पार्किंसन रोग एक गंभीर और धीरे-धीरे बढ़ने वाली न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो मस्तिष्क की उन कोशिकाओं को प्रभावित करती है जो शरीर के मूवमेंट और बैलेंस को कंट्रोल करती हैं। इस रोग में डोपामिन का लेवल धीरे-धीरे कम होने लगता है, जिससे शरीर की सामान्य एक्टिविटीज में बाधा उत्पन्न होती है। आमतौर पर यह रोग उम्र बढ़ने के साथ 60 वर्ष के बाद ज्यादा देखा जाता है, लेकिन कई मामलों में यह 40 या उससे कम उम्र में भी शुरू हो सकता है। इसकी शुरुआत इतनी धीरे होती है कि कई बार लोग इसके शुरुआती लक्षणों को सामान्य कमजोरी या उम्र का असर मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। यही कारण है कि समय पर इस रोग की पहचान करना बेहद जरूरी है।
लोगों के मन में अक्सर यह सवाल रहता है कि पार्किंसन रोग की शुरुआत कैसे होती है, कौन से ऐसे संकेत हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज (Dr. Sudhir Kumar Bhardwaj, General Physician, Sant Bhagat Singh Maharaj Charitable Hospital, NIT Faridabad) से बात की-
पार्किंसन के शुरुआती संकेत - Early signs of parkinson
पार्किंसन रोग खासकर उम्रदराज़ लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन इसकी शुरुआत किसी भी उम्र में हो सकती है। पार्किंसन की शुरुआत में इसके लक्षण (parkinson disease symptoms) हल्के होते हैं, इसलिए कई बार इन्हें अनदेखा कर दिया जाता है। यदि आप या आपके कोई करीबी इनमें से कुछ शुरुआती संकेत महसूस करें तो डॉक्टर से समय पर परामर्श लेना बेहद जरूरी होता है।
1. हाथ-पैरों का थरथराना
पार्किंसन का शुरुआती और सबसे आम लक्षण है शरीर के किसी एक हिस्से में अनियंत्रित थरथराना या कंपकंपी महसूस होना। आमतौर पर यह थरथराहट हाथों की अंगुलियों या हथेली में शुरू होती है, खासतौर पर जब हाथ आराम की स्थिति में हों। यह पहली बार हल्का महसूस होता है लेकिन धीरे-धीरे बढ़ सकता है।
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2. मांसपेशियों की अकड़न
पार्किंसन रोग में शरीर के कुछ हिस्सों में अकड़न महसूस होना या मांसपेशियों का कठोर होना भी शुरुआती संकेत है। इससे सामान्य एक्टिविटीज जैसे हाथ-पैर हिलाना या घुमाना कठिन (parkinson disease symptoms early stages) हो जाता है। अकड़न के कारण शरीर का कोई हिस्सा सख्त या जकड़ा हुआ महसूस (parkinson mai kya hota hai) होता है।
3. चेहरे पर भाव कम आते हैं
पार्किंसन रोग में चेहरे के मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है। इसके कारण चेहरे के हाव-भाव कम हो जाते हैं और चेहरे पर एक तरह की स्थिरता (स्टिफनेस) आ जाती है। यह रोगी के चेहरे को भावहीन या थका हुआ दिखाता है।
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4. चलने में बदलाव
पार्किंसन के शुरुआती दौर में चलने का तरीका बदल सकता है। व्यक्ति के कदम छोटे, धीमे और खींचे हुए हो सकते हैं। कभी-कभी शरीर झुकने लगता है या संतुलन बिगड़ने लगता है, जिससे गिरने का खतरा बढ़ जाता है।
5. लिखावट में बदलाव
लिखते समय अक्षर छोटे और घने हो सकते हैं और लिखने में परेशानी आ सकती है। यह भी पार्किंसन का शुरुआती संकेत हो सकता है।
पार्किंसन रोग का कोई स्थायी इलाज अभी तक नहीं है, लेकिन शुरुआती पहचान से इसका प्रभावी उपचार संभव है। समय पर इलाज से मरीज की लाइफस्टाइल में सुधार आता है और रोग की प्रगति धीमी हो जाती है। इसके अलावा, शुरुआती लक्षणों को पहचान कर आप या आपके परिवार वाले इस बीमारी से जुड़े जोखिमों को समझ सकते हैं और मानसिक तौर पर तैयार हो सकते हैं।
निष्कर्ष
पार्किंसन रोग के शुरुआती लक्षणों को समझना और पहचानना बेहद जरूरी है। अगर आप या आपके कोई जानने वाले उपरोक्त लक्षणों को महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर उपचार से जीवन की क्वालिटी को बेहतर बनाया जा सकता है और रोग की प्रगति को रोका जा सकता है। पार्किंसन को नजरअंदाज न करें, बल्कि जागरूक होकर सही कदम उठाएं और खुद को हेल्दी रखें।
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FAQ
क्या पार्किंसन रोग सिर्फ बुजुर्गों को होता है?
नहीं, हालांकि यह रोग अधिकतर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होता है, लेकिन 40 साल से कम उम्र के व्यक्तियों में भी यह देखा गया है। अनुवांशिक कारणों से यह युवाओं में भी हो सकता है।क्या पार्किंसन रोग का इलाज संभव है?
पार्किंसन रोग का अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन दवाइयों, एक्सरसाइज, फिजिकल थेरेपी और सही लाइफस्टाइल के माध्यम से इसके लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है और रोग की प्रगति को धीमा किया जा सकता है।क्या डिप्रेशन और थकान भी पार्किंसन के लक्षण हो सकते हैं?
जी हां, पार्किंसन रोग में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लक्षण जैसे डिप्रेशन, चिंता, थकान, नींद की कमी और मैमोरी की समस्या भी देखी जाती हैं। ये लक्षण अक्सर शारीरिक लक्षणों से पहले दिखाई दे सकते हैं।