
दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व माना गया है। इस दिन लोग दीये जलाते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं। पुराणों में कहा गया है कि, इस दिन श्रद्धा पूर्वक महालक्ष्मी की पूजा करने वाले भक्तों के घर साल भर सुख, समृद्धि और धन की वर्षा होती है। भगवान श्री गणेश सिद्धि-बुद्धि और शुभ-लाभ के स्वामी तथा सभी अमंगलों एवं विघ्नों के नाशक हैं, ये सत्बुद्धि प्रदान करने वाले हैं। दीपावली के दिन इनके समवेत पूजन से सभी कल्याण-मंगल एवं आनंद प्राप्त होते हैं। दिवाली के दिन चौमुख दीपक रातभर जलते रहना शुभ एवं मंगलप्रदायक होता है।
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ऐसे करें महालक्ष्मी का पूजन
- इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमाओं का प्रतिष्ठापूर्वक विशेष पूजन किया जाता है।
- पूजन के लिए किसी चौकी अथवा कपड़े के पवित्र आसन पर गणेश जी के दाहिने भाग में माता लक्ष्मी को स्थापित करना चाहिये।
- पूजा स्थान को पवित्र कर स्वयं भी पवित्र होकर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक सायंकाल शुभ मुहूर्त में इनका पूजन करें।
- सर्वप्रथम पूर्व अथवा उत्तराभिमुख हो आचमन, पवित्री धारण, मार्जन-प्राणायाम कर अपने तथा पूजा सामग्री के ऊपर गंगाजल युक्त जल छिड़कें।
- देवी के चित्र को पुष्प माला पहनाकर, धूप, दीप, अगरबत्ती और शुद्ध घी के पांच और अन्य सरसों के तेल के दीपक जलाएं।
- जल से भरे कलश पर मोली बांधकर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें।
- गणेश-लक्ष्मी का तिलक करें, पुष्प अर्पित करें और दाहिने हाथ में पुष्प, चावल, सुपारी, सिक्का और जल लेकर पूजा का संकल्प करें।
- मूर्तिमयी महालक्ष्मी के पास ही किसी पवित्र पात्र में केसरयुक्त अष्टदल कमल बनाकर उस पर द्रव्य-लक्ष्मी स्थापित करके एक साथ दोनों की पूजा करें।
- लक्ष्मी तथा कुबेर के मंत्रों का यथा शक्ति जप करें। पूजा के पश्चात् लक्ष्मी जी की आरती, मंत्र पुष्पांजली तथा क्षमा प्रार्थना करें।
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इन मंत्रों का करें जाप
इस दिन अपने घरों व प्रतिष्ठानों में महालक्ष्मी पूजन के साथ देहलीविनायक, मां काली, सरस्वती एवं कुबेर की भी पूजा अवश्य करनी चाहिए। दीपावली की रात्रि को कुंकुम, अक्षत तथा पुष्पों से एक-एक नाम मंत्र पढ़ते हुए पूजन करें...
ऊं आद्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं कामलक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योगलक्ष्म्यै नम:। इससे धन आगमन बना रहता है। घर में स्थिर लक्ष्मी का वास होता है।
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