आजकल महिलाओं में प्रसव पीड़ा बढ़ाने वाली दवाओं के सेवन का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इस तरह की दवाओं का सेवन आपके होने वाले शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है। एक नए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि प्रसव पीड़ा बढ़ाने वाली दवाओं से पैदा होने वाले शिशु को ऑटिज्म का खतरा बना रहता है।
इस तरह की दवाओं के प्रयोग से महिलाओं में प्रसव पीड़ा बढ़ जाती है, जिससे महिलाओं को ज्यादा समय तक दर्द से जूझना नहीं पड़ता और उनकी डिलीवरी नॉर्मल हो जाती है। ब्रिटेन में हर पांच में से एक महिला प्रसव पीड़ा बढ़ाने के लिए दवा का सेवन करती है। इन दवाओं में ऑक्सीटोसिन का स्तर ज्यादा होता है जो दर्द को बढ़ा देता है।
प्रसव पीड़ा बढ़ाने वाली दवाओं का सेवन करते समय महिलाएं यह भूल जाती हैं कि इससे उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर विपरीत असर पड़ रहा है। यदि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है तो ऑटिज्म का खतरा 15 से 35 फीसदी तक बढ़ जाता है। ड्यूक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने छह लाख बच्चों पर अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है।
शोध में पाया गया कि छह लाख बच्चों में से करीब 5,500 बच्चे ऑटिज्म के शिकार थे। इसका मतलब यह हुआ कि हर 100 में औसतन एक बच्चा ऑटिज्म का शिकार था। जबकि प्राकृतिक तरीके से प्रसव पीड़ा होने पर इसका खतरा कम हो जाता है।
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