
इबोला एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन इसका उपचार अब आसानी से संभव हो सकता है। ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों का कहना है कि पहली बार किसी मानव पर इबोला टीके के परीक्षण से यह पता चला है कि इसका इस्तेमाल पूरी तरह से सुरक्षित है और यह शरीर की रोग प्रतिरोधकता भी बढ़ाता है।इस परीक्षण का नेतृत्व करने वाले और ऑक्सफोर्ड विवि के जेनर इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर एडरिएन हिल ने बताया, '‘यह टीका उम्मीद के मुताबिक बहुत सुरक्षित है।'’ शोधकर्ताओं ने इसे इबोला उके उपचार के लिए सुरक्षित माना है।
इबोला की जायरे प्रजाति के खिलाफ इबोला वैक्सिन को अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ: एनआईएच: और ग्लैक्सोस्मिथक्लिन: जीएसके: के द्वारा ईजाद किया गया है। इबोला की जायरे प्रजाति पश्चिम अफ्रीका में फैली इबोला प्रजातियों में से एक है।
चिम्पांजी एडिनोवायरस में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इसमें एकमात्र इबोला विषाणु जीन का प्रयोग होता है। चूंकि इसमें संक्रमित इबोला विषाणु सामग्री नहीं होती इसलिए यह किसी टीका प्राप्त व्यक्ति में दोबारा इबोला के लक्षणों को पनपने भी नहीं देता।
शोधकर्ताओं की मानें तो जीएसके एनआईएच वैक्सिन कैंडिडेट पर - अमेरिका, ब्रिटेन, माली और स्विट्जरलैंड में ऑक्सफोर्ड विश्वद्यिालय द्वारा इसका सुरक्षित तरीके से परीक्षण भी कर लिया गया है। इस शोध के शुरूआती परिणाम न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए।
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