
जब ज़ोरों की भूख लगी हो तो एक बड़ा सा वैज बर्गर और एक कप जूस मिल जाए तो मानों तृप्ति मिल जाती है। लेकिन अगर यह बर्गर अधपका और जूस पोस्चुराइज़्ड न हो तो यह खतरनाक ई-कोलाई संक्रमण का कारण बन सकता है। ई-कोलाई बैक्टीरिया का संक्रमण गंभीर, डायरिया का कारण बन सकता है। यहां तक कि कुछ गंभीर मामलों में तो यह गुर्दे की विफलता या अन्य गंभीर स्वास्थ जटिलताएं पैदा कर देता है।
खुशी की बात है कि, सबसे स्वस्थ बच्चों को यह संक्रमण होने पर गंभीर समस्याओं का विकास नहीं होता है तथा वे किसी उपचार के बिना ही अपने दम पर (रोग प्रतिरोधक क्षमता) ठीक हो जाते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि यदि बच्चे के पेट में दर्द हो तो इसे नज़रअंदाज कर दें। बच्चों के पेट में होने वाली ऐंठन ई-कोलाई संक्रमण का संकेत भी हो सकती है। तो चलिये विस्तार से जानें ई-कोलाई संक्रमण क्या है, इससे बचाव कैसे करें।

क्या है ई-कोलाई?
ई-कोलाई दरअसल इशचेरिचिया कोलाई का संक्षिप्त रूप है। यह एक तरह का बैक्टीरिया है जो इंसानो और पशुओं दोनों ही के पेट में हमेशा रहता है। आमतौर पर यह बैक्टीरिया ज्यादातर रूपों में हानिरहित होता है, लेकिन इसके कुछ ऐसे बैक्टीरिया भी हैं जो पेट में मरोड़ और दस्त जैसे लक्षण पैदा करते है। कई गंभीर मामलों में तो इनकी वजह से लोगों का गुर्दा तक काम करना बंद कर देता है और संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
संक्रमण से बचाव
खीरा, टमाटर और गाजर जैसी चीज़ें बिना ठीक से धोए न खाएं। जानकारों के अनुसार यदि फलों और सब्ज़ियों को अच्छी तरह धोकर या छीलकर खाया जाए तो खतरा नहीं है, वहीं डॉक्टरों का कहना है कि ई-कोलाई बैक्टीरिया फल-सब्ज़ियों के ऊपर होता, न कि उनके भीतर।

बच्चों में ई कोलाई विषाक्तता
टॉयलेट उपयोग करने के बाद हाथ ठीक प्रकार से न धोने से ई-कोलाई का प्रसार हो सकता है। ई-कोलाई बैक्टीरिया किसी संक्रमित व्यक्ति के दूषित मल से भी फैल सकता है। यदि संक्रमित व्यक्ति टॉयलेट का इस्तेमाल करने के बाद ठीक से हाथ न धोए तो ई-कोलाई बैक्टीरिया टॉयलेट में और फिर अन्य लोगों में फैल सकता है। और फिर इसका असर के तौर पर गंभीर दस्त और एक सप्ताह के लिए पीड़ादायक ऐंठन भी हो सकती है।
यमुना किनारे की फसल
साल 2011 की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया था कि यमुना में हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या काफी ज्यादा होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अधिकतम सिंचाई के पानी में बैक्टीरिया की संभावित संख्या 500 एमपीएन प्रति 100 मिली. से अधिक नहीं होनी चाहिए। जबकि सच तो यह है कि यह है कि यमुना में हानिप्रद कीटाणुओं की यह संख्या 2,300,000,000 (एमपीएन) प्रति 100 मिली. है।
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