कमर दर्द के लिए वरदान हैं ये 5 सीक्रेट्स, हाथों-हाथ करते हैं असर

रोजाना सुबह से शाम तक घर से ऑफिस की भाग-दौड़, कुकिंग, सफाई और बच्चों की देखभाल जैसी तमाम व्यस्तताओं में कमर या पीठ का दर्द होना सामान्य बात है।
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कमर दर्द के लिए वरदान हैं ये 5 सीक्रेट्स, हाथों-हाथ करते हैं असर


रोजाना सुबह से शाम तक घर से ऑफिस की भाग-दौड़, कुकिंग, सफाई और बच्चों की देखभाल जैसी तमाम व्यस्तताओं में कमर या पीठ का दर्द होना सामान्य बात है। इतना ही नहीं, घंटों तक एक ही पोस्चर में बैठ कर कंप्यूटर पर काम करने वाले या किसी शॉपिंग मॉल के काउंटर पर दिन भर खड़े रहने वाले लोगों की कमर पर बहुत ज्यादा जोर पड़ता है। नतीजतन इससे जुड़ी रीढ़ की हड्डी को सहारा देने वाली मांसपेशियों और नसों में दर्द हो सकता है। इससे कई बार बैकबोन के टिश्यूज़ क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे पीठ में दर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा अकसर यात्रा करने वालों को टूटी-फूटी सड़कों के कारण भी झटके लगते हैं, जिसके कारण भी कमर में दर्द हो सकता है। 

क्यों होता है ऐसा

दरअसल रीढ़ का निचला हिस्सा ही हमारे शरीर का अधिकांश वजन ढोता है। इसके अलावा जब हम मुड़ते, झुकते या भारी चीज़ें उठाते हैं, तब भी यह हमारे शरीर का बोझ उठाए रहता है। जब हम लंबे समय तक बैठे रहते हैं तो भी रीढ़ की हड्डी का निचला हिस्सा वज़न ढो रहा होता है। उम्र बढऩे के साथ गलत पोस्चर में या लंबे समय तक बैठकर काम करने की वजह से बैकबोन के निचले हिस्से को सहारा देने वाली मांसपेशियों, टिश्यूज़ और लिगामेंट्स पर लगातार दबाव पड़ता रहता है, जिससे वे क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।

मेडिकल साइंस की भाषा में इसे स्ट्रेस इंजरी कहा जाता है। इसके अलावा शारीरिक श्रम या एक्सरसाइज़ की कमी से भी बैकबोन के आसपास की मांसपेशियां कमज़ोर पड़ जाती हैं और मामूली सा झटका लगने पर भी उनके क्षतिग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मांसपेशियां जितनी कमज़ोर होती हैं, स्पाइनल इंजरी होने का खतरा भी उतना ही अधिक रहता है। इसके अलावा लगातार सफर करने वाले लोगों को भी ऐसी समस्या हो सकती है।

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कैसे करें बचाव 

 

  • पुरानी कहावत है कि उपचार से बेहतर होता है बचाव। इसलिए अपने शरीर को पूरी तरह चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए आप इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें।
  • किसी कुशल प्रशिक्षक से सीखकर नियमित रूप से पीठ को मज़बूत बनाने वाली एक्सरसाइज़ेज करें। 
  • अगर आप ज्य़ादा सफर करते हैं तो बीच-बीच में हलके-फुल्के एरोबिक व्यायाम और जॉगिंग जैसी एक्टिविटीज़ जरूर करें। इनसे पीठ व कमर की मांसपेशियों को फायदा मिलता है।
  • ऑफिस में कंप्यूटर पर काम करते समय हमेशा अपनी पीठ सीधी रखें और झुक कर न बैठें। 
  • अचानक तेज़ झटके से झुकने या घूमने से भी पीठ की मांसपेशियों के लिगामेंट्स पर ज्य़ादा दबाव पड़ता है। पीठ दर्द से बचाव के लिए सही पोस्चर रखना बहुत ज़रूरी है।
  • जब ज्य़ादा देर तक लगातार बैठना हो तो हर एक-दो घंटे के अंतराल पर सीट से उठकर बीच-बीच में हर घंटे पर आसपास ही थोड़ी चहलकदमी कर लें।
  • कार में यात्रा के दौरान लगने वाले झटकों से भी बैकबोन इंजरी हो सकती है। इससे बचने के लिए सीट बेल्ट पहनना न भूलें।
  • लंबे समय तक बैठने से पैरों में दर्द होने लगता है। इससे बचने के लिए बीच-बीच में अपने पैरों को फैलाकर सीधा करते रहें।
  • यदि आप भारी वज़न उठाने के अभ्यस्त नहीं हैं तो यात्रा के दौरान बैग को हल्का रखने की कोशिश करें। जितना कम सामान होगा, पीठ पर उतना ही कम दबाव पड़ेगा।

 

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