
उम्र बढ़ने के साथ-साथ ही व्यक्ति बीमारियों का पुलिंदा बनने लगता है। 50 की उम्र के बाद ऐसा समय आता है जब आदमी को कई बीमारियां घेर चुकी होती हैं। इनमें से एक बीमारी है प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना।
बार-बार पेशाब जाने, सोते वक्त डिस्चार्ज हो जाना, बालों का सफेद होना, आदि कई ऐसे लक्षण प्रोस्टेट के बढ़ने का संकेत देते हैं। मेडिकल के शब्दों में इनलार्ज प्रोस्टेट को कई और नामों से भी जाना जाता है, जैसे - बीनाइन प्रोस्टेट, बीपीएच, और हाइपरप्लेसिया। इस लेख में हम आपको बताते हैं कि किसे इसका खतरा अधिक होता है।
उम्र
वे पुरुष जिनकी आयु 50 वर्ष या उससे अधिक है, उन्हें बीनाइन प्रोस्टेटिक हायपरप्लासिया (बीपीएच) होने का खतरा ज्यादा होता है। अंडकोश में बनने वाला हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन बीपीएच के विकसित होने में मदद करता है। बीपीएच होने वाले 85 फीसदी मामलों में पुरुषों की आयु 60 वर्ष से अधिक होती है। और तो और 40 वर्ष की आयु के बाद भी इस रोग के होने की आशंका कम होती है।
अंडकोष का निकलना
वे पुरुष जिनके अंडाशय किसी युवावस्था में आने से पहले ही किसी कारण से निकाल लिये जाते हैं, उन्हें बीपीएच होने का खतरा कभी नहीं होता। ऐसे पुरुष जिनके अंडाशय युवावस्था के बाद, लेकिन बीपीएच के लक्षण सामने आने से पहले निकाल लिये जाते हैं, उन्हें भी यह रोग होने का खतरा काफी कम होता है।
पारिवारिक इतिहास
यदि आपके परिवार में इस रोग का इतिहास है, तो आपको भी यह रोग होने की आशंका हो सकती है। इसलिए यदि ऐसा है, तो आपको अपनी नियमित जांच करते रहना चाहिए और किसी भी प्रकार का संदेह होने पर फौरन चिकित्सीय सहायता भी लेनी चाहिए।
दिल की बीमारी और बीपीएच में संबंध
ऐसे भी कुछ प्रमाण मिले हैं कि दिल की बीमारी के लिए उत्तरदायी कुछ कारण भी बीपीएच के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इनमें मोटापा, उच्च रक्तचाप, गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का कम होना, डायबिटीज, पेरिफेरल आर्टरी डिजीज, अनियमित जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियां कम करना, धूम्रपान, असंतुलित खानपान आदि शामिल हैं।
इन जोखिम कारकों से बचकर आप खुद को इस बीमारी से दूर रख सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने अंडाशयों की नियमित जांच करते रहें। यदि आपको कभी कोई भी अनियमितता दिखायी दे तो फौरन चिकित्सीय सहायता लें। इससे आप बीमारी के खतरों को कम कर सकते हैं।
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