
दुनियाभर में सितंबर महीने को ‘प्रोस्टेट कैंसर अवेयरनेस मंथ’ के रूप में मनाया जाता है। जिसमें 22 सितंबर का दिन विश्व सीएमएल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को प्रोस्टेट कैंसर के कारणों के प्रति जागरूक करना और लोगों को अपनी जीवनशैली में जरूरी बदलाव करने के लिए प्रेरित करना है, ताकि जीवन के लिये घातक प्रोस्टेट कैंसर और सीएमएल रोगों से बचाव किया जा सके। तो चलिये विस्तार से जाने प्रोस्टेट कैंसर और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
क्या है प्रोस्टेट कैंसर
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों को होता है। दरअसल प्रोस्टेट एक ग्रंथि होती है और ये वो द्रव्य (fluid) बनाती है, जिसमें शुक्राणु (sperm) होते है। प्रोस्टेट मूत्राशय के नीचे स्थित होता है, जिसका आकार अखरोट जैसा होता है। ये कैंसर वहीं होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में प्रोस्टेट कैंसर भारत समेत एशियाई मूल के पुरुषों में तेजी से बढ़ा है। 55 साल से ज्यादा उम्र के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा ज़्यादा रहता है। इस कैंसर के बारे में शुरुआती दौर में पता चल जाए, तो निश्चित रूप से ठीक किया जा सकता है।
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किन पुरुषों को है प्रोस्टेट कैंसर का ख़तरा
- 55 साल से अधिक उम्र वाले पुरुषों को
- परिवार में प्रोस्टेट कैंसर का कोई इतिहास होने पर
- अश्वेत पुरुषों को अधिक जोखिम
- रेड मीट, घी या दूध आदि का बहुत ज़्यादा सेवन करने वाले पुरुषों को
- बहुत अधिक नशा करने वाले पुरुषों को
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
- बार बार पेशाब आना, विशेषतौर पर रात में
- पेशाब करने में समस्या होना
- रुक-रुक कर पेशाब होना या पेशाब का बहाव कमज़ोर होना
- पेशाब करते हुए दर्द व जलन होना
- संसर्ग के समय लिंग में कठोरता ना आना
- पेशाब में रक्त या सीमन आना।
- कूल्हे, जांघ की हड्डियां व पीठ में लगातार दर्द होना
परीक्षण की जांच और फिर उपचार
प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए डॉक्टर प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (पीएसए) का टेस्ट कर सकता है। ये शरीर का एक रसायन होता है, जिसका स्तर अधिक हो जाए तो प्रोस्टेट कैंसर की संभावना अधिक हो जाती है। प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए बायोप्सी टेस्ट किया जाता है। बायोप्सी से यह पता लगाया जा सकता है कि प्रोस्टेट कैंसर कितनी तेजी से शरीर में फैल रहा है। पीएसए व रेक्टल परीक्षण के आधार पर ही डॉक्टर बायोप्सी की सलाह देते हैं। यह शरीर के दूसरे हिस्सों को तो प्रभावित नहीं कर रहा, यह जानने के लिए सीटी स्कैन व बोन स्कैन भी किया जा सकता है।
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प्रोस्टैट कैंसर का शुरुआती स्थिति में पता चल जाने पर इसका पूर्ण उपचार संभव है। उपचार के दौरान शरीर से टेस्टोरोन के स्तर को कम किया जाता है जिसके लिए सर्जरी, कीमोग्राफी या हार्मोनल थेरेपी आदि का इस्तेमाल होता है। कई बार सर्जरी के बाद भी रेडियेशन थेरेपी व दवाओं से इसकी रोकथाम करनी पड़ती है। इसके बाद एक साल तक हर तीन महिने में पीएसए ब्लड टेस्ट व अन्य परीक्षणों से इसकी स्थिति की जांच की जाती है।
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