स्ट्रेंथ ट्रेनिंग न केवल अतिरिक्त वजन घटाने में मदद करता है, बल्कि इसका इस्तेमाल वजन बढ़ाने के लिए भी कर सकते हैं। लेकिन इसमें घबराने की बात नही है स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के दौरान बढ़ने वाला वजन आपके लिए फायदेमंद है नुकसानदेह नहीं। जिम में शुरूआत में आप अपने शरीर से वसा और कैलोरी को जलाते हैं।
लंबे समय तक फिट रहने के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। मैसाच्युसेट्स जनरल हॉस्पिटल इंस्टीटच्यूट ऑफ हेल्थ प्रोफेशंस के क्लीनिकल इंस्ट्रक्टर केली मेकाले के अनुसार, ‘अधेड़ उम्र के लोगों के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग बहुत अहम है। इससे बढ़ती उम्र के साथ मसल्स-मास में कमी और मसल्स की कमजोर होने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है, जिससे अधेड़ उम्र के लोग लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं।’ आइए हम आपको बताते हैं कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से वजन कैसे बढ़ता है।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से क्यों बढ़ता है वजन
मांसपेशियों के लिए
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने के दौरान मसल्स फाइबर में छोटे टीयर्स बनते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान मांसपेशियों में अतिरिक्त कोशिकायें जुड़ती हैं जो भविष्य में फायदेमंद साबित होती हैं। यह सेल्स की क्षति होने से भी बचाती हैं। लेकिन इस दौरान मांसपेशी फाइबर की संख्या नही बढ़ती बल्कि मांसपेशियों का द्रव्यमान बढ़ जाता है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के दौरान समुचित आराम और पोषण आपकी मांसपेशियों के निर्माण में मदद करती है जिससे इसकी क्षमता में इजाफा होता है।
मांसपेशियों का वजन
लोगों में यह भ्रम होता है कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के दौरान मांसपेशियों का वजन बढ़ना शरीर में अतिरिक्त चर्बी के बढ़ने के बराबर होता है। जबकि यह सच नही है, इसके विपरीत यदि मांसपेशियों का एक पाउंड वसा के एक पाउंड से कम जगह लेता है। इस दौरान आपके शरीर का आकार और वजन दोनों बढ़ेगा।
कैसे करें स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की शुरुआत किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। क्योंकि एक तरफ जहां ये फायदेमंद है वही दूसरी तरफ इसके खतरे भी हैं। इससे मसल्स खिंच सकती हैं और अगर आपको कोई पुरानी चोट हो तो वह और गंभीर रूप ले सकती है। अगर चोट से बचना है तो पहले ठीक तरह से स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करना सीखिए। इसमें सभी मसल्स ग्रुप की अपनी अहमियत है, लेकिन अधेड़ लोगों को कूल्हे और पैरों की मांसपेशियों की मजबूती पर ज्यादा मेहनत करनी चाहिए। उन लोगों के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है, जिनके घुटनों मं अर्थराइटिस हो।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में क्या-क्या होता है
इसके लिए सबसे ज्यादा आसान विकल्प वेट मशीन से एक्सरसाइज और डंबल उठाने होते हैं। मशीन का फायदा यह होता है कि वह आपको सही मूवमेंट सीखने को मिलती है। इसमें यह भी जरूरी है कि मशीन को आप अपने कद और काठी के हिसाब से ही एडजस्ट करें। लेकिन, अगर मशीन को ठीक से एडजस्ट न किया गया हो तो आप गलत मूवमेंट में कसरत करेंगे, इससे चोट लगने की संभावनाएं बढ़ेंगी। अगर आप बहुत ज्यादा वजन उठाते हैं तो आपकी कमर पर बुरा असर पड़ सकता है, जबकि मशीन से वेट ट्रेनिंग करते हुए मशीन आपकी बॉडी को सपोर्ट देती है, जिससे चोट की संभावना कम होती है।
शरीर के सभी हिस्से के लिए अलग-अलग स्ट्रेंथ ट्रेनिंग होती है। छाती के लिए बेंच प्रेस, चेस्ट प्रेस मशीन, पुश अप्स, पेक डेक मशीन आदि। बैक के लिए सीटेड रो मशीन, बैक एक्सटेंनशन, पुलडाउन। कंधों के लिए ओवरहेड प्रेस, लैटरल रेज, लैट पुलआउट्स। बाइसेप्स के लिए बाइसेप्स कर्ल, हैमर्ल, कनसेन्ट्रेशन कर्ल। ट्राइसेप्स के लिए ट्राइसेप्स एक्सटेंशन, डिप्स, किकबैक्स। निचले हिस्से के लिए स्क्वैट, लंज, लेग प्रेस मशीन, डेडलिफ्ट्स, काफ रेज। पेट के लिए क्रंच, रीवर्स क्रंच, ऑब्लिक ट्विस्ट, पेल्विक टिल्ट आदि होते हैं।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के दौरान अपने बढ़ते वजन से घबराइए मत बल्कि अपनी फिटनेस को देखिए। इसके जरिए आप लंबे समय तक फिट रह सकते हैं।
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