आपने भी देखा होगा कि पहले की अपेक्षा आजकल लड़के-लड़कियों में युवावस्था के लक्षण पहले ही नजर आने लगते हैं। भारतीय जलवायु के अनुसार आमतौर पर लड़कियों में युवावस्था वाले बदलाव 11-12 साल की उम्र में आते हैं, मगर कुछ दशकों में 9-10 साल की उम्र में ही बच्चों में शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन देखे जाने लगे हैं। ये लड़कियों की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। हाल में हई एक रिसर्च बताती है कि जल्द युवा होने वाली लड़कियों को माइग्रेन का खतरा ज्यादा होता है।
बढ़ रहे हैं युवा बच्चों में माइग्रेन के मामले
माइग्रेन एक तरह की बीमारी है, जिसमें सिर के आधे हिस्से में अक्सर तेज दर्द होता है। कई बार ये दर्द असहनीय होता है। पिछले कुछ समय में युवा लड़के-लड़कियों में माइग्रेन के मामले काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। आमतौर पर लड़कियां माइग्रेन का शिकार तब होती हैं, जब उनमें पीरियड्स (माहवारी) शुरू हो जाता है। इसका कारण यह है कि पीरियड्स शुरू होने के साथ ही उनके शरीर में तमाम बदलाव होते हैं। इसके अलावा हार्मोन्स में बदलाव के कारण युवा लड़कियों का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
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स्कूल जाने वाले 10% बच्चे माइग्रेन का शिकार
हाल में हुए अमेरिकन हेडेक सोसायटी के अध्ययन के अनुसार स्कूल जाने वाले लगभग 10% बच्चे माइग्रेन का शिकार हैं। इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि माइग्रेन के मामले लड़कियों में ज्यादा बढ़ रहे है। 17 साल की उम्र तक 8% लड़के माइग्रेन का अनुभव करते हैं, जबकि लड़कियों में ये आंकड़ा 23% से ज्यादा पहुंच जाता है।
युवावस्था में कदम रखते ही माइग्रेन का शिकार लड़कियां
इस शोध के लिए 8 से 20 साल की उम्र की लड़कियों के स्वास्थ्य पर 10 साल से ज्यादा समय तक नजर रखी गई। इस अध्ययन के दौरान हर 6-12 महीने में लड़कियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का अध्ययन किया जाता था। शोधकर्ताओं ने पाया कि जब लड़कियां युवावस्था में प्रवेश करती हैं, यानी उनके सीने में उभार लगता है, जननांगों के आसपास बाल आने लगते हैं और पीरियड्स शुरू हो जाते हैं, तब उनमें माइग्रेन के मामले बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं।
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क्या हैं माइग्रेन के सामान्य लक्षण
- आमतौर पर माइग्रेन का सबसे मुख्य लक्षण आधे या पूरे सिर में तेज दर्द है।
- कई बार दर्द के कारण व्यक्ति की आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है, सुनाई पड़ना बंद हो जाता है या वो किसी खुश्बू को नहीं महसूस कर पाता है।
- भूख लगना कम हो जाती है, जिससे व्यक्ति का खाने-पीने का मन नहीं करता है।
- चिड़चिड़ापन होना और बहुत ज्यादा गुस्सा आना
- प्रकाश (लाइट) देखने पर परेशानी होना यानी लाइट का आंखों में चुभना
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