
बच्चों की आंखों की देखभाल में कोताही न बरतें, नियमित रूप से उनकी जांच जरूर करायें और अगर बच्चों की नजर कमजोर हो जाये तो कुछ बातों को ध्यान में रखकर उनकी नजर आसानी से तेज की जा सकती है।
आंखें अनमोल होती हैं, इनके बिना संसार अधूरा है। इसलिए इनकी देखभाल में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। बच्चों की आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। और समय के साथ उनकी जांच भी कराते रहना चाहिए। क्योंकि वर्तमान में अधिक टीवी देखने और गैजेट्स का इस्तेमाल करने के कारण उनकी आंखें कमजोर हो रही हैं और उनको देखने में समस्या हो रही है। कुछ बातों का ध्यान रखकर आप अपने बच्चे की रोशनी को आसानी से बढ़ा सकते हैं।
नियमित जांच करायें
बच्चों में आंखों या नजर से सम्बंधित कोई बड़ी समस्या न होने पर भी उनके आंखों की नियमित जांच करवानी चाहिए। बच्चे की नजर सही रूप से विकसित हो रही है या नहीं, पेरेंट्स को इस पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों की दृष्टि में खराबी के कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को बच्चों में आंखों से संबंधित समस्यायों को जरूर देखना चाहिए। यदि कुछ संदेह लगता है तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
जन्म से 4 माह तक
बच्चे के पैदा होने से 4 माह तक रात्रि में बच्चे के कमरे में रोशनी मंद रखनी चाहिए। चमकीली रोशनी का सीधे बच्चे की आंखों में जाना सही नहीं है। पेरेंट्स को खास तौर से इस पर ध्यान देना चाहिए। आप बच्चे के पलंग की दिशा भी बदल सकते हैं, इससे हर बार उनका विजन बदलेगा। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक खिलौने आदि से बच्चों को दूर ही रखें। इसके अलावा जब आप बच्चे को खिलाते रहें या उससे बातें करते रहें तो कमरे में चलते रहें। इससे वे आपको आपकी आवाज से ढूंढेंगे, जो कि नजर के लिए अच्छा है।
5 से 8 माह के बच्चे
बच्चा जब बड़ा होने लगता है तब गलत आदतें अपनाने से भी उसकी रोशनी कमजोर हो सकती है। 5 माह से बड़े बच्चे पालने के ऊपर खिलौने टांगना अच्छा आईडिया हो सकता है। इससे उनकी नजर इन पर पड़ेगी और उनका ध्यान आकर्षण होगा। इससे हाथों और आंखों का तालमेल भी बनाना वे सीख जायेंगे। इसके साथ ही बच्चे को आंगन में भी छोड़ें जिससे की वह चीजों को देखे और उनको पाने की कोशिश करे। बच्चों को रंगीन ब्लॉक्स भी दें, इनसे भी नजरों का विकास होता है।
बच्चे की नियमित रूप से जांच करायें, उसके स्वास्थ्य के साथ उसकी आंखों के संबंध में भी चिकित्सक से सलाह जरूर लें।
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