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क्या प्लेसेंटा प्रीविया होने पर बच्चेदानी निकलवाने (हिस्टेरेक्टॉमी) की जरूरत पड़ती है? डॉक्टर से समझें

Does Placenta Previa Require Hysterectomy In Hindi: प्लेसेंटा प्रीविया होने पर बच्चेदानी निकलवाना पड़ेगा या नहीं, इसका फैसला महिला के स्वास्थ्य को देखते हुए डॉक्टर करते हैं।
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क्या प्लेसेंटा प्रीविया होने पर बच्चेदानी निकलवाने (हिस्टेरेक्टॉमी) की जरूरत पड़ती है? डॉक्टर से समझें


Does Placenta Previa Require Hysterectomy In Hindi: प्लेसेंटा प्रीविया होने का मतलब है कि प्रेसेंटा के जरिए यूट्रस की ओपनिंग में को आधे या पूरे तरीके से कवर कर लेना। यह स्थिति बहुत ही गंभीर होती है। आमतौर पर तीसरी तिमाही में गर्भवती महिला को इस तरह की समस्या होती है। अगर किसी महिला को यह समस्या हो जाए, तो उन्हें स्पेशल देखभाल करनी पड़ती है। दरअसल, प्लेसेंटा प्रीविया के कारण डिलीवरी में कई दिक्कतें आ सकती हैं। जैसे डिलीवरी के दौरान और इसके बाद महिला को काफी ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है। यही नहीं, प्लेसेंटा प्रीविया बच्चे के लिए भी हानिकार है। बहरहाल, कुछ महिलाओं को यह भी लगता है कि प्लेसेंटा प्रीविया होने के कारण उन्हें बच्चेदानी निकलवाना पड़ता है। सवाल है, क्या वाकई ऐसा होता है या यह महज एक मिथक है? आइए, इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं।

क्या प्लेसेंटा प्रीविया होने पर बच्चेदानी निकलवाने की जरूरत पड़ती है?- Does Placenta Previa Require Hysterectomy In Hindi

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प्लेसेंटा प्रीविया अपने आप में एक गंभीर कंडीशन होती है। लेकिन, अगर यह स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ जाती है, जब यह प्लेसेंटा एक्रीटा में बदल जाता है। आपको बता दें कि प्लेसेंट प्रीविया होने की स्थिति में सी-सेक्शन के जरिए डिलीवरी करवाई जाती है। वहीं, अगर किसी महिला को प्लेसेंट एक्रीटा हो जाता है, तो स्थिति और खराब हो जाती है। प्लेसेंट एक्रीटा का मतलब है कि प्लेसेंटा का गर्भाशय की दीवार में बहुत गहराई में चिपक जाना। इस तरह की कंडीशन उन महिलाओं में अधिक देखी जाती है, जिन्हें प्लेसेंटा संबंधी समस्या होती है या किसी की पहले भी सी-सेक्शन डिलीवरी हो चुकी है। बहरहाल, सवाल यह था कि क्या प्लेसेंटा प्रीविया होने पर बच्चेदानी निकलवाना जरूरी होता है? इस बारे में वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता का कहना है कि हमेशा ऐसा हो, यह जरूरी नहीं है। हां, अगर प्लेसेंट एक्रीटा हो जाए, तो इस स्थिति में डिलीवरी के दौरान महिला की ब्लीडिंग इतनी ज्यादा हो सकती है, जिसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाती है। अधिक ब्लीडिंग जानलेवा भी साबित हो सकती है। ऐसी स्थिति में महिला की जान बचाने के लिए बच्चेदानी निकाल दी जाती है। हालांकि, हर मामला ऐसा हो यह जरूरी नहीं है। गर्भवती महिला की कंडीशन देखते हुए एक्सपर्ट सही फैसला लेते हैं। National Institutes of Health (NIH) (.gov) में प्रकाशित लेख से भी यह स्पष्ट होती है।

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प्लेसेंटा प्रीविया होने पर कब जाएं डॉक्टर के पास

वैसे तो बिना अल्ट्रा साउंड के प्लेसेंटा प्रीविया के होने की पुष्टि करना संभव नहीं है। फिर भी जो लक्षण प्लेसेंटा प्रीविया होने पर नजर आते हैं, वे हैं, दूसरी और तीसरी तिमाही में ब्लीडिंग होने पर गर्भवती महिला को डॉक्टर के पास जाना चाहिए। वहीं, अगर महिला को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है, रुक नहीं रही है, तो यह सीवियर कंडीशन हो सकती है। इस तरह की स्थिति में जरूरी है कि महिलाएं बिना देरी कि तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और अपना ट्रीटमेंट करवाएं। यहां तक कि जो-जो सावधानियां बरतने की सलाह दी जाए, उन पर अमल करें।

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किन महिलाओं को रहता है प्लेसेंटा प्रीविया का अधिक खतरा

  • जिन महिलाओं को पहले सी-सेक्शन हो चुका है
  • जिनकी पहले डिलीवरी हो चुकी है
  • पहले बच्चेदानी की सर्जरी हो चुकी है
  • अगर पहली प्रेग्नेंसी में प्लेसेंटा प्रीविया का इतिहास रहा है
  • जिन महिलाओं के गर्भ में एक से अधिक भ्रूण का होना
  • जिन महिलाओं की उम्र 35 से अधिक है
  • जो महिलाएं बहुत ज्यादा स्मोक करती हैं।

All Image Credit: Freepik

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