
हाल ही में किये गये एक सर्वे से ये तथ्य उभरकर सामने आया है कि भारत में रहने वाली 50% से ज़्यादा महिलाएं असामन्य कोलेस्ट्रॉल लेवल का शिकार हैं, जो हृदय रोग का एक प्राथमिक कारण है। गौरतलब है कि दुनियाभर में मौत के मुंह में जानेवाली महिलाएं के मरने का प्रमुख कारण है हृदय रोग। मगर इससे जुड़ी खुशखबरी ये है कि इससे बचाव संभव है। अगर महिलाएं हृदय रोग से जुड़े अपने लक्षणों को पहचान लें, तो दिल की बीमारियों को जीवन के हर मोड़ पर दूर रखा जा सकता है।
महिलाओं में होने वाले हृदय रोगों के बारे में हमने विस्तार से बात की है, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुम्बई के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संतोष कुमार डोरा से। उन्होंने हमें यहां कुछ लक्षण और बचाव के तरीके बताए हैं, जिनके माध्यम में महिलाएं खुद को दिल की बीमारियों से दूर रख सकती हैं।
महिलाओं में हृदय रोगों की समस्या- Heart Disease In Womens
रजोनिवृति के खतरों को समझना
पुरुषों की तुलना में, रजोनिवृति या मेनोपॉज से पूर्व महिलाएं कोरोनरी धमनी रोग (Coronary artery disease) का कम ही शिकार होती हैं। इसका श्रेय फीमेल हार्मोन यानी एस्ट्रोजन द्वारा मुहैया कराए जाने वाले सुरक्षा कवच को जाता है। रजोनिवृति के बाद महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। 50 साल के पहले होने वाली रजोनिवृति अथवा सर्जिकल रजोनिवृति के बाद हृदय रोग का खतरा और बढ़ जाता है।
फैमिली हिस्ट्री
हृदय रोग को लेकर फैमिली हिस्ट्री रखनेवाली महिलाओं को और अधिक सावधान रहने की ज़रूरत है और उन्हें विविध तरीके के हृदय रोगों के बारे में पता होना चाहिए। महिलाओं के लिए ये जानना ज़रूरी है कि कहीं उनके पिता/भाई को 55 साल की उम्र से पहले और मां/बहन को 65 साल की उम्र से पहले हार्ट अटैक तो नहीं आया था।
तनाव
आज की तारीख में हृदय रोग अधिक से अधिक प्रजनन योग्य महिलाओं को अपना शिकार बना रहा है। उल्लेखनीय है कि पहले ज्यादातर महिलाओं को हृदय रोग रजोनिवृति के बाद ही होता था। इसका मुख्य कारण अत्याधिक तनाव है, जो घर और कार्यस्थल दोनों जगहों पर साथ काम करने के बोझ से उत्पन्न होता है। ऐसे में डायबिटीज के होने, मोटापे और उससे जुड़ी बीमारियों और शरीर को ज्यादा तकलीफ नहीं देने जैसी बातों के चलते ये समस्या और बढ़ जाती है।
अपने लक्षणों को जानिए
महिलाओं और पुरुषों में हृदय विकार के लक्षण अलग-अलग होते हैं। कई बार तो ऐसा भी होता है कि ये लक्षण नदारद ही रहते हैं। छाती में दर्द की पुरानी शिकायत की बजाय छाती में दर्द से पीड़ित महिला को सांस लेने में दिक्कत होती है, पेट में असहजता का एहसास होता है, चक्कर आते हैं, हाथ और गर्दन में दर्द होता है आदि। उल्लेखनीय है कि कोरोनरी धमनी रोग (Coronary artery disease) से अचानक मौत के मुंह में चली जाने वाली दो तिहाई महिलाओं में पहले से इस तरह के कोई लक्षण तक नहीं दिखाई देते हैं।
हृदय रोगों से बचाव के उपाय
1. अपने उचित कोलेस्ट्रॉल लेवल को बनाए रखें: हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल से हार्ट अटैक और लकवे का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है। अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल पर निगरानी रखिए और ऐसा भोजन कीजिए, जिसमें नमक और तेल कम हो। अपने लिपिड प्रोफ़ाइल निकलवाइए, रक्त चाप की नियमित जांच और साल में एक बार डायबिटीज़ की जांच करवाइए।
2. एक्सरसाइज जरूर करें: हफ्ते में पांच दिन रोजाना कम से कम 30 मिनट तक चलें ताकि आपका वजन काबू में रहे और आपका हृदय स्वस्थ रहे।
3. भोजन की आदतों में बदलाव लाएं: जंक फ़ूड खाने से बचें, खाने में सलाद और फलों का बैलेंस बनाएं और देर रात खाना न खाएं।
4. पर्याप्त नींद लें: हृदय को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी है अच्छी नींद ली जाए। रात में कम से कम 6-8 घंटे ज़रूर सोएं।
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5. गर्भ निरोधक को सावधानीपूर्वक चुनें: कई गर्भनिरोधक उपाय आपके रक्तचाप को और बढ़ाने और धमनियों में रक्त के थक्के को जमाने में मददगार होते हैं। ऐसे में आप इनका इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से गर्भनिरोधक के प्रकार और इस्तेमाल किये जा सकनेवाले डोज़ के बारे में पूछें।
6. बॉडी मास इंडेक्स बनाए रखें: आप अपने वजन को काबू में रखें ताक़ डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचें रहें, जो कि हृदय रोग का एक बहुत बड़ा कारण है।
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7. दांतों और मसूड़े को एकदम स्वस्थ रखें: हृदय को स्वस्थ रखने के लिए दांतों का स्वस्थ होना बेहद ज़रूरी होता है। शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि अन्य लोगों की तुलना में मसूड़ों की बीमारियों का शिकार लोगों को हृदय रोग होने का खतरा दोगुना होता है।
8. धूम्रपान न करें: अगर आप धूम्रपान करती हैं तो आप अपनी कोरोनरी धमनी रोग के जरिए अपने फीमेल एडवांटेज को गंवा देती हैं।
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9. कार्डियाक (हार्ट) स्क्रीनिंग: कई महिलाओं में हृदय से जुड़ी बीमारियों के लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसे में अपने हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें, 40 साल की उम्र के बाद हर पांच साल में एक बार हार्ट की स्क्रीनिंग करानी चाहिए ताकि हृदय में गहरे छिपी बीमारियों का पता चल सके।
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