मानसिक बीमारियों से जूझ रहे युवाओं के लिए कितना जरूरी है कोरोना वैक्सीन लगवाना? जानें मनोचिकित्सक से

कोरोना महामारी में मानसिक रोगियों की समस्याएं ज्यादा बढ़ गई हैं। ऐसे में उन्हें वैक्सीन लगवाना जरूरी है। ताकि उनकी परेशानियां और न बढ़ें।
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मानसिक बीमारियों से जूझ रहे युवाओं के लिए कितना जरूरी है कोरोना वैक्सीन लगवाना? जानें मनोचिकित्सक से

न्यूरोसिस और साइकोसिस दो तरह की मानसिक बीमारियां होती हैं। कोरोनाकाल में न्यूरोसिस वाले मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं जिसमें चिंता, तनाव, ओवरथिकिंग और एंग्जाइटी जैसी परेशानियां सामने आती हैं। कोरोना कू दूसरी लहर से लोग बुरी तरह डर गए हैं। सोशल मीडिया से लेकर हर फोन कॉल तक किसी के मरने की खबरे दे रही है। ऐसे में लोगों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। जिन लोगों को कोई मानसिक बीमारी नहीं थी, वे भी इस कोरोनाकाल में चिंता, तनाव और एंग्जाइटी (Mental health during coronavirus) से जूझ रहे हैं। ऐसे में वे लोग जिन्हें ये बीमारियां पहले से थीं, उनकी परेशानी और बढ़ गई है। दूसरी तरफ साइकोसिस में शिज्रोफेनिक, बाइपोलर जैसी बीमारियां शामिल होती हैं। इन मरीजों की हालत पहले ही खराब थी, कोरोना की वजह से इनके मानसिक स्वास्थ्य (Mental health during coronavirus) पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। ऐसे मरीज जो किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं उनके लिए वैक्सीन लगवाना कितना जरूरी है, इस पर हमने बात की गुरुग्राम के अवेकनिंग रिहैब की मनोचिकित्सक प्रज्ञा मलिक से।

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मानसिक रोगियों को क्यों जरूरी है वैक्सीन लगवाना?

डॉक्टर प्रज्ञा मलिक का कहना है कि कोरोना ने सभी को ऐसे डरा दिया है कि अगर घर में कोई फोन की घंटी बजती है तो लगता है कोई बुरी खबर न हो। उन्होंने बताया कि ऐसे वक्त में मानसिक रोगी तो परेशान हैं ही लेकिन वे लोग जिन्हें कोई मानसिक रोग नहीं है, वे भी परेशान हैं। डॉक्टर प्रज्ञा ने निम्न कारण बताए हैं मानसिक रोगियों के लिए वैक्सीन लगवाना (Importance of vaccine) क्यों जरूरी है।

कोरोना से बचाव

डॉक्टर प्रज्ञा मलिक का कहना है कि कोरोना से पहले भी कई बीमारियां आईं, जिनका इलाज वैक्सीन से निकला। कोरोना का इलाज भी वैक्सीन है। जो लोग वैक्सीन लगवा रहे हैं उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से मदद मिल रही है। जिन लोगों में कोरोना का डर है वे जब वैक्सीन लगवा लेते हैं, तब उन्हें मानसिक शांति मिलती है। और में आता है कि अब उन्हें कोरोना नहीं होगा। इस वजह से उनका शरीर और मन दोनों मजबूत रहते हैं। इसलिए मानसिक रोगियों को वैक्सीन लगवाना चाहिए। 

नकारात्मक विचारों से मुक्ति

डॉक्टर मलिक का कहना है कि ओसीडी जैसे मरीज जिन्हें बार-बार चीजें ठीक करने की आदत होती है। उनमें भी बार-बार हाथ धोना या हाइजीन का ज्यादा ध्यान रखने से चिड़चिड़ापन और चिंता बढ़ रही है। ऐसे मरीजों में नकारात्मक विचार ज्यादा पनप रहे हैं। ऐसे में अगर आप वैक्सीन लगवा लेते हैं तो कोरोना से मरने की स्थिति नहीं आएगी। वैक्सीन से कोरोना मरता नहीं पर बीमारी की गंभीरता को कम कर देता है।

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मजबूत इम्युनिटी और मानसिक शांति

वैक्सीन लगने से शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनती हैं। जिनसे अगली बार जब कोरोना आप पर अटैक करेगा तो आपका शरीर उससे लड़ने को तैयार होगा। इससे आपकी इम्युनिटी बढ़ेगी। आप वैक्सीन से खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएंगे जिससे आपको मानसिक शांति मिलेगी। 

वैक्सीन अलर्ट महसूस कराती है

जो मरीज शिज्रोफेनिक या बाइपोलर कंडीशन में हैं, उनकी पहले ही दवाएं चल रही होती हैं। ऐसे में उनकी मानसिक हालत और ज्यादा न बिगड़े उनके लिए वैक्सीन लेना बहुत जरूरी है। वैक्सीन से आप अलर्ट रहते हैं। वैक्सीन कोरोना के खतरे को कम करती है। 

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अधिक तनाव होने पर करें ये उपाय

मानसिक रोगी हों या स्वस्थ लोग इस वक्त कोरोना ने सभी को मानसिक रोगी बना दिया है। डॉक्टर प्रज्ञा मलिक ने यहां कुछ उपाय बताए हैं जिनसे आप चिंता, तनाव, डर, अवसाद से बाहर निकल सकते हैं।

ब्रिदिंग एक्सरसाइज

कोरोना में लोगों को एंग्जाइटी हो रही है और उसकी वजह से उनकी सांस फूल रही है। जब आपको ऐसा हो तब आप ब्रिदिंग एक्सरसाइज करें। ब्रिदिंग एक्सरसाइज का एक पैटर्न है। जिसे 6, 7, 8 कहते हैं। 6 सैकेंड में सांस को लेना है। 7 सैकेंड तक होल्ड करना फिर 8 सैकेंड में छोड़ना है। इस तरह से आपको रिलीफ मिलेगा। और मानसिक शांति मिलेगी। 

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फिजिकल एक्सरसाइज

इस बार कोरोना युवाओं को ज्यादा प्रभावित कर रहा है। ऐसे में उनमें नौकरी को लेकर भी असुरक्षा का भाव पनप रहा है। ऐसे युवा मानसिक रूप से ज्यादा प्रभावित हैं। कोरोना से बचने के लिए खुद को फिट रखना बहुत जरूरी है। उसके लिए आप 20 मिनट तक कार्डियो एक्सरसाइज करें। जब हमारे शरीर से पसीना आने लगेगा तब यह फायदेमंद है। इसे करने से चिंता कम हो जाती है।

सकारात्मक सोचें

इस वक्त कहीं से अच्छी खबरें नहीं आ रही हैं। पर अगर आपने अपनी सोच सकारात्मक नहीं रखी तो आपको दिक्कत होने लगेगी। इसलिए ज्यादा डर होने पर आप सोचें कि आप ठीक हैं, आपका परिवार ठीक है। खुद को मोटिवेट करते रहें, तब सबकुछ ठीक हो जाएगा। 

खानपान की आदत

डॉक्टर प्रज्ञा ने बताया कि इस वक्त लिक्विड डायट ज्यादा लें। जूसी फ्रूट लें। यह फूड अस्थमा, एंग्जाइटी, डर आदि को बाहर निकालते हैं। इनसे मेंटल हेल्थ को आराम मिलेगा। 

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वैक्सीन को लेकर मानसिक रोगियों के सवाल  (FAQs related with COVID vaccine)

क्या किसी मानसिक बीमारी की दवा चलने पर भी वैक्सीन लगवाई जा सकती है?

हां। डॉक्टर प्रज्ञा मलिक का कहना है कि मानसिक रोग हों या कोई और रोग सभी को वैक्सीन लगवाना चाहिेए। मानसिक रोगों की दवा चलने पर भी वैक्सीन का कोई नुकसान नहीं होगा। लेकिन अगर फिर भी आपको ज्यादा दिक्कत हो रही है तो डॉक्टर से बात करें। 

क्या वैक्सीन सुरक्षित है?

हां। वैक्सीन सुरक्षित है। अब कोरोना का इलाज वैक्सीन ही है। विशेषज्ञों का दावा है कि वैक्सीान पूरी तरह से सुरक्षित है। पहली डोज के बाद कुछ बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जो कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। 

कुछ लोग जो वैक्सीन ले चुकें हैं वे फिर से कोविड पॉजिटिव क्यों हो रहे हैं?

इस सवाल के जवाब में डॉक्टर प्रज्ञा कहती हैं कि कोविड वैक्सीन लगने के बाद शरीर में एंटीबॉडी बनने में 10 से 12 दिन लगते हैं। इस बीच में आपको वापस कोविड हो सकता है। पर कोरोना की गंभीरता कम होगी। आपको अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आएगी। 

वैक्सीन लेने के बाद ज्यादा घबराहट होती है, तब क्या करें?

ऐसा बहुत बार जब हम इंजैक्शन लगवाने जाते हैं तब लोग उससे डरते हैं, लेकिन उस इंजैक्शन से आपका फायदा होगा, नुकसान नहीं। वैक्सीन लगने के बाद घबराहट इसलिए होती है क्योंकि आपके दिमाग में वैक्सीन लेकर श्योरिटी नहीं है। पर यह सुरक्षित है। वैक्सीन ही कोरोना का इलाज है। 

कोरोना में मानसिक बीमारियां ज्यादा बढ़ी हैं। ऐसे में जो मानसिक रोगी पहले से थे उनकी परेशानियां और बढ़ी हैं। इन परेशानियों का इलाज वैक्सीन है। कोरोना वैक्सीन लगने से मरीज की हालत गंभीर नहीं होती। उसे अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती।

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