Women Health: पीसीओडी से जुड़े 10 सवाल और उनके जवाब हर महिला को पता होने चाहिए, जानिए इनके बारें में

PCOD या PCOS के बारे में कुछ बातें हैं, जिनके बारे में हर महिला को पता होना चाहिए। यहां हम 10 ऐसे सवाल और उनके जवाबों के बारे में विस्‍तार से बता रहे हैं।
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Women Health: पीसीओडी से जुड़े 10 सवाल और उनके जवाब हर महिला को पता होने चाहिए, जानिए इनके बारें में

पीसीओडी या पीसीओएस (Polycystic Ovarian Syndrome) एक हार्मोनल कंडीशन है। जिन महिलाओं को यह समस्‍या होती है, उनमें प्रजनन क्षमता की कमी आ सकती है। जागरूकता के अभाव में ज्‍यादातर महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के लक्षणों को पहचान नहीं पातीं। वैसे तो यह मिडिलएज ग्रुप की महिलाओं से जुड़ी समस्या है लेकिन आजकल टीनएजर लड़कियां भी पीसीओडी की शिकार हो रही हैं। PCOD या PCOS के बारे में कुछ बातें हैं, जिनके बारे में हर महिला को पता होना चाहिए। यहां हम 10 ऐसे सवाल और उनके जवाबों के बारे में विस्‍तार से बता रहे हैं। 

 

पीसीओडी की प्रमुख वजहों के बारे में बताएं? 

एक्सरसाइज़ की कमी और खानपान की गलत आदतों से वजन बढ़ना इस समस्या की प्रमुख वजह है। इस दृष्टि से ओवर वेट महिलाओं में इसकी आशंका बढ़ जाती है। इसकी गिरफ्त में आने के बाद वज़न का घटना मुश्किल हो जाता है। कई बार दुबली लड़कियों को भी यह समस्या हो जाती है।   

क्या यह समस्या आनुवंशिक होती है?

हालांकि इसका कोई प्रमाण नहीं है लेकिन जिन स्त्रियों की मां या बहन को पहले ऐसी समस्या रह चुकी है, उनमें इसके लक्षण नज़र आते हैं। इस लिहाज से पीसीओडी को कुछ हद तक आनुवंशिक कहा जा सकता है।

क्या ऐसी समस्या से ग्रस्त स्त्रियां गर्भधारण नहीं कर पातीं?

पीसीओडी की समस्या हॉर्मोन की गड़बड़ी के कारण होती है। ऐसी स्थिति में उनके गर्भाशय में प्राकृतिक रूप से एग्स विकसित नहीं हो पाते और पीरियड्स में अनियमितता आने लगती है। इस दृष्टि से यह इंफर्टिलिटी की प्रमुख वजह है।     

क्या इससे ग्रस्त स्त्रियों के चेहरे पर अवांछित बाल उग आते हैं?

सभी स्त्रियों में आंशिक रूप से पुरुषों वाले हॉर्मोन्स भी पाए जाते होते हैं। पीसीओडी होने पर उनके शरीर में मेल हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। इसी वजह से उनके चेहरे और शरीर पर अवांछित बाल उग जाते हैं।

किन लक्षणों के आधार पर यह पहचाना जा सकता है कि किसी स्त्री को पीसीओडी की समस्या है?

इसके मुख्य लक्षण हैं- वजऩ बढऩा, पीरियड मिस होना, पीरियड्स देर से आना, कई बार हॉर्मोन दिए बिना चार-पांच महीने तक पीरियड्स नहीं आना। इसके अलावा पुरुषों वाले हॉर्मोन्स बढऩे के कारण त्वचा का तैलीय होना, एक्ने, चेहरे एवं शरीर के अन्य हिस्सों पर बाल आना, सिर के बाल झडऩा आदि। अगर ऐसे लक्षण नज़र आएं तो स्त्री का अल्ट्रासाउंड किया जाता है।

पीसीओडी होने पर ओवरी़ में पानी से भरी कई थैलियों जैसी आकृति दिखाई देती हैं, जो वास्तव में अविकसित एग्स होते हैं। इस तरह अल्ट्रासाउंड और शरीर के लक्षणों से पीसीओडी का पता चलता है। कई बार इनफर्टीलिटी के उपचार के दौरान भी इस बीमारी का पता चलता है।

इसकी जांच के लिए कौन सी तकनीक अपनाई जाती है?

यह बीमारी हॉर्मोन की गड़बड़ी के कारण होती है, इसलिए हॉर्मोन की जांच की जाती है। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड किया जाता है, जिसमें ओवरीज़ में कई छोटे सिस्ट दिख जाते हैं। इसके अलावा स्त्रियों में इंसुलिन, शुगर और लिपिड प्रोफाइल की जांच की जाती है। इससे यह पता लगाया जाता है कि किसी स्त्री को पीसीओडी है या नहीं?

इससे बचाव के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

अपना वज़न बढऩे न दें। इसके लिए संतुलित आहार और नियमित एक्सरसाइज़ ज़रूरी है। इससे मेटाबोलिज़्म की प्रक्रिया तेज़ी से काम करेगी और वज़न सामान्य बना रहेगा। अगर कोई भी लक्षण दिखाई दे या सही समय पर पीरियड्स न आएं तो बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह लें।

इसके उपचार के लिए कौन से तरीके अपनाए जाते हैं? क्या इसके लिए सर्जरी की ज़रूरत भी पड़ती है?

इसके उपचार के लिए सबसे पहले जीवनशैली में बदलाव लाना ज़रूरी है। व्यायाम करें, संतुलित आहार लें, वज़न पर नियंत्रण रखें। अगर ऐसा करने के बाद भी पीरियड्स नियमित न हों तो दवाओं के रूप में हॉर्मोन्स भी दिए जाते हैं। उनके शरीर में इंसुलिन का स्तर सामान्य बनाए रखने के लिए भी दवाएं दी जाती हैं। अगर चेहरे पर बालों की समस्या है तो ऐसे हॉर्मोन दिए जाते हैं कि पुरुषों वाले हॉर्मोन का प्रभाव कम हो जाए। अगर कॉलेस्ट्रॉल की समस्या है तो उसे घटाने के लिए भी की दवा दी जाती है।

इस तरह जो लक्षण अधिक प्रभावी होता है, पहले उसे ही दूर करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। इसकी वजह से अगर किसी स्त्री को संतानहीनता की समस्या हो तो उसे फर्टिलिटी की दवाएं दी जाती हैं। ज़रूरत पडऩे पर सर्जरी भी की जाती है।

क्या इसकी वजह से स्त्रियों की सेक्स लाइफ भी प्रभावित होती है?

प्रत्यक्ष रूप से सेक्स लाइफ पर कोई खास असर नहीं पड़ता लेकिन इससे पैदा होने वाले तनाव या डिप्रेशन के कारण सेक्स की इच्छा में कमी आ सकती है।

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इलाज या सर्जरी के बाद स्त्री को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

इलाज या सर्जरी कराने के बाद व्यायाम करती रहें, संतुलित आहार अपनाएं। यह जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है, इसलिए अगर आपकी आदतें सही रहेगी तो बीमारी के लक्षण वापस नहीं आएंगे। नियमित रूप से अपनी जांच करवाएं। डॉक्टर के संपर्क में रहें क्योंकि मेटाबोलिज़्म बिगडऩे के कारण डायबिटीज़, हाई ब्लडप्रेशर, दिल की बीमारियों के अलावा एंडोमीट्रियल कैंसर की भी आशंका बनी रहती है। अत: इस समस्या से पीडि़त स्त्रियों को आजीवन अपनी सेहत का खयाल रखना चाहिए।

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