हर साल 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसंस दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में पार्किंसंस जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के अनुसार पार्किंसंस रोग एक मस्तिष्क विकार है। इस विकार से पीड़ित व्यक्ति को अनपेक्षित या अनियंत्रित गतिविधियां जैसे कंपकंपी, कठोरता और संतुलन और समन्वय में कठिनाई जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी के प्रति आम लोगों में जागरूकता लाना इसलिए भी जरूरी क्योंकि जैसे-जैसे बीमारी की उम्र बढ़ती है तो पीड़ित व्यक्ति को चलने और बात करने में कठिनाई हो सकती है। उनमें मानसिक और व्यवहारिक परिवर्तन, नींद की समस्या, अवसाद, याददाश्त संबंधी कठिनाइयां और थकान जैसी परेशानी भी देखी जाती है। पार्किसंस जैसी बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से हर साल 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसंस दिवस के तौर पर मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास और अन्य बातें।
विश्व पार्किंसंस दिवस का इतिहास
11 अप्रैल 1755 को डॉ। जेम्स पार्किंसन का जन्म हुआ था। इन्होंने 1817 में न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार (Neurodegenerative Disorders) के पहले मामले की खोज की थी। उनके इस योगदान के सम्मान के लिए 1997 से हर साल 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसंस दिवस मनाया जाता है। विश्व पार्किंसंस दिवस का उद्देश्य न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार पार्किंसंस के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन पार्किंसंस से प्रभावित लोगों के लिए सहायता और संसाधन प्रदान करने का अवसर है। यह लोगों को बीमारी के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव के बारे में शिक्षित करता है। यह पार्किंसंस रोगियों की बेहतर देखभाल, अनुसंधान और समावेशन की वकालत करता है।
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विश्व पार्किंसंस दिवस की थीम क्या है?
हर साल एक साथ थीम के साथ विश्व पार्किंसंस दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा कई तरह के कार्यक्रम, नाटक और फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। हालांकि इस बार विश्व पार्किंसंस दिवस की थीम क्या होगी, इसका ऐलान अब तक नहीं किया गया है।