।
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