महिलाओं को क्‍यों होता है सर्विक्स कैंसर, इन 5 तरीकों लगाएं बीमारी का पता

यह स्त्रियों में पाए जाने वाले कैंसर का एक ऐसा प्रकार है, जिसकी सही समय पर पहचान और उपचार दोनों संभव है, बशर्ते सेहत के मामले में थोड़ी सजगता बरती जाए।

Atul Modi
Written by: Atul ModiUpdated at: Jun 27, 2019 19:57 IST
महिलाओं को क्‍यों होता है सर्विक्स कैंसर, इन 5 तरीकों लगाएं बीमारी का पता

3rd Edition of HealthCare Heroes Awards 2023

घर परिवार और ऑफिस की जि़म्मेदारियों के बीच अति व्यस्त रहने वाली अधिकतर कामकाजी स्त्रियां अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पातीं। इससे उनके शरीर में कई गंभीर बीमारियों के लक्षण पनपने लगते हैं पर समय और सजगता की कमी से वे उन्हें पहचान नहीं पातीं। खासतौर पर 45 साल की उम्र के बाद पीरियड्स में अनियमितता जैसे लक्षणों को अधिकतर स्त्रियां मेनोपॉज़ की वजह से होने वाली स्वाभाविक समस्या मान कर नज़रअंदाज़ कर देती हैं।

गुरुग्राम स्थित प्रतीक्षा हॉस्पिटल की सीनियर गाइनी कंसल्टेंट डॉ. रागिनी अग्रवाल कहती हैं, 'किसी भी स्त्री के शरीर में सर्विक्स (गर्भाशय का मुख) कैंसर पनपने में लगभग बीस साल लगते हैं। भारत में इसकी जांच के लिए 1960 से ही पेपस्मीयर टेस्ट उपलब्ध है, जो सस्ता और सर्व-सुलभ होने के साथ पूरी तरह सुरक्षित भी है। इसके ज़रिये कैंसर शुरू होने से पहले की अवस्था, डिस्फेजि़या को आसानी से पहचाना जा सकता है पर दुखद बात यह है कि जागरूकता के अभाव में ज़्यादातर स्त्रियां यह जांच नहीं करवातीं और अंतत: सर्विक्स कैंसर की शिकार हो जाती हैं। अगर शुरुआती दौर में ही उपचार शुरू किया जाए तो इसे आसानी से दूर किया जा सकता है।

क्यों होता है ऐसा

इस बीमारी से बचने के लिए पहले इसके कारणों को जानना ज़रूरी है, जो इस प्रकार हैं :

  • अगर क्लिनिकल कारणों की बात की जाए तो एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) को इस बीमारी के लिए जि़म्मेदार माना जाता है। लगभग 98 प्रतिशत मामलों में इसी वायरस के फैलने से सर्विक्स कैंसर होता है।
  • इसके अलावा कुछ विशेष स्थितियों में कोशिकाओं के गलत विभाजन की वजह से शरीर में दो तरह की गांठें बनती हैं-पहली बेनाइन, जो कैंसर-रहित होती हैं और दूसरी मैलिग्नेंट, जो बाद में कैंसर में बदल जाती हैं। यदि ऐसी गांठें सर्विक्स में हों तो उसे सर्विक्स कैंसर कहा जाता है।   
  • आनुवंशिकता इसकी प्रमुख वजह है। अब तक किए गए अध्ययनों के अनुसार फैमिली हिस्ट्री होने पर स्त्रियों में सर्विक्स कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
  • यह एसटीडी यानी सेक्सुअली ट्रांस्मिटेड डिज़ीज़ है, इसलिए कम उम्र में या असुरक्षित सेक्स और मल्टीपल पार्टनर्स के साथ संबंध को इसका प्रमुख कारण माना जाता है।
  • गर्भाशय के मुख पर चोट लगने से भी ऐसी समस्या हो सकती है।
  • सिगरेट में मौज़ूद निकोटिन को भी इसके लिए जि़म्मेदार माना जाता है।
  • कुपोषण और पर्सनल हाइजीन की कमी होने पर भी यह समस्या हो सकती है।

इसे भी पढ़ें: आखिर महिलाओं को क्यों होती है ऑस्टियोपोरोसिस की अधिक समस्या, जानें पूरा सच

कैसे करें पहचान

शुरुआती दौर में ज्य़ादातर स्त्रियों के लिए इस बीमारी को पहचान पाना मुश्किल होता है। फिर भी इसके कुछ स्थायी लक्षण अकसर नज़र आते हैं, जो इस प्रकार हैं :

  • सफेद स्राव
  • इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग
  • पीरियड्स संबंधी अनियमितता या ज्य़ादा ब्लीडिंग होना
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द या सूजन
  • बार-बार यूरिन आना
  • अनावश्यक थकान
  • हरदम हलका बुख्रार
  • भोजन में अरुचि
  • सीने में जलन और लूज़ मोशन आदि।

इसे भी पढ़ें: 35 की उम्र के बाद मां बन रही हैं तो इन 3 बातों का रखें विशेष ध्यान

सामान्य स्थिति में दवाएं लेने के बाद तीन-चार दिनों में ऐसी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। अगर ऐसी कोशिशों के बाद भी दो सप्ताह तक स्थिति में कोई बदलाव न आए तो बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Women Health In Hindi

Disclaimer