गठिया रोग आजकल एक आम रोग की तरह लोगों को अपना शिकार बना रहा है, ऐसे में सिर्फ बढ़ती उम्र के बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा भी इस रोग से काफी परेशान हैं और इससे छुटकारा पाने के लिए दवाओं और घरेलू उपाय को लगातार इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या डेंगू और चिकनगुनिया भी गठिया रोग को बढ़ाने का एक कारण है? तो आपको बता दें कि कई ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट्स इस मामले में कहते हैं कि डेंगू और चिकनगुनिया के 80 प्रतिशत मरीज चार महीने के इलाज के बाद लक्षण मुक्त हो गए लेकिन 20 प्रतिशत रोगियों में रुमेटीइड आर्थराइटिस विकसित हो गया। ये एक गंभीर स्थिति को पैदा करने वाली बात है।
गठिया को बढ़ाते हैं डेंगू और चिकनगुनिया
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (Directorate of National Vector Borne Disease Control Programme) के अनुसार, भारत में डेंगू के मामले 30 जुलाई, 2016 तक देश में कुल डेंगू के मामले 16,870 थे, जबकि 2017 में इसी अवधि में उनकी संख्या 28,702 थी। जबकि 30 जुलाई, 2017 तक, भारत में चिकनगुनिया के कुल 18,466 मामले देखे गए हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो डेंगू और चिकनगुनिया के कारण हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को परेशान होती है और इसके कारण लगभग 20 प्रतिशत रोगियों में गठिया रोग का विकास करते हैं। इसके लिए मरीजों को शुरुआती स्थिति में ही आर्थोपेडिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
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कैसे होता है गठिया रोग प्रभावित
राजू वैश्य, गठिया देखभाल फाउंडेशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ सलाहकार, हड्डी रोग विभाग, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल (Raju Vaishya, president of Arthritis Care Foundation (ACF) and Senior Consultant, Department of Orthopedics, Indraprastha Apollo Hospital) ने इस मामले पर एक अध्ययन किया जो प्रतिष्ठित ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित हुआ था।
डॉक्टर सुजीत कुमार सिंह, उप महानिदेशक, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार (Dr. Sujeet Kumar Singh, Deputy Director General, Ministry of Health and Family Welfare, Govt. of India) ने बताया कि डेंगू और चिकनगुनिया संक्रमण के रोगियों को पुरानी गठिया वाले लोगों की पहचान करने के लिए बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए। डॉक्टर सुजीत कुमार कहते हैं कि चिकनगुनिया के अनुसार जोड़ों के दर्द के साथ पीड़ितों के रूखे रूप का वर्णन करता है। ये रोग फ्लू जैसे लक्षणों का कारण बनता है जो कई महीनों तक मरीज के साथ रह सकता है। आपको बता दें कि ज्यादातर मामले पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं और मृत्यु आमतौर पर गंभीर निर्जलीकरण, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और ग्लाइसेमिक नियंत्रण के नुकसान के कारण होती है।
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बचाव
- इलाज के दौरान देने वाली दवाओं के अलावा आपको खुद के खानपान पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है जिससे की आपके स्वास्थ्य को किसी और समस्या से न गुजरना पड़े। आप डेंगू और चिकनगुनिया के दौरान ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें, ये आपको गठिया जैसे गंभीर रोग से दूर रखने का भी काम करेगा और आपको जल्दी स्वस्थ करने में आपकी मदद करेगा।
- डेंगू और चिकनगुनिया के दौरान आपको जोड़ों में ज्यादा सूजन या दर्द महसूस हो रही हो तो आप लहसुन के पेस्ट या लौंग के तेल को काली मिर्च के साथ प्रभावित हिस्से पर लगाएं, इससे सूजन और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद मिलती है। इसे आप घुटनों के आसपास जरूर लगाएं।
- एप्सम नमक और नीम के पत्तों के साथ गर्म पानी में आपको स्नान करना चाहिए इससे आपकी प्रतिरक्षा और कम दर्द में सुधार हो सकता है।
- शहद में भिगोए सूरजमुखी के बीज घुटनों और जोड़ों पर लगाए जा सकते हैं, जहां आपको दर्द महसूस हो रहा हो। इसकी मदद से आप अपने जोड़ों के दर्द को कम कर सकते हैं।
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