Signs Of Sexually Transmitted Disease In Hindi: सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज, जिसे हम सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के नाम से भी जानते हैं। यह असुरक्षित तरीके से यौन संबंध बनाने के कारण होता है। सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट्स आदि। आपको बता दें कि एसटीआई वजाइनल, एनल और ओरल सेक्स के माध्यम से संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक फैल सकता है। यही नहीं, प्रेग्नेंसी के दौरान संक्रमित मां से गर्भ में पल रहे शिशु कोभी यह बीमारी हो सकती है। यह एक घातक समस्या होती है। अगर समय रहते अपना इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। इस तरह की स्थिति न आए, इसके लिए आवश्यक है कि इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में जानकारी हो। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज होने पर किस तरह के शुरुआती लक्षण नजर आ सकते हैं। इस बारे में हमने मेडिकवर अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर विजय दहिफले से जानते हैं डॉक्टर दहिफले से बात की।
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के शुरुआती लक्षण- Early Signs Of Sexually Transmitted Disease In Hindi
अलग-अलग तरह के सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज होते हैं, जैसे क्लैमाइडिया, गोनोरिया, सिफलिस आदि। यहां हम बीमारी के हिसाब से इसके लक्षणों के बारे में जानेंगे-
क्लैमाइडिया
क्लैमाइडिया एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जे कि प्रजनन अंगों को प्रभावित करता है। क्लैमाइडिया के शुरुआती लक्षण पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग हो सकते हैं। पुरुषों की बात करें, तो क्लैमाइडिया होने पर उन्हें पिनाइल डिस्चार्ज, पेशाब के दौरान दर्द होना और टेस्टिकुलर पेन हो सकता है। वहीं, महिलाओं में वजाइनल डिस्चार्ज, असामान्य ब्लीडिंग, पेल्विन पेन और बार-बार पेशाब आने की दिक्कतें होने लगती हैं।
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गोनोरिया
क्लैमाइडिया की ही तरह, गोनोरिया भी बैक्टीरियल इंफेक्शन है और यह भी रिप्रोडक्टिव ऑर्गन को नेगेटिवली इफेक्ट करता है। गोनोरिया के लक्षण क्लैमाइडिया से ज्यादा अलग नहीं हैं। विशेषज्ञों की मानें, तो कई पुरुषों को गोनोरिया होने पर शुरुआती दिनों में किसी तरह के लक्षण नजर नहीं आते हैं। वहीं, कुछ पुरुषों को यूरेथ्रा से पीला, व्हाइट और ग्रे डिस्चर्ज हो सकता है। यही नहीं, पुरुषों को टेस्टीकल में सूजन और का अनुभव भी हो सकता है। पुरुषों की ही तरह, महिलाओं में गोनोरिया के शुरुआती लक्षण न के बारे या बहुत कम नजर आ सकते हैं। लक्षणों में असामन्य वजाइनल डिस्चार्ज, पेशाब के दौरान दर्द और दो पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग होना शामिल हैं।
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सिफलिस
यह भी एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो कि स्टेज दर स्टेज गंभीर होता चला जाता है। अगर समय पर सिफलिस का इलाज न किया जाए, तो मरीज की स्थिति खतराक हो सकती है। सिफलसि होने पर शुरुआती दिनों में मुंह में छाले और जेनिटल एरिया में दाने हो सकते हैं। ये दाने दर्द भरे होते हैं। कई बार ये दाने हथेली और पैरों के तलवे में भी नजर आने लगते है। अमूमन 3 से 6 सप्ताह में यह अपने आप ठीक होने लगते हैं। पर महिलाओं और पुरुषों में इसके लक्षण एक जैसे नजर आते हैं।
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एसटीआई के अन्य लक्षण- Other Signs Of Sexually Transmitted Disease In Hindi
एसटीडी में कई अलग-अलग बीमारियां शामिल होती हैं। अमूमन शुरुआती दिनों में इसके लक्षण एक जैसे हो सकते हैं, जैसे-
- पेशाब के दौरान जलनः क्लैमाइडिया, गोनोरिया और जेनिटल हर्पीस। ये सभी एसटीडी हैं। इनमें से कोई भी बीमरी होने पर इसके अर्ली स्टेज में मरीज को पेशाब करने के दौरान दर्द और जलन का अहसास हो सकता है।
- यौन संबंध बनाने में तकलीफः किसी भी तरह की एसटीडी की वजह से इंटरनल पार्ट प्रभावित होता है। इसमें छाले, सूजन और दर्द हो जाता है। जिससे यौन संबंध बनाते समय व्यक्ति को दर्द होने लगता है और सेक्स ड्राइव पर भी बुरा असर देखने को मिलता है।
- पेट के निचले हिस्से में दर्दः जैसा कि पहले ही बताया गया है कि क्लैमाइडिया, गोनोरिया बैक्टीरियल इंफेक्शन हैं, जो कि रिप्रोडक्टिव ऑर्गन को प्रभावित करते हैं। इस तरह की एसटीडी की वजह से पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है। खासकर, पेल्विक एरिया इससे प्रभावित होता है।
FAQ
कैसे पता चलेगा कि आदमी को एसटीआई है?
एसटीआई प्रजनन क्षमता पर असर डालती है। एसटीआई होने पर पुरुषों के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन प्रभावित होते हैं, उन्हें पिनाइज डिस्चार्ज होने लगता है और जेनिटल एरिया में दाने भी होने लगते हैं। साथ ही, पेशाब करने के दौरान दर्द भी होता है।एसटीडी से बचने के लिए क्या उपाय करने चाहिए?
एसटीडी से बचने के लिए जरूरी है कि आप सुरक्षित यौन संबंध के तरीके अपनाएं, किसी भी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध न बनाएं।एसटीडी के पहले लक्षण कब होते हैं?
एसटीडी का पहला लक्षण संक्रमण के संपर्क में आने के बाद करीब 10 दिनों बाद नजर आने लगता है। हालांकि, पुरुष और महिला में यह अवधि अलग-अलग हो सकती है।