प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर समस्या है, जिसके चलते हर साल लाखों लोगों की मौत होती है। पहले के समय में उम्र बढ़ने पर यह समस्या होती थी, लेकिन आज के समय में युवाओं में भी इसके मामले देखने को मिल रहे हैं। खराब लाइफस्टाइल फॉलो करने और गलत खानपान के कारण यह समस्या बढ़ रही है। शुरुआत में ही इस कैंसर का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग करना बेहद जरूरी होता है। यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ यूरोलॉजी (EAU), पैरिस द्वारा हुई एक स्टडी के मुताबिक प्रोस्टेट कैंसर से बचने के लिए हर 5 सालों में इसकी स्क्रीनिंग कराना बेहद जरूरी होता है।
5 साल में स्क्रीनिंग कराना जरूरी
प्रोस्टेट कैंसर गंभीर समस्या है, जिसके मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस कैंसर से बचने के लिए आपको हर 5 सालों में स्क्रीनिंग कराने की जरूरत पड़ती है। अगर शुरुआत में ही इस कैंसर का पता चल जाए तो इलाज करना थोड़ा आसान हो जाता है। कई बार इसके आखिरी स्टेज पर पहुंचने के बाद कैंसर को ठीक कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। शुरुआती चरण में इसके लक्षण दिखने पर इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसे में तत्काल रूप से चिकित्सक की सलाह लें।
2.9 मिलियन तक बढ़ सकता है यह कैंसर
शुक्रवार को लांसेट कमीशन में प्रकाशित हुई स्टडी के मुताबिक प्रोस्टेट कैंसर के मामले दुनियाभर में हर साल 2.9 मिलियन तक बढ़ सकते हैं। साल 2040 तक इस कैंसर से होने वाली मौतों के आंकड़े में भी बढ़त देखी जा सकती है। आंकड़ों की मानें तो प्रोस्टेट कैंसर के मामले 85 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं। जो साल 2040 तक लगभग 7 लाख तक पहुंच सकते हैं। इस स्थिति में ब्लेडर खाली करने में कठिनाई होने के साथ ही यूरीन का फ्लो भी धीमा हो सकता है। कई बार पेशाब करते हुए आपको दर्द भी महसूस हो सकता है।
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प्रोस्टेट कैंसर में कौन सी स्क्रीनिंग की जाती है?
- प्रोस्टेट कैंसर को डायग्नोस करने के लिए आजकल कई उपकरण और लेटेस्ट तकनीक उपलब्ध मौजूद हैं।
- प्रोस्टेट कैंसर को डायग्नोस करने के लिए बायोप्सी यानि शरीर के टुकड़े का सैंपल लिया जाता है।
- इस कैंसर की जांच करने के लिए मरीज की शरीर से कई बार खून की जांच भी की जाती है।