आप में से कॉफी पीना भला किसे पसंद नहीं होगा। कॉफी और चाय की चुश्की आपको सुकून देने और थकान को दूर करने में मदद करती है। लेकिन इसके अलावा भी कॉफी के हमारे शरीर पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, अगर इसे मॉडरेशन में पिया जाए। कॉफी आपके पाचन को स्वस्थ रखने और पाचन संबंधी बीमारियों को दूर रखने में मदद कर सकती है। जिसमें पित्त की पथरी, पैन्क्रियाटाइटिस यानि अग्नाशयशोथ और आंत की गतिशीलता भी शामिल है। ऐसा नई रिसर्च में पाया गया है, अधिक जाननें के लिए लेख को आगे पढ़ें।
क्या कहती है रिसर्च?
इंस्टीट्यूट फॉर साइंटिफिक इंफॉर्मेशन ऑन कॉफ़ी (ISIC) की एक नई रिपोर्ट, जिसका शीर्षक 'कॉफी और पाचन पर इसका प्रभाव' है। यह पाचन पर कॉफी के प्रभाव के नवीनतम शोध की समीक्षा करता है और पित्त पथरी या पित्त पथरी से जुड़े रोग और पैन्क्रियाटाइटिस यानि अग्नाशयशोथ के खिलाफ संभावित सुरक्षात्मक प्रभाव को इंगित करता है। इस रिपोर्ट में कॉफी के अन्य लाभकारी प्रभावों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें देखा गया कि कॉफी पीने से पाचन क्रिया और आंत स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। जिसमें आंत माइक्रोफ्लोरा का समर्थन और आंत की गतिशीलता को बढ़ावा देना भी शामिल है ।
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इटली के यूनिवर्सिटी ऑफ मिलान के क्लिनिकल साइंसेज एंड कम्युनिटी हेल्थ डिपार्टमेंट में प्रोफेसर कार्लो ला वेकिया द्वारा रिपोर्ट लिखी गई, जिन्होंने टिप्पणी की: " पाचन पर कॉफी का प्रभाव रिसर्च का एक विकसित क्षेत्र है। डेटा आम पाचन शिकायतों के लिए लाभ का संकेत देता है। यह कब्ज के साथ-साथ क्रोनिक लिवर डिजीज जैसे- नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज, पित्त पथरी और संबंधित पैन्क्रियाटाइटिस जैसी गंभीर स्थितियों के जोखिम में संभावित कमी से जुड़ा है"।
कॉफी और पाचन संबंधी बीमारियां
पित्त पथरी एक आम पाचन संबंधी विकार है, जो पित्ताशय की थैली या पित्त नली में पित्त पथरी के संचय के कारण होता है, जो वयस्कों में लगभग 10-15% को प्रभावित करता है । हालांकि, जिस तंत्र द्वारा कॉफी पित्त पथरी की बीमारी से बचा सकती है वह अभी ज्ञात नहीं है। लेकिन यह देखा गया है कि कॉफी की दैनिक खपत में थोड़ा सा वृद्धि के साथ पाचन संबंधी समस्याएं और उनके हालत के लिए जोखिम कम हो जाता है।
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अध्ययन में उपभोक्ताओं के बीच एक सामान्य प्रश्न और रिसर्च के लिए फोकस क्षेत्र है कि क्या कॉफी हार्ट बर्न या गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज से जुड़ी है। हार्टबर्न एसिड रिफ्लक्स का एक हल्का रूप है, जो ज्यादातर लोगों को प्रभावित कर सकता है। जबकि, गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज एक क्रोनिक और गंभीर एसिड रिफ्लक्स स्थिति है, जो 21 वयस्कों में से एक को प्रभावित कर सकती है। अक्सर हार्टबर्न, खाने या तरल की विशेषता होती है और इसमें निगलने में कठिनाई होती है। जबकि कम संख्या में अध्ययनों ने कॉफी पीने और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज के बीच संबंध का सुझाव दिया है। अधिकांश अध्ययनों से पता चलता है कि कॉफी इन स्थितियों का एक बड़ा ट्रिगर नहीं है।
अध्ययन के निष्कर्ष
अध्ययन में पाया गया कि कॉफी पीने से आंत के गुड बैक्टीरिया Bifidobacterium spp की आबादी बढ़ जाती है। यह माना जाता है कि कॉफी में पाए जाने वाले डाइटरी फाइबर और पॉलीफेनोल्स, माइक्रोफ्लोरा की आबादी के स्वस्थ विकास का समर्थन करते हैं। दूध के साथ बनी कॉफी से बेहतर ब्लैक कॉफी पीना ज्यादा सही माना जाता है।
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