जुड़वां बच्चे ज्यादातर लोगों को अच्छे लगते हैं। इसका कारण यह है कि जुड़वां बच्चों के बारे में लोगों को तरह-तरह के रोमांच होते हैं जैसे- जुड़वां बच्चों की शक्लें लगभग एक जैसी होती हैं, जुड़वां बच्चों एक दूसरे के दर्द और खुशी को महसूस करते हैं, जुड़वां बच्चों की आदतें और पसंद-नापसंद एक जैसे होते हैं आदि। मगर ये सभी बातें सही हों, ऐसा जरूरी नहीं है। एक ही उम्र के 2 बच्चों को संभालना और उनकी परवरिश करना आसान नहीं होता है। मगर इससे भी ज्यादा मुश्किल उस महिला को होती है, जिसके गर्भ में जुड़वां बच्चे पल रहे हैं। गर्भ में जुड़वां बच्चे होने पर मां को कई परेशानियां हो सकती हैं।
आपको ज्यादा कैलोरीज की जरूरत पड़ती है
एक महिला को सामान्य दिनों में जितने कैलोरीज की जरूरत होती है, गर्भावस्था में उससे ज्यादा कैलोरीज लेनी पड़ती हैं। गर्भ में अगर एक बच्चा हो, तो महिला को रोजाना के हिसाब से 300 कैलोरीज ज्यादा लेनी चाहिए, जबकि जुड़वां बच्चे होने पर 600 कैलोरीज ज्यादा लेनी पड़ती हैं। जिन महिलाओं को खाना-पीना कम पसंद होता है या जो पर्याप्त कैलोरीज नहीं ले पाती हैं, तो डॉक्टर उन्हें फॉलिक एसिड की गोलियां दे सकते हैं।
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गर्भावस्था की समस्याएं हो सकती हैं गंभीर
गर्भावस्था यानी प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याएं होती हैं, जैसे- प्रीक्लैम्पसिया, जेस्चेशनल डायबिटीज (प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज) आदि। जुड़वां बच्चे होने पर महिला को ये समस्याएं ज्यादा परेशान कर सकती हैं और इनका खतरा भी बढ़ सकता है, जो कि होने वाले शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। यही कारण है कि जुड़वां बच्चों की गर्भवती महिला को डॉक्टर्स के पास ज्यादा जाना पड़ता है और दवाएं, जांच आदि भी ज्यादा करवानी पड़ती हैं।
40 की जगह 36-37 सप्ताह में डिलीवरी
आमतौर पर गर्भवती होने के 40 सप्ताह बाद बच्चे की डिलीवरी होती है। मगर जुड़वां बच्चों के मामले में समय से पहले डिलीवरी की संभावना ज्यादा होती है। 2016 में 3500 महिलाओं पर हुआ एक अध्ययन बताता है कि जुड़वां बच्चे होने पर आमतौर पर 36-37 सप्ताह में ही बच्चों की डिलीवरी हो जाती है।
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जुड़वां बच्चे होने पर हृदय (हार्ट) का काम बढ़ जाता है
जुड़वां बच्चे होने पर मां के पेट पर ज्यादा दवाब पड़ता है और उसे ज्यादा वजन उठाना पड़ता है। इसलिए खून की जरूरत पूरी करने की लिए जुड़वां बच्चे होने पर महिला का शरीर 70% तक ज्यादा खून बनाता है। इस खून को पंप करने के लिए महिला के हृदय (हार्ट) को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसके अलावा जुड़वां बच्चे होने पर महिला को थकान भी ज्यादा होती है, जिसके कारण उसे सीढ़ियां चढ़ने और घरेलू कामों को करने में परेशानी हो सकती है।
गंभीर हो सकती है मॉर्निंग सिकनेस
मॉर्निंग सिकनेस यानी प्रेग्नेंसी के दौरान सुबह महसूस होने वाले लक्षण जैसे- उल्टी, जी मिचलाना, चक्कर आना, सिरदर्द आदि। जुड़वां बच्चे होने पर महिला को ये लक्षण ज्यादा और गंभीर रूप से महसूस हो सकते हैं। इसके अलावा स्तनों में होने वाला दर्द (ब्रेस्ट पेन) और वजन बढ़ने की समस्या भी सामान्य से ज्यादा हो सकती है।
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