मोतिया बिंद का निदान मुश्किल नहीं है, लेकिन सही समय पर निदान नहीं किए जाने पर यह आपकी नजर भी छीन सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी आंखों की नियमित जांच करवायें और किसी भी प्रकार का संशय या परेशानी होने पर तुरंत उसका इलाज करवायें।
क्यों होता है मोतिया
हमारी आंख एक कैमरे की तरह काम करती है। रोशनी की किरणें हमारी आंखों में प्रवेश कर कार्निया को पार करती हैं। यह आंखों के सामने एक पारदर्शी द्रव होता है, इसके बाद पुतली को पार करती हुई लैंस से टकराती है। लैंस रोशनी की किरणों को केंद्रित कर रेटिना को भेजता है। इसके बाद वह छवि रेटिनल कोशिका से होती हुई, ऑप्टिकल नर्व में जाती है। और इसके बाद वह मस्तिष्क में जाती है, जो उन किरणों को छवि में बदलता है।
मोतिया बिंद तब होता है जब आंख के लैंस पर एक प्रोटीन जमा हो जाता है, जो नजर को धुंधला कर देता है। इससे रोशनी ठीक प्रकार से लैंस के पार नहीं जा पाती, इससे व्यक्ति को देखने में कुछ परेशानी होने लगती है। लैंस में नयी कोशिकाओं का निर्माण होता है, तो उस समय सभी पुरानी कोशिकायें लैंस के केंद्र में एकत्रित हो जाती हैं। यह मोतिया की एक बड़ी वजह होती है।
कैसे होता है मोतियाबिंद का निदान
इसके लिए डॉक्टर आपकी आंखों की जांच करता है। वह यह देखता है कि आपको कितना स्पष्ट नजर आता है। अगर आप चश्मा या लैंस लगाते हैं जो नेत्र जांच करवाते समय उन्हें अपने साथ ले जाना न भूलें। आपकी आंखों में दवाई डालकर डॉक्टर पुतली को डायल्यूट करता है। इससे न केवल लैंस बल्कि आंख के अन्य हिस्सों की भी बेहतर जांच की जा सकती है।
मोतियाबिंद का निदान आसान होता है। आप किसी भी नेत्र विशेषज्ञ से इसकी जांच करवा सकते हैं। यह जरूरी है कि जब भी आप मोतिया का निदान करवाने जायें तो डॉक्टर से आंख की पूरी जांच करने को कहें। इससे इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि कहीं आपको कोई और तकलीफ तो नहीं है। संभव है कि आपको किसी अन्य कारण से दृष्टि दोष हो रहा हो। आपकी आंख को जांच करते समय नेत्र विशेषज्ञ आपकी आंखों ओर पुतली की प्रतिक्रिया की भी जांच करता है। इसके साथ ही वह आंखों के भीतर दबाव को भी मापता है। आंखों में दवाई डालने के बाद वह अपने तमाम उपकरणों से आंखों की समग्र जांच करता है।
मोतियाबिंद से कैसे बचा जा सकता है
- मोतियाबिंद के कारण अनिश्चित होते हैं इसलिए इससे बचने का कोई पुख्ता उपाय नहीं है। क्योंकि मोतियाबिंद और ग्लूकोमा, बुजुर्गों में होने वाली सामान्य बीमारी है। इसलिए जरूरी है कि आप नियमित रूप से आंखों की जांच करवाते रहें।
- अगर आपके परिवार में लोगों को आंखों की समस्या रही है, तो आपके लिए आंखों की नियमित जांच करवाते रहना और भी जरूरी हो जाता है। पचास वर्ष की आयु के ऊपर के बुजुर्गों को हर दो वर्ष में एक बार आंखों की जांच करवानी चाहिए।
- ऐसे लोग जिनका आंखों की बीमारी अथवा ऐसे किसी रोग का इतिहास रहा है, जो आंखों की समस्या को बढ़ा सकता है, जैसे डायबिटीज आदि, उन्हें और भी जल्दी-जल्दी अपनी आंखों की जांच करवानी चाहिए। साथ ही ऐसे रोगों से बचने के उपाय भी करने चाहिए।
- अपने डॉक्टर से यह बात जरूर पूछें कि क्या आपको मोतियाबिंद अथवा किसी अन्य ऐसे नेत्र रोग होने की आशंका तो नहीं है, जिससे आपकी नजर पर बुरा असर पड़ सकता है। अगर ऐसा हो तो आपको अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
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